गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

स्मार्ट सिटी योजना पर छाए संकट के बादल!

केंद्र को किसी राज्य ने नहीं भेजा योजना का प्रस्ताव
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्मार्ट सिटी मिशन पर शायद राज्य सरकारें गंभीर नहीं है। ऐसे में सरकार के इस मिशन को पलीता लगता दिख रहा है। मसलन किसी भी राज्य सरकार ने स्मार्ट सिटी योजना अभी तक केंद्र सरकार के समक्ष पेश नहीं की है, जबकि राज्यों को दी गई समय सीमा 15 दिसंबर को खत्म हो जाएगी।
केंद्र सरकार ने देश में पुराने शहरों को स्मार्ट शहरों में बदलने के मकसद से अगस्त में 98 स्मार्ट सिटी के नामों का ऐलान किया था, जिसमें राज्यों के चयनित शहरों के स्मार्ट सिटी योजना का प्रस्ताव भेजने के लिए 15 दिसंबर तक की समयसीमा तय की थी, लेकिन अभी तक किसी भी राज्य ने केंद्र सरकार को स्मार्ट सिटी प्लान भेजने का कोई प्रयास नहीं किया है। इसके लिए राज्य सरकारों के पास केवल एक सप्ताह की समयसीमा बची है। शहरी मंत्रालय के सूत्रों की माने तो अभी तक किसी भी राज्य ने मंत्रालय में अपना स्मार्ट सिटी प्लान नहीं भेजा है। इसके लिए शहरी विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को स्मरण पत्र भेजकर 15 दिसम्बर की समय सीमा में विस्तार करने से इंकार कर दिया है, जिससे राज्य असमंजस की स्थिति में हैं। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार राज्यों को शहरों में समीप के क्षेत्र को विकसित करने के लिए योजना बनानी है। ऐसी मुश्किलों में फंसी राज्य सरकारों के गंभीर न होने के कारण स्मार्ट सिटी मिशन को पलीता लगता नजर आ रहा है। शहरी मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार के तय दिशानिर्देशों में सख्त प्रावधान के कारण राज्य राजनीतिक लक्ष्य साध रहे हैं। मसलन राज्य सरकारों को शहरी विकास मंत्रालय के दिशानिर्देशों की व्याख्या के कारण स्मार्ट सिटीज के लिए क्षेत्रीय विकास योजना तैयार करने में परेशानी आ रही है। दरअसल दिशानिर्देशों में दिए गए 'कॉम्पैक्ट एरिया'वाक्यांश के कारण राज्यों के सामने स्मार्ट सिटी प्लान तैयार करना मुश्किल बना हुआ है।

क्या हैं दिशानिर्देश
केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन स्टेटमेंट और दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पूरा फोकस सस्टेनेबल और इनक्लूसिव डेवलपमेंट पर होगा और हमारा आइडिया कॉम्पैक्ट एरियाज पर गौर जरूरी है। वहीं रेप्लिकेबल मॉडल (दोहराए जा सकने योग्य मॉडल) तैयार करना चाहते हैं, जो दूसरे उभरते शहरों के लिए लाइट हाउस की तरह काम करने को कहा गया है। मसलन केंद्र सरकार राज्यों से चाहती है कि राज्य सरकारें किसी शहर में लगे हुए क्षेत्रों यानि कंटीग्यूयस एरिया को भी विकसित करें। चंडीगढ़ और नई दिल्ली जैसे शहरों को तो किसी तरह की समस्या नहीं झेलनी पड़ रही है। लेकिन अनियोजित विकास और जमीन की किल्लत के कारण राजस्थान,मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल जैसे बड़े राज्यों के लिए आगे की राह मुश्किल नजर आ रही है।
10Dec-2015


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