रविवार, 6 दिसंबर 2015

राग दरबार- सकरात्मक मोड पर संसद

तो चल पड़ी संसद
संसद तो चल ही रही है और विपक्षी दलों की सरकार के प्रति और सरकार की विपक्ष के प्रति रणनीति में भी सकारात्मक मोड़ नजर आ रहा है, तो इसका श्रेय पीएम मोदी तो सभी दलों को दे रहे हैं। मसलन संसद में देश व जनता के हितों के काम को दिशा देने की सोच के साथ जीएसटी जैसे कानून समेत कुछ लंबित महत्वपूर्ण विधेयक पर भले ही अभी कांग्रेस की आंखे तिरछी हों, लेकिन सरकार और विपक्ष को भी उम्मीद है कि जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों के कामों को रोकना जनहित में नहीं है और ऐसे सभी बिलों पर सहमति बन जाएगी। संसद सत्र से पहले विपक्ष के सरकार पर कई मुद्दों को लेकर जबरदस्त हमले जारी थे, जिन पर संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के तेवरों में भी नरमी आई है। राजनीतिकारों की माने तो पिछलेमानसून सत्र के दौरान जिस प्रकार से सरकार और विपक्ष की हठधर्मिता के कारण संसद में हंगामे केअलावा कुछ काम नहीं हुआ, उसके लिए सरकार और विपक्ष एक दूसरे पर जिम्मेदारी का ठींकरा फोड़ते रहे हैं, लेकिन असलियत की चर्चा में राजनीतिकारों का मान रहे हैं कि यह सब बिहार चुनाव के नतीजों ने का सबक है, जिसके बाद सरकार और विपक्ष दोनों का ही नजरिया बदला है कि जनता के हितों पर ज्यादा प्रहार करने की राजनीति में ठीक नहीं है।
चट मंगनी-पट ब्याह
यह कटु सत्य है कि जल हो या अन्य कोई भी चीज...उसका महत्व उसके जाने के बाद ही पता चलता है। जब भविष्य में जल संकट की संभावनाएं बनी हो तो उसके महत्व को पहले ही समझते हुए चल रही मुहिम में सरकार के प्रयास जारी हैं। रेलवे में जल की बर्बादी को रोकने के लिए भी रेल मंत्रालय ने भी जल संसाधन मंत्रालय का साथ लिया। यानि रेल मंत्रालय ने यहां जल सांसधन मंत्रालय के साथ एक समझौता करार किया। रेल मंत्री का कहना था कि जल का महत्व उसी प्रकार उसके संकट में महसूस होगा, जैसे किसी भी चीज के महत्व को जाने के बात समझा जाता है। इसलिए जल के महत्व को पहले ही महसूस करते हुए रेलवे ने चट मंगनी-पट ब्याह की तर्ज पर समझौता करके रेलवे में उस पर अमल करना शुरू कर दिया है। करार के समय व्यंग्यात्म लहजे में दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने एक दूसरे की तारीफो के पुल तक बांधने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
तो वीकेंड पर गोवा में नहीं होंगे पर्रिकर
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जब से गोवा के मुख्यमंत्री पद को छोड़कर देश के रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभाली है। ऐसा लगता है कि मानो उनका मन गोवा में ही रच-बस गया है और वो उससे बाहर निकल ही नहीं पा रहा है। इसकी बानगी रक्षा मंत्री लगभग हर वीकेंड पर गोवा जाकर सबके सामने प्रस्तुत भी करते रहते हैं। लेकिन शायद ये पहला ऐसा मौका होगा जब पर्रिकर इस सप्ताह में वीकेंड पर गोवा में उपलब्ध नहीं होंगे। क्योंकि उन्हें शुक्रवार सुबह सप्ताहभर के अमेरिका दौरे पर रवाना होना पड़ा। गोवा के उनके वीकेंड दौरों में हालांकि कई बार आधिकारिक कार्यक्रम भी शामिल होते हैं। लेकिन ज्यादातर इस तरह की खबरें मीडिया में आती रहती हैं कि देश की राजधानी में रक्षा मंत्री के रूप में भले ही वो अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और गंभीरता के साथ निभा रहे हैं लेकिन जब भी उन्हें मौका मिलता है तो वे अपनी पुरानी कर्म भूमि यानि गोवा जाना नहीं भूलते।
नीति नही, नीयत पर नजर
सत्ता परिवर्तन के बाद से ही रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय जितना सक्रियता दिखा रहा है, वह अद्भूत है। उसके अधिकारी भी मान रहे हैं कि मंत्रालय दिन दूना तेजी से आगे बढ़ रहा है। वो यूं की, मंत्रालय ने खाद, औषधि, रसायन से लेकर चिकित्सा उपकरण तक के लिए नई नीति तैयार कर आगे बढ़ने को मचल रहा है। जिसमें से नई यूरिया नीति तो आ गई। जबकि औषधि नीति तैयार होने के बाद भी आगे बढ़ नही पा रही। इस बारे में पहले तो अधिकारी जोरशोर से बोलने को तैयार मिलते थे, अब उल्टा सवाल दाग रहे कि, जनाब क्या हुआ। कई अधकारी तो अब चुटकी भी ले रहे हैं कि, अब पहले नीति ही बना लें फिर आगे अमल होगा। अब जो जनता देख रही है वो नीति से ज्यादा नीयत पर नजर गड़ाए है। अगर नीति बनी भी और जमीन पर ठीक से न उतरी तो ..नीयत पर सवाल उठना तय है।
06Dec-2015

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