गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

गरीब बच्चों की रोशनी बन गये अनिल शर्मा

अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस पर विशेष
ओ.पी. पाल
देश में विकलांग ही नहीं, बल्कि बॉडीबिल्डर, पॉवरलिफ्टिंग में गोल्ड मैडलिस्ट रह चुके अनिल शर्मा भले ही आज नई दिल्ली स्थित हनुमान मंदिर परिसर में कचौडी, समोसे और ब्रेड पकोड़ों की दुकान लगाकर लोगों को स्वाद चखाने को मजबूर है, लेकिन खुद विकलांग होते हुए भी अब गरीब और विकलांगों को ज्ञान की रोशनी देकर उन्हें रोशन करने की मुहिम में जुट गये हैं। हालांकि लोगों के लिए बाबा खड़कसिंह मार्ग स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर परिसर में "अनिल जी की कचौड़ी" का स्वाद का एक पुराना ठिकाना बन चुका हैै। जहां लोग यहां सुबह से देर रात तक कचौड़ी, समोसे और ब्रैड पकौड़ों का सेवन करते हैं। यह जानकार लोग अचंभित होते हैं कि अनिल शर्मा एक बॉडीबिल्डर व पॉवरलिफ्टिंर रह चुका है। हरिभूमि से बातचीत के दौरान शर्मिले स्वभाव के अनिल शर्मा बताते हैं कि मंदिर परिसर में गरीबों और विकलांग बच्चों को उनके मौलिक अधिकारों का ज्ञान दिया जाए तो वे समाज के लिए बेहतर योगदान दे सकते हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी कचौड़ी की दुकान से होने वाली कमाई से "रोशनी सनलाइफ फाउंडेशन...एक प्रयास" नामक एक एनजीओ का गठन किया, जिसमें उसने गरीब और जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा और खेल के क्षेत्र में मदद करते हुए बच्चों की जिंदगी रोशन करना शुरू कर दिया। इस मुहिम में अनिल शर्मा के जज्बे और मेहनत को देख उनके साथ उनके गुरु गुरु द्रोणाचार्य अवार्डी भूपेन्द्र धवन के अलाव खेल जगत से जुड़े अशोक किंकर, विजय कुमार, राकेश थपलियाल और नारायण सिंह भी शामिल हो गये हैं। अपने पिता के कारोबार को चलाते हुए परिवार का पालन पोषण करने वाले विकलांग अनिल शर्मा की इस मुहिम को देख कोई भी दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाता है।
तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस के उपलक्ष्य में अनिल की ह्यसन लाइफ फाउंडेशनह्ण अपने साथ जुड़े गरीब लड़कों और लड़कियों को कंप्यूटर और लैपटॉप पर कार्य करने का प्रशिक्षण देने की शुरूआत करने का निर्णय लिया है। ताकि किताबी शिक्षा के साथ वे तकनीकी और आधुनिक शिक्षा भी हासिल कर सकें। हरिभूमि संवाददाता को अनिल शर्मा ने बताया कि उनके पास एक डेस्कटॉप और दो-तीन लैपटॉप हैं उनके जरिए हम बच्चों को शुरू में फाइल बनाना और टाइप करना सिखाएंगे। इसके बाद इन बच्चों को खेलों में भी प्रशिक्षित करना शुरू किया जाएगा और नए साल के शुरू में बच्चों के लिए एक चिकित्सा शिविर भी लगाया जाएगा। इसके साथ ही फाउंडेशन रोशनी की टीम दिल्ली यातायात पुलिस के साथ मिलकर लोगों को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करने का कार्य भी कर रही हैं।
सफलता की कुंजी सही राह
अनिल शर्मा का कहना है कि इस कचौड़ी की दुकान की शुरूआत मेरे पिता ने 35 साल पहले की थी। हमारे इस क्षेत्र में तब से अब तक कोई बदलाव नहीं आया है। यहां जिन्हें वह बचपन से भीख मांगते हुए देखा करता था वो आज भी भीख ही मांगते दिख रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चे उचित शिक्षा और मार्गदर्शन के अभाव में सड़कों पर भटकते रहते हैं। उनकी हालत को देखते हुए ही उन्होंने यह सन लाइफ फाउंडेशन ... एक प्रयास की शुरूआत की है। इसका उद्देश्य गरीब और विकलांग बच्चों को शिक्षा और खेलों के जरिए अपने जीवन को संवारने के लिए मार्गदर्शन देना और उन्हें हर संभव सहायता देना है। अनिल का दायां पैर जन्म से ही एक फुट छोटा है और बचपन से ही आस-पास रहने वाले उसे चिढ़ाते थे, लेकिन गुस्सा आने के बावजूद उसने संयम के साथ सही राह पर चलने का मन बनाया।
अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियां
द्रोणाचार्य अवॉर्डी भूपेन्द्र धवन के ह्यद जिमह्ण में गुर सीख विकलांगों की पैरालिंपिक पॉवरलिμिटंग और बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं में शिरकत की और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओें में पदक जीते। अनिल कि अनुसार विदेशो में भी उसने देश के लिए मेडल जीते। स्पेन के वेलेंसिया शहर में मई 2000 में स्पेनिश ओपन अंतरराष्ट्रीय पॉवरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। इससे पूर्व स्पेन में ही 1988 में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में चौथा स्थान पाया था। वर्ष 1997 से 2002 तक पांच बार दिल्ली स्टेट चैंपियन रहे अनिल की चाहत है कि वह अपने खेल के ज्ञान को अभावों में जी रहे बच्चों तक पहुंचाए और उन्हें अपनी विकलांगता पर निराश होने के बजाए कुछ करके दिखाने की भावना के लिए प्रेरित करें।
03DEc-2015


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