बुधवार, 4 नवंबर 2015

कोलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता की कवायद!

सरकार के सुझावों पर गौर करेगा सुप्रीम कोर्ट
 पांच नवम्बर को होगी अगली सुनवाई
 नई दिल्ली।
देश में जजों की नियुक्तियों के लिए एनजेएसी को सुप्रीप कोर्ट द्वारा खारिज करने के बाद फिर से लागू हुई कोलेजियम प्रणाली में व्यापक पारदर्शिता लाने की कवायद में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में पांच नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई में सरकार के सुझावों पर गौर करेगी।
केंद्र सरकार ने कोलेजियम प्रणाली को खत्म करके जजो की नियुक्तियों की प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम की कवायद शुरू की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गत 16 अक्टूबर को एनजेएसी को असैंवाधिक करार देते हुए इस प्रणाली को खारिज कर दिया था और सुप्रीम कोर्ट व उच्च न्यायालयों में जजो की नियुक्ति पुरानी चली आ रही कोलेजियम प्रणाली से करने को बरकरार रखने के आदेश दिये। उस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि जजों द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए दो दशक पुराने कोलेजियम सिस्टम के स्थान पर लाए गए 99वें संविधान संशोधन अधिनियम और एनजेएसी अधिनियम को रद्द करते हुए शीर्ष अदालत ने स्वीकार किया था कि इसमें अधिक पारदर्शिता और सुधार की जरूरत है। इसीलिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को शिकायत निवारण व्यवस्था स्थापित करने समेत न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली में व्यापक पारदर्शिता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई महत्वपूर्ण सुझाव पेश किए हैं।

इन सुझावों पर गौर करेगा सुप्रीम कोर्ट
न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित कोलेजियम प्रणाली में सुधार के लिए संबंधित पक्षों की सलाह पर विचार कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दो दशक पुरानी इस प्रणाली को पूरी तरह संशोधित करने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता सहित पात्रता शर्तों, कॉलेजियम को सहयोग करने के लिए सचिवालय स्थापित करने तथा न्यायाधीश बनने की सूची में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ शिकायतों पर चर्चा करने जैसे प्रमुख बिंदुओं पर ही विचार किया जाएगा।
क्या हैं सरकार के सुझाव
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को घंटो तक इस मुद्दे पर सुनवाई हुई। न्यायाधीश जेएस केहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी पक्षों से पारदर्शिता, योग्यता, सचिवालय की स्थापना और कोलेजियम द्वारा शिकायत निवारण तंत्र को निर्मित करने पर लिखित में सुझाव मांगे। उसी समय केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी, सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार और वरिष्ठ अधिवक्ता के के. वेणुगोपाल द्वारा पेश किए गए सुझावों को पेश किया, जिसमें राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी)अधिनियम से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान कोलेजियम सिस्टम के खिलाफ तर्क दिए गये।
एनजेएसी के खिलाफ तर्क
उधर एनजेएसी अधिनियम के खिलाफ सफलतापूर्वक तर्क पेश करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन, अनिल दीवान, राजीव धवन और अरविंद दतार समेत अन्य पक्षों ने भी अपने सुझाव दिए और कहा कि कोलेजियम सिस्टम के जरिए उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में व्यापक पारदर्शिता की जरूरत है। 
04Nov-2015

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