शनिवार, 27 अगस्त 2016

सियासत में भी छुपे रुस्तम सचिन तेंदुलकर!

सांसद आदर्श ग्राम योजना:
गोद लिए गए एक गांव की बदली सूरत
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में ग्रामीण विकास एवं गांवों को विकसित करने के मकसद से शुरू की गई ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ जहां गांवों को गोद लेने के बावजूद कोई भी सांसद या खुद पीएम मोदी भी कोई नतीजा नहीं दे पाएं हैं, वहीं संसद सत्र के दौरान अनुपस्थिति को लेकर सवालों में घिरे रहे सचिन तेंदुलकर ने अपने गोद लिए हुए गांव की कायाकल्प करके सभी को चौंका दिया है।
दुनिया में क्रिकेट के महानतम खिलाड़ी मास्टर बलास्टर सचिन तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत अक्टूबर 2014 में आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले के पुत्तम राजूवरी कंदरिगा गांव को गोद लिया था। सांसद तेंदुलकर ने जब करीब डेढ़ सौ परिवार और 465 जनसंख्या वाले इस गांव को आदर्श बनाने के लिए चुना था, तो उसकी सड़के, जल निकासी तथा स्कूल की हालत के साथ अन्य मूलभूत सुविधाओं की भी ग्रामीण बाट जोह रहे थे। सचिन तेंदुलकर ने अपनी सांसद निधि की करीब तीन करोड़ की राशि इस गांव पर खर्च करने पर ध्यान केंद्रित किया। उसी का नतीजा है कि आज इस गांव की सूरत किसी स्मार्ट शहर से कम नहीं है। इस गांव में शहर की तरह ग्रामीणों को 24 घंटे बिजली और पानी की सुविधा मिलने लगी है और गांव की हर गली व सड़के बनाई जा चुकी है, जिसमें जगह-जगह टाइल्स भी लगाई गई है। सूत्रों के अनुसार इस गांव में अकेले सड़क और ड्रनेज के लिए 1.70 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है। सूत्रों के अनुसार इस गांव को आदर्श बनाने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत 2.79 करोड़ की राशि जारी की गई थी, जबकि 2.90 करोड़ की राशि राज्य सरकार के जिला प्रशासन द्वारा जारी की गई। जबकि गांव के स्कूल और उसमें पीने के पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य शौचालय और अन्य सुविधाओं को भी विकसित किया है, जिससे शिक्षा व रोजगार को भी बल मिलने का दावा किया गया है।
ई-टॉयलेट वाला पहला गांव
आंध्र प्रदेश के इस गांव में मात्र 32 छात्रों का एक मात्र स्कूल है, जिसमें ई-टॉयलेट का निर्माण करार इस गांव को देश का ऐसे पहले गांव का दर्जा दिया गया है, जहां इस प्रकार की अत्याधुनिक व्यवस्था लागू की गई है। गांव के स्कूल की तरह ही प्राथमिक चिकित्सालय भी बदहाल था, जिसकी सूरत बदल दी गई है। यही नहीं ग्रामीणों की मांग पर इस गांव में टेलरिंग शॉप खुलवाने की तैयारी की जा रही है। गांव की ही सूरत नहीं बदली, बल्कि गांव से शहर तक जाने वाले संपर्क मार्ग को भी विकसित कर दिया गया है।
मोदी समेत पिछड़े दिग्गज
सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दो साल तक एक भी सांसद ने कोई नतीजा नहीं दिया। यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी जिले के करीब 4200 की आबादी वाले गांव जयापुर को अभी आदर्श गांव में तब्दील नहीं कर पा रहे हैं, जहां अभी लक्ष्य हासिल करने का प्रयास जारी है। हालांकि पीएम मोदी ने यह गांव सात नवंबर 2014 को ही गोद लिया था, जहां 720 शौचालयों के लक्ष्य के विपरीत 650 से ज्यादा का निर्माण होने का दावा है। बदहाल सड़कों और डेÑनेज सिस्टम को भी सुधारा जा रहा है।
कारर्पोरेट के सहारे की तलाश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत हर सांसद को 2016 तक एक गांव तथा वर्ष 2019 तक दूसरा गांव को आदर्श ग्राम में तब्दील करना था। इस योजना में अलग से किसी कोष का प्रावधान न होने की वजह से ज्यादातर सांसदों ने अपनी सांसद निधि को नाकाफी बताया। योजना में सांसदों की दिलचस्पी में कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए कारर्पोरेट फंडिंग की तलाश करने पर भी कदम बढ़ाया। इसके तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय दस रीजनल कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) कॉन्क्लेव का आयोजन तक करने की योजना बनाई, हालांकि अभी इस योजना को सरकार अंतिम रूप नहीं दे सकी है।
27Aug-2016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें