पेट्रोल में एथनाल मिश्रण को दुगना करेगी सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
गन्ना
किसानों के बकाया भुगतान को लेकर विवादों में घिरी चीनी मिलों की आर्थिक
स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने एक नया फैसला लिया है, जिसमें
अगले साल गन्ना सीजन से पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनाल मिश्रण को अनिवार्य
कर दिया जाएगा। मसलन सरकार पेट्रोल जैसे र्इंधन के उत्पादन को बढ़ावा देने
के साथ चीनी मिलों और किसानों के हितों को भी साधने की कवायद में जुट गई
है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सूत्रों की माने तो
मंत्रालय ने पेट्रोल में पांच प्रतिशत एथनॉल मिश्रण की अनिवार्यता वाली
मौजूदा व्यवस्था को दोगुना यानि 10 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण को अनिवार्य करने
का निर्णय को अंतिम रूप दे दिया है, जिसे अगले विपणन वर्ष यानि गन्ना पेरई
सत्र (सितंबर-अक्टूबर) से लागू कर दिया जाएगा। पेट्रोल मंत्रालय ने यह
फैसला चीनी मिलों की माली हालत में सुधार करने वाले समाधान को देखते हुए
किया है, जिसका फरमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण सुझाव
के रूप में अपनाने को कहा था। सरकार का मानना है कि एथनॉल के उत्पादन को
बढ़ावा देकर चीनी मिलों के आर्थिक संकट को दूर करने का बेहतर समाधान साबित
हो सकता है और चीनी मिले गन्ना किसानों के बकायों का भुगतान भी कर सकेंगी।
चीनी मिलों पर इस समय गन्ना किसानों का 14,000 करोड़ रुपये का बकाया है।
इसलिए पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस फैसले को अंतिम रूप दे दिया है। मंत्रालय
के एक अधिकारी की माने तो इससे किसानों और चीनी मिलों दोनोें को फायदा
होगा, वहीं पेट्रोल जैसे र्इंधन की बचत में पेट्राल उपलभोक्ताओं को भी
आर्थिक बचत का लाभ मिल सकेगा। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था में
पेट्रोल में पांच प्रतिशत एथनॉल मिश्रित करने की अनिवार्यता है, लेकिन
अधिकांश तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल में लगभग दो प्रतिशत ही एथनाल
का मिश्रण कर पा रही हैं।
चीनी मिलो व ओएमसी पर बढ़ेगा दबाव
मंत्रालय
के सूत्रों को माने तो इस दिशा में उठाए जा रहे कदमों के तहत सरकार ने
चीनी मिलों से एथनॉल के उत्पादन 2015-16 को विपणन वर्ष (अक्तूबर-सितंबर) से
बढाने को कहा है ताकि पेट्रोल में 10 प्रतिशत मिश्रण के लिए 230 करोड़ लीटर
एथनॉल की मांग पूरी की जा सके। मसलन अगले साल अधिशेष भंडार पर काबू पाने
के लिए चीनी मिलों से एथनॉल का उत्पादन बढाने का दबाव आ जाएगा। इसी प्रकार
यह भी स्वाभाविक है कि सरकारी की इस नीति के दायरे में ओएमसी पर भी अगले
साल से 10 प्रतिशत मिश्रण जरूरत के आधार पर एथनॉल खरीदने का दबाव आना तय
है।
चीनी का उत्पादन होगा कम
सूत्रों की माने तो चीनी मिलों
को इसके लिए ‘बी-हैवी’ यानि शीरा से एथनॉल का उत्पादन बढाना होगा, जिससे
मिलों में चीनी का उत्पादन 15 लाख टन सालाना तक कम किया जा सकता है। आमतौर
पर चीनी मिलें एथनॉल का उत्पादन ‘सी-शीरा’ यानी अंतिम चरण में प्राप्त शीरे
से करती हैं। सूत्रों के अनुसार घरेलू व वैश्विक बाजारों में अधिशेष भंडार
के मद्देनजर चीनी कीमतों में गिरावट को देखते हुए चीनी के बजाय उच्च
गुणवत्ता वाले एथनॉल का विनिर्माण आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाया जा सकता
है।
17Aug-2015
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