राज्यसभा में बढ़ाया लंबित कामकाज का बढ़ा बोझ
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।

संसद
शीतकालीन सत्र का यह सप्ताह हंगामे के नाम रहा। लोकसभा में हंगामे के बीच
कामकाज होता रहा। जबकि राज्यसभा में एक भी दिन प्रश्नकाल नहीं हो सका और
अन्य कामकाज भी लगभग ठप रहा। लोकसभा में हुए कामकाज के कारण राज्यसभा में
लंबित कामकाज का बोझ बढ़ गया है और मौजूदा संसद सत्र की केवल तीन बैठके होना
शेष है।
संसद के शीतकालीन सत्र की अभी तक 19 बैठकें हो चुकी है,
जिसमें पिछले दो सप्ताह से हंगामे के कारण राज्यसभा में लगभग कामकाज ठप चल
रहा है और प्रश्नकाल तक भी हंगामे की भेंट चढ़ता रहा है। कांग्रेस व अन्य
दलों के संसद में सरकार के खिलाफ जारी हंगामे के बावजूद लोकसभा में आगे
बढ़ते रहे विधायी और अन्य कामकाज के कारण राज्यसभा में लंबित कामकाज का
ज्यादा बोझ बढ़ गया है, जिसे इस सत्र के बचे शेष तीन दिन की कार्यवाही में
निपटना नामुमकिन ही नहीं, बल्कि असंभव होगा। ऐसे में केंद्र सरकार के कई
महत्वपूर्ण विधेयक फिर लटके रह सकते हैं। यदि राज्यसभा में सभापति हामिद
अंसारी की सर्वदलीय बैठक में अपील के बाद राज्यसभा शेष तीन दिनों में
सुचारू रूप से चलती भी है तो भी लोकसभा में हुए कामकाज पर उच्च सदन की मुहर
लगता मुश्किल होगा। हालांकि सरकार और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों से
गतिरोध के कारण जीएसटी और रियल एस्टेट जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों से फिलहाल
केंद्र सरकार आमसहमति बनने तक गौर करने का इरादा बदल चुकी है।
लंबित मामलों में इजाफा

राज्यसभा
में विधायी कार्यो को बोझ निरंतर बढ़ गया है, जिसका कारण है कि लोकसभा में
हंगामे के बावजूद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश (वेतन व सेवा शर्तें)
संसोधन विधेयक, वाणिज्यक न्यायालय, उच्च न्यायालय वाणिज्यक प्रभाग संबन्धी
विधेयक, मध्यस्थता और सुलह समझौता (संशोधन) विधेयक, परमाणु ऊर्जा (संसोधन)
विधेयक, भारतीय ट्रस्ट (संसोधन) विधेयक, बोनस भुगतान (संसोधन) विधेयक,
चीनी उपकर (संसोधन) विधेयक, औद्योगिक (नियमन व विकास) संसोधन विधेयक,
विनियोग विधेयक, पारित करने के साथ ही अनुदान मांगे संबन्धी कार्यो को भी
मंजूरी मिलने से यह कामकाज उच्च सदन के पाले में चला गया है। जबकि राज्यसभा
में पहले से भ्रष्टाचार रोकथाम (संसोधन) विधेयक, जीएसटी यानि संविधान
(122वां संसोधन) विधेयक, परक्राम्य लिखत (संसोधन) विधेयक, व्हिसिल ब्लोअर
संरक्षण (संसोधन) विधेयक, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण)
विधेयक, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) संसोधन विधेयक,
विनियोजन विधेयक, बालश्रम (संरक्षण व नियमन) संसोधन विधेयक के अलावा रीयल
इस्टेट (नियमन व विकास) विधेयक शामिल थे।
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