शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

औद्योगिक विकास में रोड़ा बना गिरता भू-जल!

पन्द्रह राज्यों में 162 ब्लॉकों में नहीं मिलेगी अनुमति
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
जल प्रबंधन की दिशा में देश के विभिन्न हिस्सों में तेजी के साथ गिरते भू-जल को लेकर उपाय और योजनाएं बनाने के बावजूद सरकार की चिंताएं बढ़ना दिगर है। वहीं ऐसे क्षेत्रों में गिरता भू-जल औद्योगिक विकास की राह में रोड़ा बनता जा रहा है, जिसमें सरकार ने देश के एक दर्जन से ज्यादा राज्यों में ऐसे 162 ब्लॉक चिन्हित किये हैं, जहां गिरते भूजल की समस्या के कारण औद्योगिक ईकाई लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस दायरे में हरियाणा के समूचे गुडगांव समेत लगभग सभी जिलों में 17 ब्लॉक अधिसूचित किये गये हैं।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने जल प्रबंधन की दिशा में गिरते भूजल में सुधार करने की योजना को एक चुनौती मानते हुए राज्यों के लिए मास्टर प्लान बनाने एक कार्ययोजना भी तैयार की है। केंद्र सरकार की देश को विकास की दिशा में ले जाने के लिए जहां औद्योगिक विकास को भी प्रोत्साहन देने की नीति बनाई है, लेकिन वहीं जिन भागों में भूमि-जल तेजी के साथ गिर रहा है, वहां किसी प्रकार की औद्योगिक ईकाई स्थापित करने की अनुमति न देने की नीति भी बनाई है। मंत्रालय के अनुसार हाल ही में केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण के जरिए ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित कराया है, जहां पेयजल को छोड़कर अन्य किसी उद्देश्यों खासतौर से औद्योगिक ईकाई लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण द्वारा विभिन्न राज्यों में सबसे तेजी से गिर रहे भू-जल वाले 162 क्षेत्रों को अधिसूचित किया है, जो इससे पहले इस दायरे में केवल 43 स्थान ही ऐसे थे जहां औद्योगिक ईकाई लगाने की मनाही थी। ऐसे क्षेत्रों की संख्या बढ़कर 162 होना भू-जल के गिरते स्तर को लेकर सरकार की चिंताओं में इजाफा होना लाजिमी है। मंत्रालय के अनुसार औद्योगिक ईकाईयों के लिए प्रतिबन्धित ऐसे क्षेत्रों में हरियाणा के 17, मध्य प्रदेश के सात,  राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली के तीन, पंजाब के 46, गुजरात व आंध्र प्रदेश के चार-चार, राजस्थान के 35, तमिलनाडु के 18, तेलंगाना के दो, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल व दीव का एक-एक ब्लॉक शामिल है।
गुडगांव समेत हरियाणा के 17 ब्लॉक
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मानसून से पहले आंके गये भूमि जल स्तर के मुताबिक गुड़गांव में पिछले तीन सालों में भू-जल 18.10 मीटर से गिरकर फिलहाल 24.98 मीटर तक पहुंच गया है, जिसके कारण समूचे गुडगांव जिला में औद्योगिक ईकाई लगाने को अनुमति नहीं दी जा सकेगी। इसके अलावा फरीदाबाद एवं बल्लभगढ़ नगर निगम क्षेत्र, कुरु क्षेत्र जिले के शाहबाद, लाडवा व पेहावा, महेन्द्रगढ़ जिले में नांगल चौधरी व नारनौल ब्लॉक, पानीपत जिले में समालखा व बापोली ब्लॉक, करनाल जिले में करनाल ब्लॉक, रेवाडी जिले का खोल ब्लॉक, भिवानी जिले का बद्रा ब्लॉक, सिरसा जिले का रनिया और ऐलनाबाद ब्लॉक, फतेहाबाद जिले का टोहना, कैथल जिले का गुल्हा और राजौंद ब्लॉक को तेजी के साथ गिरते भूजल के रूप में अधिसूचित किया गया है। मसलन हरियाणा के इन ब्लॉक क्षेत्रों में किसी भी औद्योगिक ईकाई स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जा सकेगी।
मध्य प्रदेश के चार ब्लॉक अधिसूचित
औद्योगिक ईकाई के लिए गिरते भूजल के कारण प्रतिबंधित किये गये चारा ब्लॉकों में धार जिले के सदर धार और मानावर ब्लॉक, मंदसौर जिले के मंदसौर और सीतामऊ, नीचम जिले के नीमच सदर ब्लॉक, रतलाम जिले के आओरा ब्लॉक तथा इंदौर नगर निगम क्षेत्र इस दायरे में शामिल है। जबकि  राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली में दक्षिणी जिला, दक्षिणी पश्चिमी जिला और यमुना बाढ़ मैदान उन क्षेत्रों में शामिल है, जहां औद्योगिक ईकाई नहीं लगाई जा सकती।
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‘देश में गिरते भूजल का स्तर बेहद चिंताजनक और जल प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए चुनौतीपूर्ण है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने वर्षा जल एवं बाढ़ के जल के संचयन के साधनों को सतही और जल संसाधन के कुशल प्रबंधन को मजबूत करने पर बल दिया है। गिरते भूजल की समस्या से निपटने के लिए उनके मंत्रालय ने जल संरक्षण हेतु एक मास्टर प्लान तैयार किया है, जिसे जल्द ही सभी राज्यों में परिचालित किया गया है।’
-उमा भारती, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री
07Aug-2015

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