मंगलवार, 24 नवंबर 2015

यूरोपीय जल नीति से जल सुधार की योजना!

यूरोपीय संघ का भारत को मिला सहयोग
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में जल सुधार की दिशा में जल प्रबन्धन और जल संकट से निपटने के लिए जल सुधार की योजनाओं में केंद्र सरकार यूरोपीय जल नीति को अपनाने पर विचार कर रही है, ताकि जल की गुणवत्ताा में सुधार के साथ जल संकट से निपटना जा सके। वहीं सरकार इस नीति के जरिए नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं को भी तेजी से आगे बढ़ाना चाहती है।
केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि देश में जल संसाधनों के विकास में चलाई गई योजनाओं में पारिस्थितिकीय और प्रदूषण संबन्धी पहलुओं पर ध्यान न देने के कारण जल संकट की स्थिति पैदा हुई है। मौजूदा केंद्र सरकार ने देश की जल प्रबंधन आवश्यकताओं से निपटने में सर्वाधिक ध्यान ऐसे पहलुओं पर देते हुए गंभीरता प्रकट की है। दरअसल सोमवार को यहां शुरू हुई भारत-यूरोपीय जल मंच की दो दिवसीय बैठक में देश में जटिल होती जल संबन्धी चुनौतियों पर केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री प्रोफेसर सांवर लाल जाट ने देश में सबसे अधिक जल के उपयोग को कृषि क्षेत्र में होने की स्थिति पर कहा कि ऐसे में सिंचाई और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए उचित आबंटन, मांग का प्रबंधन और प्रभावी उपाय किए जाने की तुरंत आवश्यकता है। प्रोफेसर जाट ने भी यूरोपीय जल नीति का समर्थन करते हुए कहा कि देश की जल प्रबंधन आवश्यकताओं से निपटने में सर्वाधिक ध्यान और गंभीरता की आवश्यकता है। इसलिए जल के समुचित आवंटन, मांग के प्रबंधन और उसके उपयोग के लिए प्रभावकारी उपाय किए जाने बहुत जरूरी है।
‘राष्ट्रीय जल ढांचा विधेयक’ तैयार
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि उद्योग, कृषि, ऊर्जा और घरेलू उपयोग जैसे क्षेत्रों में जल की बढ़ती हुई खपत को देखते हुए नदी और जल प्रबंधन एक बड़ी चुनौती निपटना बेहद जरूरी है। इसलिए यूरोपीय संघ के जल विशेषज्ञों द्वारा भारत के लिए तैयार किये गये एक ‘राष्ट्रीय जल ढांचा विधेयक’ के मसौदे को जल्द संसद में पेश किया जाएगा। सुश्री उमा भारती ने संकेत दिये हैं कि देश की जल संबन्धी चुनौतियों में जल की मात्रा, आबंटन, गुणवत्ता, तथा प्रबंधन के मामले में केंद्र राज्यों के सहयोग से यूरोपीय जल नीति को अपनाया जा सकता है, ताकि उद्योग, कृषि, ऊर्जा, घरेलू उपयोग और पर्यावरण के बीच जल के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा से नदी बेसिन और सतत् तरीके से बहुक्षेत्रीय आधार पर जल प्रबंधन के महत्व को बढ़ावा मिल सके। देश में जटिल जल चुनौतियों के परिपेक्ष्य में नदी बेसिन प्रबंधन और व्यांपक जल प्रबंधन पर केंद्रित यूरोपीय जल नीति, यूरोप और भारत के बीच राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सहयोग के लिए एक व्यवहारिक मॉडल प्रस्तुत किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मंथन शुरू
भारत-यूरोपीय जल मंच की बैठक में यूरोपीय संघ के पर्यावरण महानिदेशालय देश में जल संसाधन से जुड़े महत्वणपूर्ण मुद्दों और यूरोपीय जल नीति के कार्यान्वयन से प्राप्त अनुभवों पर चर्चा हो रही है, जिसमें यूरोपीय संघ के पर्यावरण महानिदेशालय के महानिदेशक डेनियल कलेजा क्रस्पो समेत कई केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्रू विकास बैंक, एशियाई विकास बैंक, भारतीय उद्योग परिसंघ और जल संसाधन क्षेत्र के विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। विशेषज्ञों की चर्चा के दौरान प्रमुख विषयों में जल शासन और कानून, नदी बेसिन प्रबंधन, भारत और यूरोपीय संघ में जल नीति, जल की कमी से निपटना और जल प्रबंधन तथा अनुसंधान के पारिस्थितिकी पहलू, देश में सतत जल प्रबंधन के उपाय करने में जल चुनौतियों के लिए नवाचार और व्याावसायिक समाधान शामिल होंगे।
24Nov-2015

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