गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

तीन सौ करोड़ से ज्यादा में पड़ी संसद की कार्यवाही!

राज्यसभा में हंगामे में फूंकी ज्यादा रकम
दोनों सदनों में हंगामे की भेंट चढ़ी 85 करोड़
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र राज्यसभा को काम के लिए जितना वक्त दिया गया था, उसमें से लोकसभा के मुकाबले राज्यसभा में केवल आधे से भी कम समय तक काम हो पाया। मसलन दोनों सदनों में करीब 56 घंटे का समय बर्बाद हुआ, जिसमें 84 करोड़ रुपये की रकम हंगामे की भेंट चढ़ गई। जबकि पूरे संसद सत्र पर 300 से ज्यादा करोड़ खर्च का बोझ सरकार के राजस्व पर पड़ा है।
राज्यसभा ने 9 बिल पास किए और 46 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी दर्ज की गई। पिछले साल संसद में लाए गए जीएसटी बिल ने इस बार भी राज्यसभा में विचाराधीन रहा। संसद को अपने रडार पर रखते हुए खर्च और समय का आकलन करने वाली एजेंसी पीआरएस के अनुसार लोकसभा ने करीब 50 घंटे गैर वैधानिक काम में बिताए, वहीं 33 घंटे वैधानिक कामकाज में बीते। जबकि राज्यसभा में गैर वैधानिक काम में 37 घंटे और वैधानिक काम में 10 से भी कम घंटे बिताए गए। मसलन राज्यसभा ने अपने तयशुदा घंटों में से 64 प्रतिशत वक्त निचले सदन ने गैर वैधानिक काम में बिताए। बुधवार को संपन्न हुए संसद के शीतकालीन सत्र पर नजर डाले तो लोकसभा में आठ घंटे 37 मिनट का समय हंगामे के कारण बर्बाद हुआ, जबकि राज्यसभा में करीब 48 घंटे की कार्यवही हंगामे की भेंट चढ़ी। मसलन दोनों सदनों में करीब 56 घंटे से ज्यादा का समय बर्बाद हुआ, जिसमें दोनों सदनों में औसतन छह घंटे प्रतिदिन की कार्यवाही के हिसाब से 20 बैठकों पर हर घंटे 2.5 करोड़ रुपये के हिसाब से 300 करोड़ रुपये बैठता है। जबकि इस खर्च में पहले दो दिन डा. अंबेडकर की जयंती के विशेष बैठक का खर्च शामिल नहीं है। संसद के सत्र के दौरान हर मिनट और घंटे खर्च होने वाली रकम की आहुति इस लोकतंत्र के हवन में डाली ही जाती है, भले ही कार्यवाही चले या हंगामे के कारण न चले। मसलन संसद की कार्यवाही न चलने का नुकसान होने वाली रकम देश की जनता की होती है जो सरकार के विभिन्न करो के रूप में अदा करती है। संसदीय सूत्रों के अनुसार औसतन दोनों सदनों में एक दिन की कार्यवाही पर 15 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। संसद के शीतकालीन सत्र में 20 दिनों की बैठके हुई, भले ही उस दौरान कामकाज हुआ या हंगामा इसका नियत खर्च पर कोई फर्क नहीं पड़ता यानि इन दिनों में एक दिन की दोनों सदनों में कार्यवाही पर 15 करोड़ के हिसाब से 300 करोड़ रुपये का खर्च बैठता है।
लोकसभा में हुआ ज्यादा काम
हालांकि हर सत्र में प्रतिदिन एक घंटा सदस्यों को दिया जाता है ताकि वह मंत्रालयों से उनके कामकाज के बारे में सवाल कर सकें, जिसमें लोकसभा ने इस काम में 87 प्रतिशत उत्पादन क्षमता दिखाई यानि करीब 15 घंटे का प्रश्नकाल चलाया गया। जबकि राज्यसभा में प्रश्नकाल के लिए केवल 14 प्रतिशत हिस्सा ही इस्तेमाल किया गया यानि पूरे सत्र का सिर्फ ढाई घंटा आंका गया है। पिछले दिनों के मुकाबले मंगलवार को आम सहमति के बाद राज्यसभा ने सिर्फ 22 दिसबंर को लगातार पांच घंटे काम किया जब किशोर न्याय विधेयक किया गया।
24Dec-2015

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