सोमवार, 31 अगस्त 2015

भूमि बिल के दायरे में आए 13 केंद्रीय कानून!

भूमि विधेयक पर मोदी सरकार का यूटर्न
यूपीए सरकार की शर्तो को किया पूरा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद में बहुचर्चित एवं विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक को विपक्ष के विरोध के कारण अंजाम तक पहुंचाने में नाकाम रही मोदी सरकार को आखिर यूटर्न लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। मसलन केंद्र सरकार ने यूपीए सरकार के भूमि अधिग्रहण विधेयक-2013 में अधूरे रह गये उन तेरह केंद्रीय प्रावधानों को शामिल करने के आदेश जारी कर दिये हैं। एक तरह से यह आदेश को जारी करके मोदी सरकार ने यूपीए सरकार अधूरे वादे को ही पूरा करने का रास्ता अपनाया है।
मोदी सरकार ने रविवार को ही राष्ट्रीय राजमार्ग, पुरातत्व अधिनियम और रेलवे अधिनियम जैसे 13 केंद्रीय अधिनियमों को भूमि अधिग्रहण अधिनियम के दायरे में लाने का आदेश जारी कर दिये है। इन अधिनियमों के तहत जमीन अधिग्रहण के लिए यूपीए सरकार द्वारा वर्ष 2013 में जारी भूमि अधिग्रहण कानून ही लागू होगा, जिसके दायरे में उन 13 केंद्रीय अधिनियमों को शामिल करने के आदेश दिये गये हैं, जिन्हें यूपीए सरकार एक साल के भीतर लागू करना चाहती थी। मसलन मोदी सरकार इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के दबाव में पूरी तरह से यूटर्न लेती नजर आ रही है, जिसके बाद सरकार को चौथी बार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाने की भी जरूरत नहीं है और तत्काल लागू किये गये 13 केंद्रीय कानूनों के तहत ही अब भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। अब मोदी सरकार के जारी नए आदेश के बाद 13 केंद्रीय कानूनों के तहत ही भूमि का अधिग्रहण होगा। वहीं भूमि अधिग्रहण के सभी मामलों में उचित मुआवजा, पुनर्वास और पुनर्स्थापन संबंधित प्रावधान लागू होंगे, जो अभी तक भूमि अधिग्रहण कानून में ऐसी व्यवस्था नहीं थी। इस आदेश के बाद विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को चौथी बार जारी करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिसकी मियाद कल सोमवार को खत्म होने जा रही है।
संशोधनों पर था विवाद 
दरअसल मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के लागू भूमि अधिग्रहण, पारदर्शिता, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 विधेयक में नौ संशोधन करते हुए विपक्ष के विरोध के बावजूद उसे शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पारित कराया था, लेकिन राज्यसभा में सरकार उसे आगे नहीं बढ़ा सकी। इसके बाद बजट सत्र के दूसरे चरण में सरकार को इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को सुपर्द कराना पड़ा और अभी तक सरकार भूमि अध्यादेश पर अध्यादेश का सहारा लेती आ रही थी। तीसरे अध्यादेश की मियाद खत्म होने पर अटकले थी कि चौथी बार फिर अध्यादेश लाया जाएगा, लेकिन सरकार ने विपक्ष के साथ तकरार के कारण अपने कदम पीछे खींच लिये और किसानों को सीधे लाभ देने के लिए 13 केंद्रीय प्रावधानों को भूमि अधिग्रहण विधेयक- 2013 में शामिल करने के आदेश जारी कर दिये।
क्या थी शर्र्तें
यूपीए सरकार द्वारा संसद में पारित कराए भूमि अधिग्रहण अधिनियम-2013 में शर्त तय की गई थी, कि यूपीए सरकार इस कानून में 13 केंद्रीय अधिनियमों को एक साल के भीतर लागू कर देगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यूपीए सरकार के अधूरे इस विधेयक में अब सरकार ने इन 13 प्रावधानों को लागू करने का आदेश देकर एक तरह से विपक्ष के विरोध के दबाव में यूटर्न लिया है। गौरतलब है कि भाजपा सांसद एसएस अहूलवालिया की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति राजग सरकार द्वारा लाए गए संशोधित भूमि अधिग्रहण विधेयक की जांच कर रही है, इसलिए सरकार के इस ताजा आदेश में उन विवादास्पद उपधाराओं के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई, जिसे संशोधित कर संप्रग सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण विधेयक को बदल अपने विवादित संशोधनों को लागू किया है।
दायरे में आए ये प्रमुख प्रावधान
-प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व धरोहर अधिनियम-1958
-परमाणु ऊर्जा अधिनियम- 1962
-दामोदर घाटी कॉपोर्रेशन अधिनियम- 1948
-भारतीय ट्रामवे अधिनियम- 1886
-खदान भूमि अधिग्रहण अधिनियम- 1885
-मेटो रेलवे (निर्माण कार्य) अधिनियम-1978
-राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956
-पेट्रोलियम एवं खनिज पाइपलाइन भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1962
-विस्थापित पुनर्वास (भूमि अधिग्रहण) अधिनियम 1948
-कोयला धारण क्षेत्र एवं विकास अधिनियम 1957
-बिजली अधिनियम 2003
-रेलवे अधिनियम 1989
भाकियू ने किया मोदी सरकार का स्वागत
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मन की बात में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश फिर से न लाने के किये गये ऐलान का भारतीय किसान यूनियन ने स्वागत किया है। 
भाकियू के राष्टÑीय अध्यक्ष नरेश टिकैत और प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि भाकियू भूमि अधिग्रहण विधेयक में संशोधनों को पहले से ही विरोध कर रही थी, जिसमें किसानों की जमीन की सीधी लूट होने के प्रावधान थे। इसलिए भाकियू ने नए विधेयक के विरोध में देशभर में आन्दोलन भी किया। भाकियू ने मोदी सरकार के 13 केंद्रीय कानूनों को पुराने बिल में शामिल करने के फैसले को उचित करार देते हुए कहा कि इससे किसानों को सीधे लाभ मिल सकेगा, जिसके लिए भाकियू पहले से भी मांग करती रही है। हालांकि टिकैत ने सरकार से मांग की है कि इस विधेयक में किसानों की जमीन का मुआवजा चार गुना देने के प्रावधान के भी आदेश जारी किये जाएं।
उद्योग जगत को झटका
उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा कि सरकार का जमीन अधिग्रहण अध्यादेश को लैप्स करने और पुराने कानून पर वापस लौटने के फैसले को मंजूरी देने से ‘आर्थिक सुधारों’ को झटका लगा है। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अब राज्य सरकारें इस पर पहल करेंगी। हमारा मानना है कि कुछ प्रगतिशील राज्य अपना खुद का जमीन कानून लेकर आएंगे क्योंकि अब यह मामला राज्यों पर टिका है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर श्रम कानून को इसके साथ जोड़ा जाएगा तो जमीन कानून में सुधार होने राज्यों में ज्यादा इन्वेस्टमेंट आ सकता है।
31Aug-2015


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