सोमवार, 14 दिसंबर 2015

उपग्रह से होगी परिवहन व्यवस्था की निगरानी!

सड़क हादसों पर काबू करने की कवायद
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दुनियाभर में सड़क हादसों में भारत में हो रही सर्वाधिक मौतों को काबू करने की कवायद में जुटी केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं में में ही एक फार्मूला तैयार किया है। जिसके जरिए भीड़भाड़ वाले शहरों और उसके आसपास की सड़कों पर आसमान में उपग्रह के जरिए यातायात व्यवस्था पर पैनी नजर रखी जा सकेगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार मंत्रालय ने सड़कों की आसमान से कैमरों के जरिए निगरानी रखने के लिए एक पायलेट परियोजना शुरू करने का खाका तैयार करके काम शुरू कर दिया है। सरकार के इस फार्मूले के तहत पहले चरण में उन शहरों को शामिल किया गया है जिनकी आबादी पांच लाख या उससे ज्यादा है। मंत्रालय के अनुसार इस फार्मूले का मकसद सड़क हादसों को रोकने और यातायात व्यवस्था में सुधार लाना है। इस नई व्यवस्था को लागू करने से यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले उन लोगों पर शिकंजा कसा जा सकेगा, जो पुलिस के चालान को अदालत में चुनौती देकर बचते रहे हैं। अब सरकार ने यातायात नियमों के उल्लंघन को रिकार्ड करने के लिए उपग्रहों से जुड़े कैमरे लगाने की योजना शुरू की है। इससे यदि अदालत में चुनौती देने वाला व्यक्ति यातायात नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया तो उससे दोगुना जुर्माना वसूल किया जाएगा। केंद्र सरकार का मानना है कि इससे जहां यातायात व्यवस्था में सुधार होगा, वहीं सड़क हादसों में भी कमी आएगी। इसके अलावा पुलिस पर वाहन चालकों को तंग करने की शिकायते कम होने से भ्रष्टाचार पर भी लगाम लग सकेगी। एक अध्ययन में पाया गया है कि देश में यातायात नियम तोड़ने वालों में 30 फीसदी लोग चालान के खिलाफ अदालत में चले जाते हैं। इस नई व्यवस्था लागू होने से अब पुलिस या परिवहन प्राधिकरण को भी दोष साबित करने में मशक्कत नहीं करनी पडेगी।
राज्यों को आर्थिक मदद
सड़क पर यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए इस नई प्रणाली को लागू करने के लिए राज्यों को आधा खर्च केंद्र सरकार देगा। इस फार्मूले को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में प्रयोग किया जा रहा है, जिससे सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसलिए केंद्र सरकार ने अब इस प्रयोग को अन्य राज्यों में पायलट परियोजना के रूप में कुछ चुनिंदा शहरों में करने का खाका तैयार कर लिया है। सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार ने इस योजना को अमल में लाने के लिए सभी राज्य सरकारों से सुझाव मांगे हैं और ऐसे शहरों की सूची मांगी है, जिनकी आबादी पांच लाख या उससे अधिक है।
14Dec-2015


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें