रविवार, 7 अगस्त 2016

राग दरबार: जीएसटी पर जादुई असर?

घटती-बढ़ती देखी सांसदों की संख्या
देश के आर्थिक सुधारों पर जीएसटी बिल से जुड़े संविधान संशोधन पर मंजूरी के लिए जिस प्रकार उच्च सदन में चिरप्रतिद्वंद्वी तक एकजुट नजर आए, तो राज्यसभा का माहौल भी अजब-गजब होना स्वाभाविक था। आजाद भारत में जीएसटी को ऐतिहासिक आर्थिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है। उच्च सदन का माहौल विधेयक पर चर्चा के बाद उस समय कुछ ज्यादा ही दोस्ताना और कुछ हल्के-फुल्के पल भी आए, जब इसे पारित कराने के लिए वोटिंग हो रही थी। मसलन विधेयक को पास कराने और संशोधनों पर वोटिंग के दौरान इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन पर कुल सांसदों की संख्या घटती-बढ़ती देखी, गई तो सांसदों ने उपसभापति पीजे कुरियन के साथ मजाकिया लहजे में इसका कारण जानना चाहा कि सदन में एक मतविभाजन के समय सांसदों की संख्या 206 नजर आई, जबकि संशोधनो पर मतविभाजन के समय यह संख्या 197 दिखाई दे रही है, तो यह क्या हो रहा है? इस पर प्रो. कुरियन भी उसी अंदाज में जवाब देते नजर आए कि वाकई यह ताज्जुब की बात है कि दोनों वक्त विरोध में एक भी वोट नहीं आया फिर पक्ष में संख्या बदल गई। पहले तो कुरियन बोल उठे कि इस बारे में वह कुछ नहीं जानते और यह टेक्निकल स्टाफ से पूछना चाहिए। बाद में उन्होंने भी मजाकिया लहजे मेें कह दिया कि सदन में कोई जादूगर है जो नंबर बढ़ा-घटा रहा है। जीएसटी पर ऐतिहासिक फैसला और सदन का दोस्ताना माहौल तो ऐसे में वोटिंग की संख्या के घट-बढ़ने में भले ही तकनीकी प्रक्रिया रही हो, लेकिन मजाकिया लहजे ने तो यह हुआ न जीएसटी पर जादुई असर...!
संदीप की नाराजगी
कांग्रेस की राजनीति में ये एक विचित्र सा मामला है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित 78 साल की हैं फिर भी पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ रहा है जबकि उनके बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित इस बात पर नाराज हैं कि पार्टी के भीतर उनकी कोई कद्र नहीं है। संदीप को लगता है कि दिल्ली की राजनीति में लगातार उनको अनदेखा किया जा रहा है। कुछ दिन पहले उनका दर्द सामने भी आया जब उन्होंने कड़े शब्दों में अपनी पीड़ा का इजहार करते हुए यहां तक कह डाला कि उनको किसी और राजनैतिक दल की तरफ रूख करना पड़ेगा। संदीप को लगता है कि कांग्रेस हाईकमान उनके बागी तेवर पसंद नहीं करता है। उनको लगता है कि कांग्रेस के भीतर मक्खनबाजी को ज्यादा महत्त्व मिलता है। अभी हाल ही में यूपी में कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार घोषित की गई शीला दीक्षित को जब संदीप की सार्वजनिक बयानबाजी का पता चला तो वे भी भौंच्चकी रह गयी। बताया जाता है कि शीला ने कांग्रेस हाईकमान से कहा है कि वे अपने बेटे को समझाने का प्रयास करेंगी। दरअसल संदीप दीक्षित इस बात पर ज्यादा गुस्सा हैं कि शीला दीक्षित के कट्टर विरोधी रहे अजय माकन को विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया जबकि वे खुद इस पद के लिए ज्यादा उपयुक्त थे। दिल्ली में अगले साल नगर निगम चुनाव हैं और संदीप दीक्षित की नाराजगी पहले से ही कमजोर स्थिति से जूझ रही कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकती है।
संसद में जवाबी मोड पर राज्यमंत्री
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की कमान जब स्मृति ईरानी के हाथों में थी। तब उनके विभाग के दोनों राज्य मंत्री प्रो.रामशंकर कठेरिया और उपेंद्र कुशवाहा न तो अपने कार्यालय में रोजाना नजर आते थे और न ही संसद में कभी किसी प्रश्न का जवाब देते हुए दिखायी पड़ते थे। लेकिन अब ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग का नजारा पूरी तरह से बदल गया है। खासकर जबसे शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी प्रकाश जावड़ेकर के कंधों पर आयी है तब से उनके विभागीय दोनों राज्य मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय और उपेंद्र कुशवाहा न केवल शास्त्री भवन स्थित मंत्रालय के अपने कार्यालय में नियमित रूप से आ रहे हैं। बल्कि सर्वाेच्च जन अदालत यानि संसद में भी सांसदों के सवालों का जवाब भी दे रहे हैं। इसकी एक बानगी बीते गुरुवार को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में देखने को मिली। जब केंद्रीय एचआरडी मंत्री से लेकर दोनों विभागीय मंत्री शिक्षा संबंधी तमाम प्रश्नों का जवाब देते हुए नजर आए।
-ओ.पी. पाल, आनंद राणा व कविता जोशी
07Aug-2016

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