शनिवार, 21 नवंबर 2015

सड़क दुर्घटनाओं पर काबू करना बड़ी चुनौती!

अंतर्राष्ट्रीय मानको को सख्ती से लागू करेगी सरकार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली। दुनियाभर के देशों के मुकाबले भारत में सड़क दुर्घटनाओं में हो रही सर्वाधिक मौतों पर काबू करने की चुनौती केंद्र सरकार के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। देश में सड़क निर्माण परियोजनाओं में सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देने का दावा कर रही सरकार अंतर्राष्ट्रीय मानकों को लागू करने की तैयारी कर ली है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार ने सभी सड़क परियोजनाओं को सड़क सुरक्षा के लिहाज से डिजाइन के आधार पर शुरू कराया है और देशभर में दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को चिन्हित कराकर उनके डिजाइन को भी सुधारने की योजना पर काम किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने सड़क परिवहन को सुरक्षित और खासकर दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने की दिशा में कई जनहित की योजनाओं को कानूनी रूप से भी लागू किया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों को संज्ञान में लेते हुए भी कुछ नियमों में बदलाव करके अब अंतर्राष्ट्रीय मानकों को सख्ती के साथ लागू करने की तैयारी की है, जिसके लिए सरकार नए सड़क परिवहन एवं सुरक्षा विधेयक को संसद में पारित कराने का भी प्रयास कर रही है। दुनियाभर में सड़क दुर्घटनाओं में देश में हो रही मौतों के कलंक को धोने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों और कटिबद्धता को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यातायात सुरक्षा पर हाल ब्राजील ब्रासिलिया में संपन्न हुए वैश्विक सम्मेलन में दोहराया। गडकरी ने भारत परिवहन क्षेत्र में सुरक्षा, निरंतरता और दक्षता में बेहतरी सुनिश्चित करने की योजनाओं में यहां तक कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा सुरक्षित प्रणाली अवधारणा का भारत में पूरी तरह से अनुमोदन किया जा रहा है।
क्या है यूएन अवधारणा
संयुक्त राष्ट्र की अवधारणा सड़क सुरक्षा के पांच स्तंभों पर आधारित है, जिनमें संस्थागत एवं वैधानिक फ्रेमवर्क में सुधार, बुनियादी ढांचा एवं वाहन, यातायात के नियमों पर अमल और आपातकालीन देखभाल शामिल हैं। इसके बावजूद भारत में दुर्भाग्यवश सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में ही है। वर्ष 2014 के दौरान तकरीबन 4.9 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.38 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। हालांकि भारत में संयुक्त राष्ट्र की अवधारणा और भी ज्यादा प्रासंगिक है, क्योंकि सुरक्षा की समस्या असल में सामाजिक समानता की भी समस्या है। दरअसल यहां पैदल यात्रियों, साइकिल सवारों और दुपहिया वाहनों पर चलने वाले लोगों को सड़कों पर अपना स्थान पाने के लिए बड़ी गाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है और ज्यादातर मौकों पर वे ही नुकसान में रहते हैं।
हर साल दस फीसदी वाहनों में वृद्धि
मंत्रालय के अनुसार सड़क परिवहन क्षेत्र ने पिछले कुछ दशकों के दौरान तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई है। पांच मिलियन किलोमीटर से भी ज्यादा दायरे में फैले देश के सड़क संबंधी बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने में किये गये अथक प्रयासों से भारतीय अर्थव्यवस्था में समृद्धि आई है, जिसकी बदौलत लोगों की क्रय क्षमता बढ़ी है और इसके साथ ही अपनी गाड़ी रखने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। वैसे तो देश की सड़कों पर 200 मिलियन से भी ज्यादा वाहन दौड़ रहे हैं और वाहनों के पंजीकरण में 10 फीसदी सालाना की दर से तेज वृद्धि भी देखने को मिल रही है, लेकिन इसके साथ ही हमारे देश को सड़क सुरक्षा की गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
21Nov-2015

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