रविवार, 6 दिसंबर 2015

सांसदों के वेतन-भत्तों में इजाफे पर नरम सरकार!

केंद्र को जल्द सौंप सकती है संसदीय समति अपनी रिपोर्ट
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में नौकरशाहों के वेतन और फिर कुछ राज्यों में विधायकों का वेतन सांसदों के वेतन से ज्यादा होने पर ऐसी संभावना जताई जा रही है कि केंद्र सरकार सांसदों के वेतन-भत्ते बढ़ाने के लिए संबन्धित विधेयक को संसद में पेश कर सकती है। संसद की वेतन-भत्तों संबन्धी समिति फिर से जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है।
सूत्रों के अनुसार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को माना गया तो कैबिनेट स्तर के सचिव का वेतन 2.25 लाख हो जाएगा। इसलिए केंद्र सरकार ने कैबिनेट स्तर के सचिव के वेतन की तुलना में मंत्रियों और सांसदों का वेतन ज्यादा होने पर विचार करना शुरू कर दिया है। हाल ही में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ऐसा विधेयक पारित करके मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों के वेतन-भत्तों में एक सौ प्रतिशत का इजाफा किया है, जिससे विधायकों का वेतन प्रधानमंत्री और सांसदों से ज्यादा हो जाएगा। ऐसी स्थिति को देखते हुए कुछ सांसदों ने राज्यसभा में भी यह मांग उठाते हुए प्रस्ताव दिया कि सांसदों का वेतन कैबिनेट सचिव से एक रुपये ज्यादा होना चाहिए। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार फिलहाल इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है कि प्रधानमंत्री, मंत्री और सांसदों का वेतन सरकार के कैबिनेट स्तर के सचिव की तुलना में कम से कम एक हजार रुपये अधिक होना चाहिए। ऐसी संभावना है कि सांसदों के वेतन-भत्ते बढ़ाने संबन्धी संसदीय समिति को पुनर्विचार के लिए वापस की गई सिफारिशों वाली रिपोर्ट को केंद्र सरकार जल्द सौंपने के लिए कह सकती है, ताकि वेतन-भत्ते बढ़ाने वाले विधेयक को सरकार संसद के मौजूदा सत्र में ही पारित कराकर सांसदों की टीस का समाधान कर सके। जुलाई को सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में भारी भरकम सिफारिशें की गई थी, जिन्हें सरकार ने खारिज करते हुए समिति से फिर से विचार करके रिपोर्ट सौंपने को कहा था।
खारिज हो चुका सुपर समिति का प्रस्ताव
राज्यसभा में जब बुधवार को सांसदों का वेतन बढ़ाने की मांग उठाई थी तो सभापीठ ने सरकार के उस प्रस्ताव को एक सिरे से खारिज कर दिया था कि सांसदों के वेतन भत्ते बढ़ाने के संबन्धी में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति गठित की जा रही तो उसकी निगरानी के लिए सुपर समिति का इसलिए कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि संसद ही सर्वोच्च है। गौरतलब है कि जुलाई में जब संसदीय समिति ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी तो केंद्र सरकार ने वेतन-भत्ते बढ़ाने संबन्धी सिफारिशों को यह कहकर खारिज कर दिया था कि सांसदों को अपने ही वेतन पर फैसला करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए और इसके लिए तीन सदस्य स्वतंत्रत पारिश्रमिक आयोग बनाने का प्रस्ताव रखा था।
06Dec-2015

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