सोमवार, 23 नवंबर 2015

संसद: लंबित बिल पास करना सरकार की चुनौती!

शीर्ष प्राथमिकता पर होंगे अध्यादेश संबंधी विधेयक
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में लंबित विधेयकों को पारित कराने के लिए मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती मानी जा रही है, जिसमें सरकार के सामने जीएसटी और अध्यादेश से संबन्धित विधेयकों को पारित कराना पहली प्राथमिकता होगी। हालांकि सरकार नई रणनीति के साथ विपक्षी दलों से बातचीत करके महत्वपूर्ण विधायी कार्यो पर आगे बढ़ने का प्रयास करेगी।
आगामी 26 नवंबर से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की समयावधि समाप्त होने के साथ केंद्र की राजग सरकार अध्यादेश संबंधी तीन अन्य विधेयकों को प्राथमिकता के साथ पारित कराने का प्रयास करेगी। इनमें चेक बाउंस मामलों से निपटने के लिए परक्राम्य साधन(संशोधित) विधेयक 2015 के अलावा वाणिज्यिक अपील प्रभाग एवं वाणिज्यिक विधेयक 2015 भी शामिल हैं। ये दोनों विधेयक उच्च न्यायालयों में वाणिज्यिक प्रभागों के गठन को आसान बनाऐंगे। जबकि तीसरे अध्यादेश संबन्धी विधेयक में सुलह समझौते के जरिए विवादों के तेजी से निपटान की दिशा में मध्यस्थता और सुलह समझौता(संशोधन)अध्यादेश 2015 को कानून का रूप देना सरकार की उच्च प्राथमिकता में शामिल है। हालांकि सरकार के एजेंडे में शीतकालीन सत्र के लिए अन्य महत्वपूर्ण लंबित विधेयकों में सचेतक संरक्षण (संशोधन) विधेयक, भ्रष्टाचार रोधी विधेयक, निरसन और संशोधन (चौथा) विधेयक, बेनामी लेनदेन (निषेध)विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्तें) संशोधन विधेयक के अलावा माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम विकास (संशोधन)विधेयक, अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार बचाव)संशोधन विधेयक, किशोर न्याय कानून विधेयक शामिल हैं। सूत्रों की माने तो भूमि अधिग्रहण विधेयक में उचित मुआवजा एवं पारद र्शिता के अधिकार पर सरकार को कोई जल्दबाजी नहीं है, जिसका कारण केंद्र सरकार इस मामले में अब राज्य सरकारों को अपने-अपने विधेयक तैयार करने को तरजीह देना चाहती है। राज्यसभा में महत्वपूर्ण लंबित बिलों में जीएसटी विधेयक भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक और व्हिसल ब्लोअर सुरक्षा (संशोधन) विधेयक के अलावा लोकसभा से पारित कंपनी (संशोधन) विधेयक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) विधेयक भी राज्यसभा में लंबित हैं।
संसद में लंबित प्रमुख विधेयक
मानसून सत्र के दौरान संसद में करीब 65 विधेयक लंबित थे और सरकार केवल आठ विधेयकों को ही सिरे चढ़ा पायी थी। इस प्रकार यदि संसद में फिलहाल लंबित महत्वपूर्ण बिलों पर नजर डाली जाए तो भूमि अधिग्रहण विधेयक, वस्तु एवं सेवाकर संबन्धी जीएसटी विधेयक, रियल एस्टेट विनियमन विधेयक, श्रम काननू (संशोधन) विधेयक, राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक, मर्चेन्ट शिपिंग(संशोधन) विधेयक, केंद्रीय परिषद(संशोधन) विधेयक, भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक, एयर कैरिज (संशोधन) विधेयक,उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, व्हिसल ब्लोअर संरक्षण(संशोधन)विधेयक, निरसन और संशोधन (चौथा) विधेयक, विनियोग अधिनियमों(संशोधन) विधेयक, प्राइवेट डिटेक्टिव आॅफ द पब्लिक (संशोधन) विधेयक, वक्Þफ संपत्ति (संशोधन) विधेयक, नेशनल आईडेंटिफिकेशन और इंडिया, परमाणु सुरक्षा नियामक प्राधिकरण जैसे विधेयकों को संसद की मंजूरी मिलने का इंतजार है। इसके अलावा हालांकि केंद्र सरकार की लोकपाल विधेयक जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण बिलों को भी पटरी पर लाने की कोशिश है। वहीं कुछ पुराने विधेयकों के अलावा विभिन्न राज्यों के लेजिस्लेटिव काउंसिल संबन्धी बिल भी संसद की मुहर लगने की बाट जो रहे हैं।
नई रणनीति के साथ आएगी सरकार
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार विपक्ष की रणनीति से निपटने के लिए टकराव के बजाए बातचीत के जरिए आम सहमति बनाने की रणनीति से संसद के शीतकालीन सत्र में आने का प्रयास करेगी। इसका कारण पिछले मानसून सत्र में गतिरोध का अनुभव और हाल ही में बिहार चुनाव के नतीजों से विपक्ष के बुलंद हौंसले को माना जा रहा है। ऐसे संकेत स्वयं केंद्र सरकार के मंत्री भी दे चुके हैं कि विपक्ष के सहयोग से सरकार राष्टÑ और जनहित के मुद्दों पर काम करने का प्रयास करेगी।
23Nov-2015


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