बुधवार, 17 अगस्त 2016

नमामि गंगे में वरदान बनेगा 'सींचेवाला मॉडल'


चार सौ गांवों में शुरू हुई मॉडल आधारित योजना
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी नमामि गंगे मिशन में ‘सींचेवाला मॉडल’ वरदान बनता नजर आ रहा है, जिसमें गंगा किनारे बसे छह हजार गांवों की 1651 ग्राम पंचायतों में से 400 ने इस मॉडल को अपनाना शुरू कर दिया है। वहीं सरकार गंगा की सफाई के काम में तेजी लाने और जल प्रदूषण से निपटने की दिशा में एक प्राधिकरण का गठन करने की तैयारी में है, जिसके पास प्रदूषण बोर्ड की तरह ही सभी अधिकार होंगे।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार गंगा की सफाई के लिए चलाई जा रही नमामि गंगे परियोजना में सरकार को 'सींचेवाला मॉडल' को अपनाने की योजना में कई परियोजनाओं की प्रक्रियाओं को बदलना पड़ रहा है, जिसमें औद्योगिक ईकाईयों और शहरों व कस्बों के साथ गांवों के गंदे जल को शोधन के बाद गंगा में प्रवाहित करने की योजना भी बदलनी पड़ी। मसलन अब सरकार गंदे पानी को अब संयंत्र में शोधन के बाद उसे खेती, बागवानी और अन्य कार्यो में इस्तेमाल करने की योजना तैयार की गई है। इसमें शोधित जल के लिए सरकार ने बाजार तैयार करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और संस्थाओं के साथ समझौते करने की नीति को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। इस संबन्ध में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने नमामि गंगे अभियान पर कहा कि गंगा एवं अन्य सहायक नदियों की सफाई के लिए ‘सींचेवाला मॉडल’ का इस्तेमाल करने का फैसला किसी वरदान से कम नहीं है, जिसके जरिए इस मिशन को अंजाम तक ले जाने में मदद मिलेगी। इसके लिए ग्रामीण भागीदारी के तहत गंगा के किनारे बसे 6000 गांवों की 1651 ग्राम पंचायतों में से 400 गांव के सरपंच सींचेवाला गांव जाकर उसके मॉडल का प्रशिक्षण ले चुके हैं जिन्होंने इन गांवों में इस मॉडल पर काम शुरू कर दिया है। इस मॉडल को अपनाने के लिए सभी सभी गांवों के सरपंच एवं प्रधान सींचेवाला गांव में जाकर प्रशिक्षण लेकर उसे नमामि गंगे की भागीदारी के तहत अपने-अपने गांव में अपनाएंगे, जिसके लिए पहले ही सरकार आठ-आठ लाख रुपये की योजना बना चुकी है। मंत्रालय के मुताबिक गंगा नदी में 144 बड़े नाले गिरते हैं और 5 से 10 हजार छोटे नालों की गंदगी नदी में आती है। गंगा नदी के दुनिया की दस सबसे दूषित नदियों में शामिल होने के बाद सरकार की चिंता और बढ़ गई है। सरकार की 'सींचेवाला मॉडल' पर सफाई के काम को आगे बढ़ाने के अलावा गंगा नदी के किनारे छोटे-छोटे तालाब बनाने की भी योजना है।
प्राधिकरण बनाने की तैयारी
गंगा की अविरलता और निर्मालता के लिए नमामि गंगे समेत अन्य योजनाओं के माध्यम से काम चल रहे कामों को लेकर जहां एक समग्र गंगा अधिनियम बनाने के लिए अध्ययन का काम शुरू हो गया है। वहीं केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की तर्ज पर जल संसाधन मंत्रालय के अधीन एक प्राधिकरण बनाने के लिए मसौदा तैयार करा रही है, जिसमें जल प्रदूषण या जल क्षरण संबन्धी अन्य उल्लंघनों पर प्रस्तावित प्राधिकरण कार्यवाही अमल में ला सकेगा। इस प्राधिकारण के पास नियमों का उल्लंघन करने वालों को नोटिस भेजने और कानूनी कार्यवाही करने जैसे सभी अधिकार होंगे।
नीरी की रिपोर्ट का इंतजार
केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना है कि गंगा धार्मिक आस्था के साथ रोजी-रोटी और रोजगार के अलावा सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए गंगा सफाई कार्यक्रम को चला रही है। गंगाजल के स्वयं शुद्धिकरण गुणधर्म, लंबे समय तक खराब न होने की खासियत और औषधीय गुणों के आधार को जानने के लिए नागपुर स्थित नीरी (राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान केंद्र) व सीएसआईआर का अध्ययन लगभग पूरा हो चुका है और उसकी रिपोर्ट का इंतजार है, जो जल्दी ही सरकार को मिल जाएगी। इस अध्ययन को केंद्र को तीन चरणों में पूरा करना था, जिसमें शीतकालीन, पूर्व मानसून व उत्तर मानसून मौसम में गंगा नदी के 50 से अधिक स्थलों पर नमूनों का परीक्षण किया गया है। शीतकालीन व पूर्व मानसून मौसम की अध्ययन रिपोर्ट दिसंबर 2015 में गंगा सफाई राष्ट्रीय मिशन को पेश भी की जा चुकी है। उत्तर मानसून मौसम में किए गए परीक्षणों के परिणामों का अध्ययन और संकलन अपने अंतिम चरणों में होने की जानकारी प्राप्त हुई है। इसके लिए वर्ष 2015-16 के लिए 1.60 करोड़ रुपए वितरित हुए थे। परियोजना की कुल लागत पांच करोड़ रुपए की थी।
अक्टूबर से शुरू होगी पद यात्रा
केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि विकास के लिए जनांदोलन जरूरी है। इसलिए नमामि गंगे परियोजना में जनभागीदारी को आकर्षित करने के लिए हरिद्वार से गंगा सागर तक पहला चरण शुरू होते ही आगामी अक्टूबर से अक्टूबर 2018 तक पद यात्रा करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि सप्ताह में तीन दिन शुक्रवार, शनिवार व रविवार को पद यात्रा की जाएगी, जिसमें चलाई जा रही परियोजनाओं की प्रगति का भी आकलन हो सकेगा और इस परियोजना के प्रति जनता को जागरूक किया जा सकेगा।

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