सोमवार, 16 नवंबर 2015

अब जलमार्ग से भी होगा बांग्लादेश का सफर!

भारत-बांग्लादेश के बीच जुड़ा एक और मील का पत्थर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दक्षिण एशियाई यानि सार्क देशों के बीच आवागमन को बेरोक-टोक बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही मोदी सरकार ने अब जलमार्ग परिवहन को बांग्लादेश तक का सफर तय करने के लिए कदम बढ़ाया है। इससे पूर्व बांग्लादेश समेत कई सार्क देशों के बीच सड़क परिवहन की परियोजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
भारत अपने पडोसी देशों खासकर दक्षिण एशियाई यानि सार्क देशों बांगलादेश, नेपाल और भूटान, थाईलैंड व म्यांमार के के बीच बेरोक-टोक यात्री, निजी और माल वाहनों की बेरोक आवाजाई के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय सड़क परिवहन परियोजना पर समझौते को अंजाम दिया चुका है। केंद्र में मोदी सरकार की सड़क परिवहन के अलावा सार्क देशों को जलमार्ग परिवहन से भी जोड़ने की योजना के तहत भारत और बांग्लादेश के बीच रविवार को ही ‘तटीय नौपरिवहन पर समझौता’ लागू करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया यानि एसओपी पर हस्ताक्षर हुए। हालांकि इस संबन्ध में दोनों देशों के बीच गत जून में ही हस्ताक्षर की औपचारिकता पूरी हो गई थी। अब एसओपी पर बनी सहमति के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच जल परिवहन को अंजाम देने का मार्ग खुल गया है। मसलन एसओपी के प्रावधानों के अंतर्गत अब भारत और बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री परिवहन में उपयोग में आने वाले अपने राष्ट्रीय पोतों के साथ अन्य देशों के जहाजों के लिए भी समान दृष्टिकोण अपनाने के लिए स्वतंत्र होंगे। केंद्रीय सड़क परिहवन एवं राजमर्गा तथा जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी ने भारत और बांग्लादेश के बीच इस करार को अंतर्राष्‍ट्रीय  परिवहन की दृष्टि के बड़ा मील का पत्थर करार दिया है। गडकरी की मौजूदगी में दोनों देशों ने भारत-बांग्लादेश तटीय नौपरिवहन के लिए नदी सागर पोत (आरएसवी) श्रेणी के जहाजों के उपयोग पर भी सहमति बनाई। भारतीय जहाजरानी सचिव राजीव कुमार और बांग्लादेश के जहाजरानी सचिव शफीक आलम मेंहदी ने हस्ताक्षर करके ‘तटीय नौपरिवहन पर समझौते’ के प्रावधानों पर हस्ताक्षर किये हैं।
ऐसे होगा दोनों को फायदा
भारत और बांग्लादेश के बीच तटीय नौपरिवहन की शुरूआत से चटगांव से तटीय नौपरिवहन के माध्यम से पूर्वोत्तर तक कार्गो आवाजाही और उसके बाद सड़क और अंतदेर्शीय जलमार्ग से आवाजाही आसान होगी। वहीं भारत के पूर्वी तट पर डीप ड्राμट बंदरगाह आरएसवी श्रेणी के माध्यम से बांग्लादेश के लिए माल परिवहन हेतु 'केन्द्रीय' बंदरगाह बन सकते हैं। भारतीय बंदरगाह अतिरिक्त कार्गो संचालित करेंगे, जिससे समग्र नौवहन में बांग्लादेश तक परिवहन की लागत कम हो जाएगी। भारतीय बंदरगाह बांग्लादेश के लिए ट्रांस-शिपमैंट कार्गो के रूप में सेवा देकर भारत-बांग्लादेश के तटीय व्यापार को लाभदायक रूप से बढ़ा सकेंगे।
ऐसे होगा जलमार्ग का रूट
भारत और बांग्लादेश के बीच जलमार्ग के रूट भी तय किये गये हैं। भारत में हल्दिया, कोलकाता, पांडु, करीमगंज और सिलघाट तथा बांग्लादेश में नारायणगंज, खुलना, मोंगला, सिराजगंज और आशुगंज के नदी बंदरगाहों के बीच नदी प्रोटोकॉल मार्गों पर अंतदेर्शीय जहाजों के संचालन के लिए अंतदेर्शीय जल पारगमन और व्यापार पर एक द्विपक्षीय प्रोटोकॉल अपनाया जाएगा। दोनों देशों के बीच इस प्रोटोकॉल में एक्जिम व्यापार के आवागमन के साथ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए कार्गो सहायता करने की बाध्यता रहेगी।
कल फिर होगी वार्ता
भारत और बांग्लादेश 16 नवंबर को जहाजरानी सचिव स्तर की वार्ता करेंगे, जिसमें यात्रियों और क्रूज पोत आवागमन के लिए सहमति पत्र, मोंगला और चटगांव बंदरगाह के उपयोग पर एक समझौते पत्र को कार्यान्वित करेंगे। इसके लिए प्रोटोकाल पर वार्ता, ट्रांजिट शुल्क, बैंक गारंटी का भुगतान, विश्व बैंक की सहायता से क्षेत्रीय आईडीए का उपयोग, प्रोटोकाल मार्ग में नदियों के निकर्षण के अलावा बांग्लादेश में विभिन्न बंदरगाह परियोजनाओं के मुददों पर विचार-विमर्श करके अगला कदम उठाया जाएगा।
16Nov-2015

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