गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

नौ विधेयकों पर लगी संसद में मुहर!

शीतकालीन सत्र संपन्न:
लोकसभा में 14 व राज्यसभा में नौ विधेयक हो सके पास
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में भले ही मोदी सरकार कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के निशाने पर रही हो, लेकिन सरकार ने खासकर कांग्रेस के हंगामे के बावजूद संसद में नौ विधेयकों को कानून की राह दिखाकर कहीं हद तक कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास किया। हालांकि जीएसटी और रियल एस्टेट विधेयक फिर लटक गये हैं। लोकसभा में 14 और राज्यसभा में अंतिम दिनों की उतार-चढ़ाव की कार्यवाही में नौ विधेयकों पर मुहर लगाई गई है।
लोकसभा का शीतकालीन सत्र की 20 बैठकों में विपक्ष खासकर कांग्रेस के हंगामे के बीच सरकार 14 विधेयकों को पारित कराने में सफल रही है, जिनमें नौ में से आठ नए विधेयक भी शामिल रहे। एक नए बिल को संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया है। लोकसभा में पारित हुए प्रमुख बिलों में भारतीय मानक ब्यूरो, उच्च न्यायाल और उच्चतम न्यायाल न्यायाधीश(वेतन और सेवा शर्त)संशोधन विधेयक, वाणिज्यक न्यायालय, उच्च न्यायालय वाणिज्यक प्रभाग और वाणिज्यिक अपील प्रभाग, माध्यस्थम और सुलह (संशोधन) विधेयक तथा राष्टÑीय जलमार्ग भी शामिल है। जबकि दिवालिया विधेयक को जेपीसी के हवाले कर दिया गया। इन विधेयकों के अलावा लोकसभा में 2015-16 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगें और 2012-13 के लिए अतिरिक्त अनुदान मांगों को भी मंजूरी दी गई। संसदीय कार्य मंत्रालय के अनुसार इस सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण वित्तीय, विधायी और अन्य कार्यो का निपटान किया गया। वहीं सत्र के पहले दो दिन संविधान निर्माता डा. बी आर अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर भारत के संविधान के प्रति वचनबद्धता पर विशेष बैठक भी हुई। डा़ बी आर अंबेडकर की जयंती पर भारत के संविधान के प्रति अपनी वचनबद्धता को लेकर 13 घंटे और 53 मिनट तक चर्चा हुई, जिसके बाद एक संकल्प पारित किया गया। लोकसभा में कांग्रेस के हंगामे के कारण 8 घंटे 37 मिनट का समय नष्ट हुआ। सभा नष्ट हुए समय की क्षतिपूर्ति के लिए 17 घंटे 10 मिनट देर तक कार्यवाही चलाई गई, जिसके कारण उत्पादन क्षमता 104 प्रतिशत दर्ज हुई। सदन में हंगामे के बाजूद लोसभा अध्यक्ष के समक्ष लोक महत्व के लगभग 629 मामले उठाये गये और नियम 377 के तहत भी सदस्यों ने 331 मामले उठाए। वहीं स्थायी समितियों ने सभा में 62 प्रतिवेदन प्रस्तुत किये।
राज्यसभा में अंतिम दिन चार विधेयक पारित
राज्यसभा में शीतकालीन सत्र में पहले सप्ताह को छोड़कर लगातार अंत तक किसी न किसी मुद्दे पर कांग्रेस का हंगामा बरपता रहा। राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी की सर्वदलीय बैठक में सहमति से अंतिम तीन दिनों में सरकार सदन में नौ विधेयक पारित करा सकी, जिसमें एससी/एसटी, विनियोग के दो विधेयक भी शामिल हैं। बुधवार को अंतिम दिन लोकसभा से पारित हो चुके चार विधेयकों पर भी राज्यसभा से मंजूरी मिल गई। मसलन अंतिम दिन उच्च न्यायालय वाणिज्यक प्रभाग और वाणिज्यिक अपील प्रभाग, माध्यस्थम और सुलह (संशोधन) विधेयक, परमाणु ऊर्जा और अंतिम क्षणों में बोनस भुगतान(संशोधन) विधेयक को भी सदन ने मंजूरी दी है। संसदीय कार्य मंत्रालय के अनुसार राज्यसभा के 237वें सत्र में नौ विधेयकों को मंजूरी देने के अलावा एक नया बिल भी पेश किया गया, जबकि तीन विधेयक वापस लिये गये। दो विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है। हंगामे के कारण सदन में केवल 27 सवाल ही पूछे जा सके हैं, जबकि हंगामे के दौरान 1691 दस्तावेज सदन के पटल पर रखे गये और तीन अल्पकालिक चर्चाएं ही हो सकी। राज्यसभा में नौ विधेयक पास होने के कारण उत्पादक क्षमता 46 प्रतिशत ही दर्ज हो सकी। मसलन 64 प्रतिशत यानि करीब 48 घंटे का समय हंगामे की भेंट चढ़ गया है।
राज्यसभा: अंतिम क्षणों में बोनस विधेयक भी पास
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली
राज्यसभा में संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन लोकसभा में पारित हो चुके परमाणु ऊर्जा (संशोधन) विधेयक समेत चार विधेयकों को मंजूरी दे दी है, जबकि सूचना प्रदाता विधेयक फिर से जीएसटी और रियल एस्टेट विधेयकों की तरह लटक गया है। उच्च सदन में अंतिम दिन पहले हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित की गई और बाद में एक बजे के बाद शुरू हुई कार्यवाही में जल्दी जल्दी वाणिजियक न्यायालय, उच्च न्यायालय वाणिज्यिक प्रभाग और वाणिज्यिक अपील प्रभाग विधेयक, मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) विधेयक तथा परमाणु ऊर्जा (संशोधन) विधेयक को बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। ये सभी बिल लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इसके बाद विश्व व्यापार संगठन की नरौबी में हुई बैठक पर वाणिज्य मंत्री सीतारमनने अपना वक्तव्य सदन के पटल पर रखा तो सदस्यों ने स्पष्टीकरण मांग लिया, जिस पर आधे घंटे से अधिक समय लिया गया। इसके बाद सरकार के अनुरोध पर अंतिम क्षणों में कर्मचारियों के लिए बोनस संबंधी वेतन की पात्रता को 10 हजार रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 21 हजार रुपए के प्रावधान वाले बोनस संदाय संशोधन विधेयक-2015 को बिना चर्चा के ध्वनिमत से अपनी मंजूरी दे दी गई। जबकि इससे पहले चीन उपकर संशोधन विधेयक को धन संबन्धी विधेयक के बावजूद ज्यादातर दलों ने विरोध किया और वह भी लटक गया। इससे पहले पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सदन की अनुमति से भारतीय वन (संशोधन) विधेयक 2012 को वापस ले लिया। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने राजेन्द्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय विधेयक 2015 पेश किया। इस विधेयक में बिहार के पूसा स्थित राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय को केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने के अलावा इसमें राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने का भी प्रावधान है।
हंगामे का ठीकरा सरकार के सिर
नई दिल्ली
। शीतकालीन सत्र में हंगामा काटकर सदन का समय खराब करने पर देशभर में विपक्षी दलों की खासकर कांग्रेस पार्टी के सांसदों को राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने इशारे-इशारे में खरीखरी सुनाई तो पार्टी की ओर से सफाई देने लोकसभा में संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और गुलामनबी आजाद को उतारा गया। दोनों नेताओं ने शीतकालीन सत्र के ˜वाश आउट होने का ठीकरा सरकार पर फोड़ते हुए कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी मूल रूप से सरकार की होती है। 
24Dec-2015

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