मंगलवार, 11 अगस्त 2015

संसद में फिर पडी विपक्ष में दरार !

मुलायम के चरखा दावं से कांग्रेस चित्त
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली। 
संसद में जारी गतिरोध में कुछ मुद्दों पर कई विपक्षी दल कांग्रेस की अगुवाई में सरकार की घेराबंदी की रणनीति से नाखुश हैं। अपने सियासी दावों से राजनीति में उलटफेर करने में माहिर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सोमवार कांग्रेस को चित्त करने के लिए उस चरखा दांव चला है, जिससे वह पहलवानी करते समय बड़े-बड़े सूरमाओं को पटखनी देने में प्रख्यात रहे। मसलन मुलायम अब सदन में चर्चा कराने के पक्ष में नजर आए।
दरअसल गत 21 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र के तीन सप्ताह की कार्यवाही व्यापम और ललितगेट मामले पर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ चुकी है। सोमवार को जब लोकसभा में इस मुद्दे पर अपनी रणनीति के तहत कांग्रेसी सांसदों ने प्लेकार्ड लेकर हंगामा करना शुरू किया तो सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि बहुत हो चुका है अब सदन में चर्चा होनी चाहिए। इससे पहले भी सपा समेत केई विपक्षी दलों की ओर से ऐसे स्वर सुनाई दिये थे कि संसद में सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को साथ लेकर पूरा सियासी श्रेय खुद लेने का प्रयास कर रही है। ऐसे में सपा के राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल भी कह चुके थे कि हरेक मुद्दे पर उनकी पार्टी कांग्रेस का साथ नहीं दे सकती। उसी स्वरों में लोकसभा में मुलायम सिंह यादव ने खुद स्पष्ट कर दिया है कि अब सपा किसी मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन नहीं करेगी। खासकर सुषमा स्वराज के मुद्दे पर पहले से ही इस बात से नाखुश है कि कांग्रेस के कारण संसद में गतिरोध बना हुआ है। सोमवार को मुलायम ने स्पष्ट कर दिया कि यदि कांग्रेस सदन में बहस नहीं करेगी तो सपा उसका साथ नहीं देगी। बहरहाल मुलायम सिंह के इस चरखा दांव से कांग्रेस सकते में है, लेकिन वह अपनी रणनीति पर अडियल रवैया कायम रखने का ऐलान कर चुकी है।

कई दल कांग्रेसी रणनीति से नाखुश
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सदन में जिस प्रकार स्पष्ट कहा कि सांसदों के निलंबन के विरोध में उनकी पार्टी के साथ आम आदमी पार्टी, जदयू और तृणमूल कांग्रेस ने उनकी कांग्रेस पार्टी को समर्थन किया है, न कि सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चैहान और वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग को लेकर सदन का बहिष्कार किया गया। मुलायम सिंह ने कांग्रेस को चेताते हुए संदेश दिया है कि उनकी अडियल रणनीति से सपा के साथ कई अन्य विपक्षी दल भी नाखुश है। संसद की लगातार कार्यवाही के ठप होने से देश को जा रहे विपरीत संदेश को सभी दल राजनीतिक तराजू पर भी तौलते नजर आ रहे हैं।
11Aug-2015

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