शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

ऐसे तो मजबूत नहीं होगा पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचा!

केंद्र की मंजूरी के बावजूद रेल बजट पर अडंगा
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की मंजूरी के बावजूद पूर्वोत्तर क्षेत्रीय रेलवे बजट के प्रस्ताव को कैग की आॅडिटिंग से उठने वाले सवालों से बचने के लिए वित्त मंत्रालय हरी झंडी देने को तैयार नहीं है। ऐसे मे सवाल उठता है केंद्र सरकार पूवोत्तर में बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए किस फार्मूले पर कौन सी रणनीति तैयार करेगी।
दरअसल हाल में केंद्र की आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने पूवोत्तर क्षेत्रीय लैप्स न होने वाले रेल फंड के निर्माण को कारगर करने की दिशा में एक प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद इसे रेल बजट 2014-15 में शामिल कर लिया था। इस प्रस्ताव के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्रीय रेल फंड का 25 प्रतिशत हिस्सा रेल बजट और 75 प्रतिशत हिस्सा वित्त मंत्रालय के सहयोग से संचालित किया जाना है। केंद्र सरकार के पूर्वोत्तर में विकास को गति देने के संकल्प के बावजूद मौजूदा वित्तीय वर्ष का ज्यादातर समय बीत चुका है, लेकिन यह ऐसे ही अटका हुआ है। जबकि इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द गति देने के मकसद से रेल मंत्रालय लगातार वित्त मंत्रालय से पत्र व्यवहार कर रहा है, लेकिन वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव को हरी झंडी देने को तैयार ही नहीं है। सूत्रों के अनुसार इसका कारण भी साफ है कि वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव में कैग की आॅडिटिंग में आने वाली परेशानी पर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। मसलन वित्तीय मामलों में केंद्र सरकार के जारी बजट यदि खर्च नहीं हो पाता तो वह स्वत: ही लैप्स होकर सरकार के खाते में आ जाता है और ऐसी स्थिति में भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक यानि कैग के आॅडिट में सरकारी बजट में शामिल कर लिया जाता है, लेकिन जो फंड लैप्स नहीं होगा उसकी अकाउंटिंग की परेशानी पर कैग लगातार ऐसे फंड के औचित्य पर सवाल उठाता रहा है। सूत्रों की माने तो कैग की ऐसी आपत्ति भी अपनी जगह सही है कि क्योंकि किसी भी परियोजना के बजट का प्रावधान होने पर वह निवेश एक तरह से एसेट निर्माण के दायरे में आ जाता है। इसलिए कैग इस तरह की अकाउंटिंग करने से मना कर देता है। हालांकि कैग ने ऐसे भी सुझाव दिये हैं कि रेलवे अपने बजट में ऐसी व्यवस्था बना ले जो केंद्रीय फंड के बजाए उसके मुनाफे से आती है। इस समस्या से निपटने की दिशा में हाल ही में कैबिनेट में वित्त मंत्रालय से ऐसी व्यवस्था करने का एक निर्णय लिया गया है जिससे वह अपने आदेश को कायम रखने में मदद कर सके।

वित्त मंत्रालय पर फिर दस्तक
सूत्रों के अनुसार इस मामले में स्पष्ट है कि रेलवे के मुनाफे से लैप्स नहीं होने वाले फंड का निर्माण अभी व्यवहार संगत नहीं हो सकता, जहां रेलवे में इसके लिए उचित व्यवहारिक वातावरण ही नहीं है। इस तरह के फंड का निर्माण से पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास का कारक ज्यादा कारगर साबित होगा। इसीलिए रेलवे ने एक बार फिर वित्त मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया है। इसमें रेल मंत्रालय अब आपातकाल के दौरान 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए बनाए गये फंड को आधार बनाकर वित्त मंत्रालय को पूर्वोत्तर क्षेत्र में लैप्स नहीं होने वाले फंड के निर्माण के लिए राजी करने के प्रयास में है, ताकि सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण पूर्वोंत्तर के क्षेत्र में रेलवे अपना आधारभूत ढांचे को और मजबूती प्रदान कर सके और उस क्षेत्र के विकास में नई इबारत लिख सके।
13Nov-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें