मंगलवार, 4 अगस्त 2015

राज्यसभा: हंगामे के दौरान दिखा विपक्ष में बिखराव


सुषमा के बोल पर बिफरी कांग्रेस से दूर रहे अन्य दल
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
संसद में ललित मोदी और व्यापम मामले पर कांग्रेस की ‘पहले कार्यवाही-फिर चर्चा’ की रणनीति को नई धार देने शायद अन्य विपक्षी दलों को रास नहीं आ रही है। इसका नजरिया राज्यसभा में उस समय देखने को मिला, जब कांग्रेस ललित मोदी प्रकरण पर लगे आरोपों की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की प्रतिक्रिया को भी कांग्रेस मुद्दा बनाकर हंगामा करने पर उतारू रही, लेकिन जब अन्य दलों के सदस्यों को मौका दिया गया तो उन्होंने इस विषय की दिशा बदलते हुए किसानों की आत्महत्या पर कृषि मंत्री की तरफ मोड़ दी।
दरअसल सोमवार को उच्च सदन में ललित मोदी मामले पर कांग्रेस और विपक्षी दलों के आरोपों का सामना करती आ रही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हंगामे के बीच कुछ प्रतिक्रिया दी, जिसे कांग्रेस ने मुद्दा बनाकर पीठासीन अधिकारी से सदन में दिये गये सुषमा के वक्तव्य को इसलिए कार्यवाही से निकालने की मांग शुरू कर दी कि उन्होंने बिना अनुमति के सदन में बयान दिया है। इसी को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस सदस्यों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया और पीठ से निर्णय सुनाने की मांग की। इस कारण सदन की कार्यवाही दो बार बाधित हुई। जब दो बजे बाद कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस के सदस्यों ने सुषमा की प्रतिक्रिया को बिना अनुमति के बयान देने की परंपरा पर पीठ से रूलिंग मांगी। उपसभापति प्रो. पीजे कुरियन ने कांग्रेस से सवाल के रूप में कहा कि सुषमा स्वराज यदि सदन में बयान देती तो उसकी प्रति पीठ को सौंपती और उसके बाद अनुमति मिलने पर वह बयान दे सकती थी, लेकिन जिस प्रकार से बिना अनुमति के सदस्य एक-दूसरे पर आरोप लगाकर पोस्टर लहराकर आसन के करीब आते हैं और हंगामा करते हैं क्या उसकी अनुमति ली जाती है? जिस प्रकार बिना अनुमति के सदन में कोई भी सदस्य बोलता है तो उसी तरह मंत्री भी अपने आरोपों पर प्रक्रिया दे सकती हैं। कुरियन ने स्पष्ट किया कि सुषमा ने सदन में कोई बयान नहीं दिया, बल्कि उन्होंनें आरोपों पर प्रक्रिया देते हुए यहां तक कहा कि वे सदन में बयान देने को तैयार हैं। इसलिए इसे मुद्दा न बनाया जाए।

कांग्रेस का टूटा भ्रम
इस मामले पर भाकपा, सपा व जदयू नेताओं को भी बोलने का मौका दिया गया, लेकिन कांग्रेस की उम्मीदों पर उस समय पानी फिरता नजर आया, जब जदयू सांसद केसी त्यागी और फिर सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने सुषमा की प्रतिक्रिया के मुद्दे को दरकिनार करके कृषिमंत्री राधामोहन सिंह के किसानों की आत्महत्या के बयान का मुद्दा उठा दिया और कृषि मंत्री के खिलाफ दिये गये विशेषाधिकार हनन के नोटिस का जवाब मांगा, जो सभापति के विचाराधीन है। इसी प्रकार भाकपा के सीताराम येचुरी और इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के डेरन अब्राहम को मौका दिया तो उन्होंने दूसरे मुद्दे उठाए तो कांग्रेस खेमे में सन्नाटा नजर आया। इसके बाद कांग्रेस की दो महिला सदस्य ‘प्रधानमंत्री चुप्पी तोड़ो’ ‘दागियों मुहं मोड़ो-प्रधानमंत्री चुप्पी तोडो’ नारे लिखे बड़े पोस्टर लेकर आसन के करीब आ गई और अन्य कांग्रेस सदस्य प्रधानमंत्री के खिलाफ नारे बाजी करने लगे, जिसके बाद सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
04Aug-2015

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