खाड़ी देशों में हुई 79 प्रतिशत भारतीयों की मौत
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
रोजगार
की तलाश में विदेशों में जाने वाले भारतीय कामगारों की मदद के लिए भले ही
भारतीय सरकार की विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हो। विदेशों में रहकर
रोजी-रोटी कमा रहे अपनों की कुशलता की चिठ्ठी मिलने का इंतजार भारत में
लाखों परिवार करते हैं, लेकिन पिछले तीन सालों में चिठ्ठी के बजाए सवा दस
हजार से ज्यादा प्रवासी भारतीयों के परिजनों को दर्द के सिवाय कुछ नहीं
मिला। मसलन इस दौरान विभिन्न देशों में 10,299 भारतीय कामकारों की मौतें
हुई, जिनमें खाड़ी देशों में सर्वाधिक भारतीय मारे गये हैं।
देश
छोड़कर पैसा कमाने की चाहत में हर साल लाखोें लोग भारत सरकार से उत्प्रवास
की मंजूरी लेकर विभिन्न देशोें का रूख करते हैं। मौजूदा वर्ष 2015 में
हालांकि अभी तक विदेशों में रह रहे भारतीय कामगारों की मौत का आंकड़ा पिछले
तीन सालों में बहुत ही कम यानि 1006 तक सामने आया है, लेकिन सात समंदर पार
मौत के शिकार हुए भारतीय कामगारों का आंकड़ा वर्ष 2014 में 4743 तथा वर्ष
2013 में 4550 का सामने आया है। इन पिछले दो सालों में अकेले संयुक्त अरब
अमीरात में ही 2820 भारतीय कामगारों की मौत हुई है, जबकि मौजूदा साल का
आंकड़ा अभी सामने नहीं आया है। इसके अलावा खाड़ी देशों में सर्वाधिक मारे गये
8082 भारतीयों में तीन सालों के भीतर सऊदी अरब के जेद्दा में 1885, कुवैत
में 1382, ओमान में 1316 तथा कतर में 679 भारतीय कामगारों की मौत
भी शामिल है। इसके अलावा मलेशिया में पिछले दो सालों में 577 कामगारों की
मौत हुई है। खाड़ी देशों में यह आंकड़ा और भी ज्यादा जा सकता है, जिसमें अभी
तक सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात में वर्ष 2015 में हुई भारतीयों की मौतों
का जिक्र नहीं आया है। इसके अलावा इन तीन सालों में अमेरिका में 495 व
बहरीन में 455 भारतीय मौत का शिकार बने।
सरकार की ईसीआर योजना
प्रवासी
भारतीय कार्य मंत्रालय के अनुसार विदेशों में किन्हीं कारणों से मारे जाने
वाले भारतीय कामगारों के शवों को सुगमता से स्वदेश लाने की दिशा में पिछले
साल अगस्त में सरकार ने इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड यानि ईसीआर योजना के तहत
18 देशों के साथ करार किया था, जिसके लिए आॅनलाइन प्रणाली लांच की गई थी।
ईसीआर देशों में इस योजना से 70 लाख प्रवासी भारतीयों को लाभ होने का दावा
किया जा रहा है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि ईसीआर देशों में लगभग सभी खाड़ी
देश हैं, जहां सर्वाधिक भारतीयों को मौत का शिकार होना पड़ रहा है। हालांकि
मौजूदा साल में सरकार के प्रयासों से इस आंकड़े पर अंकुश लगा है। विदेशों
में मारे जाने वाले भारतीयों का यह आंकड़ा सरकार ने विदेशों में
स्थित भारतीय मिशनों की सूचना के आधार पर जारी किया है। मंत्रालय के अनुसार
विदेशों में भारतीयों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण
योजनाओं को शुरू किया है, जिसके तहत विदेशों में पीड़ित भारतीयों को वित्तीय
व कानूनी सहायता भी मुहैया कराई जा सके।
अमेरिका में सर्वाधिक लापता
प्रवासी
भारतीय मंत्रालय के आंकड़े पर गौर करें तो करीब 22 देशों में मौजूदा वर्ष
में लापता हुए 250 भारतीयों में 79 लोगों को ही तलाशा जा चुका है, जिसमें
सर्वाधिक 169 भारतीय अमेरिका में लापता है और केवल दस को ही ढूंढा जा सका
है। हालांकि कतर में 37 तथा कुवैत में तीन लापता भारतीयों का पता लगा लिया
गया है, जबकि ओमान में 11 में से अभी दो लापता हैं। बहरीन में वर्ष 2012
में लापता हुए एक भारतीय को इसी साल मृत घोषित कर दिया गया है। मंत्रालय के
अनुसार अमेरिका में लापता लोगों में से 168 भारतीय शिकागो की महर्षि
यूनिवर्सिटी आॅफ मैनेजमेंट से लापता हुए थे। शेष लापता लोगों की भारतीय
मिशनों के जरिए तलाश की जा रही है।
27Aug-2015
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