गुरुवार, 26 नवंबर 2015

सरकार के भोज में विपक्ष को नहीं मिला जायका!


पीएम की अपील के बावजूद तल्ख हैं विपक्ष के तेवर
सोमवार से संसद सत्र के हंगामेदार होने के आसार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
कल गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों के तेवर तल्ख नजर आए। ऐसी संभावना है कि दोपहर के भोज पर बुलाई गई इस बैठक में जीएसटी और कुछ अन्य बिलों के अलावा असहिष्णुता के मुद्दे पर विपक्षी दल संसद में सरकार को घेरने की तैयारी में है। हालांकि पीएम ने सहयोग की अपील करते हुए सभी दलों के आपसी विचार विमर्श से सदन की कार्यवाही चलाने का भरोसा दिया है। संसद में बुधवार को संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र को सुचारु रुप से चलाने की अपील की और भरोसा दिया कि सरकार सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर आपसी विचार विमर्श से ही संसद की कार्यवाही को चलाना चाहती है। इस बैठक में पीएम मोदी ने जीएसटी विधेयक को देशहित में बताते हुए अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों पर भी खासकर राज्यसभा में सहयोग मांगा है। वेंकैया नायडू ने बताया कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली कांग्रेस समेत सभी दलों के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। कांग्रेस ने सरकार को अपनी शर्तो पर इस मुद्दे पर समर्थन देने का भरोसा भी दिया है। विपक्षी दलों की ओर से वामदल ने मांग रखी कि असहिषणुता के मुद्दे पर सरकार संसद में एक प्रस्ताव पारित करे और विवादित बयान देने वाले मंत्रियों को उनके पदों से हटाए। हालांकि संसद में विपक्ष सरकार को घेरने के लिए आगामी सोमवार से ही अपने आक्रामक तेवर प्रकट करेगा। इसका कारण है कि सरकार संविधान और इसके निमार्ता बी आर अंबेडकर पर उनकी 125वीं जयंती के अवसर चर्चा के लिए पहले दो दिन की विशेष बैठक करके चर्चा करेगी। इसके बाद सोमवार से विधायी कार्यो पर सरकार आगे बढ़ेगी।
समन्वय की रणनीति पर सरकार
सत्र में विरोध के संकेतों के बीच वरिष्ठ मंत्रियों ने सदन में समन्वय के लिए रणनीति तैयार करने के बाद विपक्षी दलों से विचार विमर्श भी शुरू कर दिया है। स्वयं पीएम मोदी ने आपसी समन्वय कायम करने के संकेत देने के बावजूद विपक्षी दलों की असहिष्णुता के मुददे पर सरकार को घेरने की तैयारी से निपटने की भी सत्तापक्ष ने रणनीति बनाई है। सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार ने दादरी की घटना, तर्कवादी लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या और ऐसी ही अन्य हालिया घटनाओं पर भी विपक्ष को जवाब देने की रणनीति तैयार की है। इस रणनीति में केंद्र सरकार कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता की गेंद को यह कहकर राज्यों के पाले में डाल सकती है। कि इससे भाजपा का कोई लेना देना नहीं है। हालांकि सत्ता पक्ष जीएसटी विधेयक को पारित कराने पर ध्यान केंद्रित करते हुए विपक्ष के सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए अपनी इच्छा जता चुका है।
असहिष्णुता पर दोनों सदनों में नोटिस
वामदल ने देश में बढ़ती असहिष्णुता पर चर्चा करने के लिए एक नोटिस भी दिया है। ााकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि नोटिस को चर्चा के लिए पहले नोटिस के तौर पर राज्यसभा के सभापति ने मंजूरी दे दी है। उधर लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी असहिष्णुता पर चर्चा के लिए लोकसभा में नोटिस देने की बात कही है। जिसके नियम 193 के तहत स्वीकार करने की उम्मीद है। कांग्रेस ने संविधान पर चर्चा कराने के लिए एक और नोटिस दिया है।
26Nov-2015


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