शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

तीन साल में दोगुना बढ़े बाल अत्याचार के मामले

धरी रह गई सरकार की सभी योजनाए
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार भले ही देश में बाल अत्याचारों पर काबू पाने के लिए सख्त कानून और तमाम तरह के दावे किये जाते रहे हों, लेकिन पिछले तीन साल में बाल अत्याचारों के मामले कम होने के बजाए दो गुना से भी ज्यादा मामले बढ़े हैं। मसलन सरकार की रोकथाम और ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में जागरूकता शिविर और अन्य सभी अभियान धरे के धरे रह गये हैं। केंद्र सरकार ने गुरुवार को बाल अत्याचारों में हो रही निरंतर बढ़ोतरी को स्वीकार करते हुए आंकडे पेश किये हैं। गृह मंत्रालय के जारी इन आंकड़ों के मुताबिक स्पष्ट है कि बाल अत्याचार को रोकने के लिये देश में लागू सख्त कानून और देशभर में चलाए जा रहे विभिन्न अभियानों का प्रभाव पूरी तरह से नगण्य है। मसलन इन अभियानों में खर्च की जा रही करोड़ो की रकम भी बट्टे खाते में जा रही है। यदि पिछले तीन साल के आंकड़ो पर गौर की जाए तों देश भर में बच्चों पर अत्याचार की घटनाओं में दोगुना वृद्धि देखने के मिलती है। उधर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी गुरुवार को राज्यसभा में सांसदों द्वारा पूछे गये सवालों में इस आंकड़े की पुष्टि करते हुए कहा कि बच्चों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर कहा कि देशभर में वर्ष 2012 में बच्चों के खिलाफ अत्याचार के 38 हजार 172 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2013 में 58 हजार 224 और 2014 में 89 हजार 423 मामले दर्ज हुए हैं। आंकड़ो से जाहिर है कि पिछले तीन साल में पिछले तीन साल में बाल अत्याचार की घटनाओं में दोगुनी वृद्धि हुई।
ठोस कदम उठाने का दावा
केंद्र सरकार ने देश में बाल अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए फिर से दावा किया है कि केंद्र सरकार ने बाल अत्याचारों को रोकने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। जिसमें इसी साल मार्च से एक आनलाइन शिकायत प्रणाली भी चालू की गई। इसके अलावा बच्चों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने के लिए देश में सेमीनार, कार्यशालाएं और प्रशिक्षण आयोजित करने की योजना भी शुरू करने का दावा किया गया है। वहीं बाल अधिकारों के क्रियान्वयन की निगरानी के साथ कानून को सख्ती से लागू करने का भरोसा दिया है।
04Dec-2015

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