शनिवार, 28 नवंबर 2015

जीएसटी विधेयक: नरम पड़ने लगे विपक्ष के तेवर!

पक्ष-विपक्ष में कुछ मुद्दों समझौता होने के आसार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में भले ही विपक्षी दल ‘असहिष्णुता’ और अन्य मुद्दो पर सरकार के खिलाफ लामबंदी करके घेराबंदी करने की तैयारी कर रहे हों, लेकिन सरकार की बदली रणनीति से नरम होते विपक्षी दलों के तेवरों के बीच राज्यसभा में अटके वस्तु एवं सेवाकर संबन्धी जीएसटी विधेयक और अन्य कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों पारित होने की उम्मीद है। ऐसे मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच समझौता लगभग तय माना जा रहा है।
लोकसभा और राज्यसभा में असहिष्णुता पर बहस कराने के लिए कांग्रेस और अन्य दलों ने नोटिस देकर सरकार को घेरने की रणनीति को हालांकि जगजाहिर कर दिया है और सोमवार से संसद में हंगामा होने की संभावनाओं से इंकार भी नहीं किया जा सकता। लेकिन आर्थिक सुधारों में हो रही देरी पर विपक्षी दलों ने अपने तेवरों में नरमी के संकेत देते हुए जीएसटी के मुद्दे पर सरकार को राहत मिलने की उम्मीदें बढ़ी हैं। विपक्ष की मांग पर सरकार कुछ मुद्दों पर बातचीत के जरिए समझौता करने की तैयारी में है, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन के साथ शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चर्चा ज्यादा मायने रखती है,क्योंकि कांग्रेस के समर्थन के बिना राज्यसभा में जीएसटी पास होने की संभावनाएं कम हैं। सूत्रों के अनुसार जीएसटी को पारित कराने की पक्षधर रही कांग्रेस इसके प्रावधानों में निमार्ताओं पर एक फीसदी टेक्स, जीएसटी के लिए 18 फीसदी का संवैधानिक कैप और जीएसटी के लिए एक स्वतंत्र विवाद समाधान मैकेनिज्म जैसे तीन मुद्दों वाली शर्त सरकार और कांग्रेस एक-एक कदम आगे बढ़ाती दिख रही है। जबकि बसपा सुप्रीमो मायावती और तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय के अलावा राकांपा और बीजद पहले ही जीएसटी विधेयक का समर्थन करने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं जदयू ने भी इस मुद्दे पर सरकार का साथ देने के संकेत दे दिये हैं। मसलन सरकार और विपक्षी दलोें के बीच जीएसटी विधेयक के मुद्दे पर कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर अध्ययन के लिए चर्चा की जरूरत पर तेजी के साथ सहमति बनने के आसार हैं। इसलिए सरकार को इस विधेयक को अंजाम तक पहुंचाने की पूरी उम्मीद है।
राज्यसभा में दलगत गणित
राज्यसभा में कुल 241 सांसद हैं, ऐसे में इस बिल का पारित करने के लिए सरकार को दो तिहाई यानि 160 सांसदों की जरूरत होगी। उच्च सदन में दलगत आंकड़े पर नजर डाले तो भाजपा के 48 सांसदों के अलावा तृणमूल कांग्रेस के 12, बीजद के 6, जदयू के 12 समेत अन्य छोटे दलों के सदस्यों को भी शामिल किया जाए तो सत्तापक्ष के पास 140 सांसदो की संख्या बनती है। इसलिए जाहिर है कि कांग्रेस के बिना जीएसटी को उच्च सदन में पारित कराना आसान नहीं होगा, जिसके सदन में 67 सांसद हैं। उच्च सदन में इनके अलावा अन्नाद्रमुक के 12, द्रमुक के चार, सीपीआई-सीपीएम के 10 और मनोनीत 8 सदस्य हैं यानि कांग्रेस समेत 101सदस्य जीएसटी के विरोध में हैं। हालांकि सपा और शिवसेना रूख अभी स्पष्ट नहीं है।
सरकार के लिए जरूरी जीएसटी
राज्यसभा में जीएसटी बिल को पास कराने के लिए केंद्र सरकार को कांग्रेस के समर्थन की जरूरत है। उच्च सदन अर्थात राज्यसभा में सरकार अल्पमत में हैं। सकरार की मंशा इस बिल को अप्रैल 2016 से लागू कराने की है, लेकिन यदि विधेयक को संसद के शीत सत्र में पास नहीं हो पाया तो इस डेडलाइन को आगे बढ़ाना पड़ेगा। लोकसभा में तो सरकार को कोई दिक्कत नहीं होगी, वहां उसके पास संख्या है मगर असली दिक्कत राज्यसभा में होगी। जीएसटी संविधान संशोधन बिल है, इसलिए इसको पारित करने के लिए दो तिहाई संख्या की जरूरत होगी।
28Nov-2015

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