शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

वाहन मालिकों की जेब पर पड़ेगा बोझ!

नए मोटर कानून में बढ़ेगा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में सुरक्षित यातायात की बिसात बिछाने में जुटी मोदी सरकार के नए मोटर कानून में जिस तरह के सख्त प्रावधान किये गये हैं। इसमें सड़क हादसों के पीड़ितों की मुआवजा राशि बढ़ाने के प्रस्ताव ने वाहन मालिकों के सामने आर्थिक मुश्किल पैदा कर दी है। मसलन नियमों के तहत थर्ड पार्टी इंश्योरेंश प्रीमियम में इजाफा होने से वाहन मालिकों की जेब पर बोझ पड़ना तय है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी के मोटर वाहन कानून-1988 में पांच दर्जन से भी ज्यादा संशोधन करके तैयार किये गये नए मोटर वाहन कानून में सख्त प्रावधान किये गये हैं। जिसमें सरकार का मकसद देश में हो रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाने की दिशा में हिट एंड रन जैसे मामलों में वाहन चालकों के लिए जुर्माने की राशि में व्यापक बढ़ोतरी की है तो वहीं दुर्घटना के शिकार लोगों को दिये जाने वाले मुआवजे में भी दो लाख रुपये तक के मुआवजा मुहैया कराने का प्रस्ताव है। इस मुआवजे के कारण स्पष्ट है कि वाहन मालिकों की जेब पर उसी रूप में बोझ बढ़ेगा। इन नए नियमों के सहारे सरकार अगले पांच साल में देश में होने वाले सड़क हादसों में 50 फीसदी कमी लाने का लक्ष्य पूरा करना चाहती है। सरकार के नए मोटर वाहन कानून को लेकर वाहन मालिकों को थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम में होने वाले इजाफे की आशंका बनी हुई है, जिसके लिए वाहन मालिक पहले से 10 से 15 फीसदी से ज्यादा प्रीमियम को कम करने की मांग को लेकर सरकार से मांग करते रहे हैं।
थर्ड पार्टी प्रीमियम का दायरा
सूत्रों के अनुसार मोटर काननू के तहत पूरे इंश्योरेंस का 30 प्रतिशत हिस्सा थर्ड पार्टी का होता है, जिसे कराना अनिवार्य है। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में इसलिए इजाफा होना तय माना जा रहा है, क्योंकि मोटर वाहन कानून में दुर्घटना का शिकार होने वाले लोगों के लिए राहत
राशि 25 हजार से बढ़ाकर दो लाख रुपये का इजाफा करने का प्रस्ताव किया गया है। सड़क सुरक्षा विधेयक में हल्की चोटों के लिए मुआवजा 12 हजार 500 रुपए से बढ़ाकर 50 हजार तक कर दिया गया है, जबकि सड़क पर होने वाली गंभीर घटनाओं में या जान जाने पर 10 लाख रुपए तक की राहत राशि कर दी गई है। जबकि गंभीर रूप से घायल होने वालों को 5 लाख रुपए तक का मुआवजा दिया जा सकता है।
क्या हैं दिशा निर्देश
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के पहले से ही जारी दिशा निर्देशों के आधार पर देशभर में जिला स्तरीय परिवहन विभाग बीमा नियम को कड़ाई से लागू कराने की तैयारी में है। इसके लिए पहली बार ऐसा अलर्ट वाहन मालिकों को भेजा जा रहा है। दिशा निर्देशों के अनुसार यदि किसी वाहन का इंश्योरेंस कई वर्षों से यदि फेल है तो उनके खिलाफ किसी तरह का आर्थिक दंड नहीं लगाया जाएगा। जिस दिन से वे बीमा कराएंगे, उस दिन से एक साल के लिए वह मान्य होगा। थर्ड पार्टी इंश्यारेंस रहने पर गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने पर बीमा कंपनी मुआवजा नहीं देगी, लेकिन यदि वाहन से किसी की मौत हो जाती है तो उसका मुआवजा बीमा कंपनी वहन करेगी।
व्यवसाय न बने हर्जाना
इंडियन फाउंडेशन आॅफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग यानि आईएफटीआरटी के एसपी सिंह का कहना है कि सरकार क्यों हजार्ना लेने को व्यवसाय बना रही है। मौजूदा नियमों के अनुसार जब दुर्घटना होती है तो पुलिस हर केस को मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में भेजती है। उसे निपटाने का एक फिक्स फॉमूर्ला है। अगर सरकार चाहती है तो वे इस नियम को दुरुस्त करे और लोगों को न्याय जल्द से जल्द मिले। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में हुई दुर्घटनाओं में परिवार वालों को भारी भरकम मुआवजा मिला है तो किसी को कुछ भी नहीं मिला। सरकार को लोगों के हित में सोचना चाहिए।
26Aug-2016

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