गुरुवार, 6 अगस्त 2015

संसद भवन को पुराने बल्बों से रोशन करने की तैयारी!


सवालों के घेरे में आई सरकार की एलईडी मुहिम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में ऊर्जा उत्पादन और ऊर्जा की मांग के बड़े अंतर को खत्म करने के लिए जहां मोदी सरकार ने पूरे देश को साधारण बल्बों के स्थान पर एलईडी से रोशन करने के लिए अभियान चलाया है, वहीं सरकार स्वतंत्रता दिवस के पर्व को मनाने के लिए सरकार संसद परिसर जैसी सरकारी इमारतों को एलईडी के बजाए ज्यादा बिजली की खपत वाले पुराने बल्बों से संसद को रोशन करने में जुटी हुई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के लोगों को बल्ब या अन्य रोशनी के साधनों के बजाए एलईडी बल्ब लगाने की सलाह देते हुए पीएमओ में एक एलईडी बल्ब लगाकर इसकी शुरूआत की थी। सरकार ने इस अभियान के लिए तेजी के साथ जागरूकता और अन्य कार्यक्रमों के आयोजना का भी खाका तैयार किया है, लेकिन सरकार के इस अभियान पर इसलिए सवाल उठते नजर आए कि आगामी 15 अगस्त को राष्टÑीय पर्व स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए पहली बार संसद भवन को भी रोशनी से नहलाने की तैयारी शुरू कर दी गई है, लेकिन एलईडी बल्बों से नहीं, बल्कि ऐसे हजारों पुराने साधारण बल्बों की श्रंखला लगाई जा रही है, जो एलईडी बल्ब लगाने के अभियान को झटका देकर कहीं ज्यादा बिजली की खपत करेंगे। सूत्रों के अनुसार संसद भवन परिसर को रोशनी से सजाने के लिए तैयारियों को अंजाम दे रहे ठेकेदार की माने तो इन्हीं साधारण बल्बों की रोशनी संसद भवन के अन्य हिस्सों, पुस्तकालय भवन और बाहरी हिस्से में भी होगी। इसलिए इसमें कई हजार बल्वों की श्रंखला लगाने का अनुमान है। यही नहीं संसद भवन परिसर के साथ ही राष्ट्रपति भवन, साउथ ब्लाक और नार्थ ब्लॉक को भी ऐसे साधारण बल्बों से रोशन करके स्वतंत्रता दिवस का पर्व मनाने की योजना है। गौरतलब है कि संसद में सरकार ऊर्जा की एफिसियंसी को लेकर एक विधेयक लाने की भी तैयारी कर रही है, ताकि एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनियों को ऊर्जा एफिसिएंसी के मानकों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध किया जा सके। हाल ही में केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने एलईडी लाइट को भारत में जीवन शैली का हिस्सा बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए कहा था कि सरकार का लक्ष्य देश में अगले तीन वर्षों के भीतर सभी इन्कन्डेसन्ट बल्बों को बदलते हुए उनके स्थान पर एलईडी लाइट्स लगाना है।
ऐसे हो रही है तैयारी
संसद भवन की पहली मंजिल पर चौतरफा कुल 144 स्तंभों पर 25-25 वॉट के बल्बों की श्रंखला लगाने का काम जारी है और एक स्तंभ पर 40 से 45 बल्बों की श्रंखला यानि अकेले स्तंभों पर ही चार हजार से 5200 बल्ब लगाए जाएंगे, इसके अलावा कई हजार बल्ब संसद भवन की छतों, मुख्य द्वारों और अन्य दीवारों पर भी इसी तरह बल्बों की श्रंखला लगाई जानी है। संसद को रोशन करने की तैयारी करने वाले ठेकेदार ने एक अनुमान के अनुसार जानकारी दी है कि अकेले संसद भवन और परिसर में बल्बों से सजाने के लिए 30 या 40 हजार बल्ब लगाए जाने हैं। मसलन इस अनुमान को ही सच मान लिया जाए तो चार साधारण बल्बों पर एक घंटे में एक यूनिट का खर्च आएगा। जबकि सरकार एलईडी बल्बों को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा बचत करने की मुहिम में तर्क देकर लोगों में जागरूकता फैलाते हुए तर्क देती आ रही है कि एलईडी तकनीक का पांच वाट का बल्व चालीस वाट के बल्व के बराबर रोशनी करता है, इसके बावजूद संसद भवन परिसर को सजाने के लिए 25 वाट के बल्वों का प्रयोग होने जा रहा है।
एलईडी योजना पर उठे सवाल
स्वतंत्रता दिवस के पर्व पर हालांकि संसद भवन पहली बार रोशन किया जा रहा है, लेकिन एलईडी बल्बों को बढ़ावा देने वाली मोदी सरकार ज्यादा बिजली खर्च करने वाले साधारण बल्बों की श्रंखला का इस्तेमाल कर रही है तो सरकार की मुहिम पर सवाल उठना लाजिमी है। कई विपक्षी दलों के सांसदों ने ऐसे सवाल खड़े करते हुए कहा कि यदि सरकार संसद भवन को भी एलईडी बल्ब की श्रंखला से रोशन करती तो सरकार ऊर्जा बचत के लिए चलाई जा रही एलईडी मुहिम के प्रति देश में एक बेहतर संदेश जाता।
06Aug-201

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