केंद्र सरकार ने लागू की नई परियोजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राष्ट्रीय
राजधानी दिल्ली से होकर गुजर रही यमुना नदी की सफाई के नाम पिछले दो दशक में
यमुना एक्शन प्लान के तहत करीब 32.70 अरब रुपये से भी ज्यादा की रकम बहा दी
गई है, लेकिन उसकी हालत और बद से बदतर हो गई है। अब केंद्र सरकार ने नए
सिरे से कार्य योजना तैयार करके दो साल में यमुना को अस्सी फीसदी साफ करने
के लिए 1357 करोड़ की लागत वाली एक इंटरसेप्टर सीवर परियोजना शुरू की है।
केंद्रीय
जल संसाधन मंत्रालय ने केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के हवाले से जानकारी दी है
कि वर्ष 1993 में नदी की सफाई के लिए यमुना कार्य योजना शुरू की गई थी,
जिसमें सीवरेज, मल-जल को बीचे में रोकने और नालों के डाईवर्जन, सीवेज शोधन
संयंत्रों, कम लागत से स्वच्छ और सामुदायिक शौचालय कॉम्पलैक्स, विद्युत या
लकड़ी के उन्नत शवदाह गृह बनाने संबन्धी विभिन्न कार्य भी शुरू किये गये।
यमुना कार्य योजना के पहले दो चरण में प्रदूषित क्षेत्रों में प्रदूषण
नियंत्रण कार्यो की दिशा में 305 स्कीमें मंजूर की गई, जिसमें 942 एमएलडी
की शोधन क्षमता को सृजित किया गया। यही नहीं मौजूद सीवेज शोधन संयंत्रों के
पुररूद्धार एवं उन्नयन हेतु 1656 करोड़ की लागत से दिल्ली के लिए यमुना
कार्य योजना के तीसरे चरण को भी शुरू किया गया, लेकिन प्रदूषण और गंदगी से
मैली यमुना की हालत और बद से बदतर होती गई। अब केंद्र सरकार द्वारा शुरू की
गई 1357 करोड़ रुपये की लागत वाली इंटरसेप्टर परियोजना के जरिए दिल्ली में
यमुना नदी को 80 प्रतिशत तक साफ करने का खाका तैयार किया है। केंद्रीय जल
संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने गुरुवार को
यह ऐलान करते हुए कहा कि तर्क दिया कि अकेले दिल्ली में यमुना के 20
किलोमीटर के स्ट्रेच में एमएलडी 5021.4 है, जिसमें से केंद्र सरकार की नई
योजना में अभी तक 3031.1 एमएलडी के शोधन की क्षमता अर्जित कर ली गई है।
मसलन वर्ष 2017 तक इस 20 किलोमीटर के स्ट्रेरच में एक इंटरसेप्टर का
निर्माण पूरा हो जाएगा, जो यमुना की 80 प्रतिशत गंदगी को साफ कर सकेगा।
इंटरसेप्टर लगाने के बाद भी 18 नालों से गिरने वाली गंदगी को पूरी तरह साफ
नही किया जा सकेगा और 52 फीसदी गंदगी उसके बाद भी रह जाएगी।
पूरी सफाई को समिति गठित
यमुना
नदी के समूचे स्ट्रेच की सफाई पर विचार करने के लिए जल संसाधन मंत्रालय के
सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है, जिसमें शहरी विकास
मंत्रालय, दिल्ली सरकार, सड़क परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधिकारी शामिल
हैं। इस समिति को निर्देश दिया है कि जल संसाधन मंत्रालय और दिल्ली सरकार
तथा केंद्र सरकार के अन्य विभाग मिलकर यमुना की सफाई के लिए एक विस्तृत
कार्य योजना अगले वर्ष अप्रैल तक तैयार कर लें, जिसे हम अगले वर्ष अप्रैल
से कार्यान्वयन के स्तर पर ले आयेंगे।
दिल्ली
मेें आकर यमुना में आकर सबसे ज्यादा गंदगी को लेकर केंद्रीय जल संसाधन
मंत्री उमा भारती ने कहा कि 80 फीसदी गंदगी दिल्ली के 18 नालों से पड़ती है।
दिल्ली में 20 किमी इलाकें में दिल्ली की गंदगी के हिसाब से कार्ययोजना
बनाई जाए तो इसकी सफाई में 15 साल भी कम पड़ सकते हैं। जबकि केंद्र सरकार ने
वर्ष 2019 तक यमुना नदी को स्वच्छ बनाने के नतीजे देने के लिए लक्ष्य तय
किया है। भारती का कहना है कि इंटरसेप्टर लगाने के बाद भी दिल्ली के 18
नालों से गिरने वाली गंदगी को पूरी तरह साफ नहीं किया जा सकेगा और 52 फीसदी
गंदगी उसके बाद भी रह जाएगी।
हरियाणा में दो परियोजना मंजूर
यमुना
नदी के प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार की इस योजना में सोनीपत व
पानीपत नगरों में 217.87 करोड़ रुपये की लागत से दो परियोजनाओं को मंजूरी दी
है, ताकि प्रमुख परियोजना में 70 एमएलडी की क्षमा के नए सीवेज शोधन
संयंत्रों का निर्माण और 75 एमएलडी क्षमता वाले मौजूदा सीवेज शोधन
संयंत्रों का पुनरूद्धार किया जा सके।
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