सोमवार, 10 अगस्त 2015

संसद में छंटने के आसार नहीं हंगामी बादल!

भूमि व जीएसटी पास कराना सरकार की प्राथमिकता
कांग्रेस की अड़ियल रणनीति से मुश्किल में सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के मानसून सत्र के तीन सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ने के शेष चार दिनों की कार्यवाही से भी हंगामे के बादल छंटने के आसार नहीं हैं। सरकार और विपक्ष के जारी गतिरोध में ललितगेट और व्यापम विवाद के बाद अब विपक्ष के हाथ नागा समझौते पर उठते सवालों का मुद्दा सरकार पर हमला करने के लिए मिल गया है। लोकसभा में कांग्रेसी सांसदों के निलंबन की मियाद खत्म होने के बाद अब खासकर कांग्रेस दोनों सदनों में सोमवार को अपनी रणनीति को धार देते हुए सरकार के खिलाफ दोनों सदनों में धमाकेदार दस्तक देगी।
संसद का 21 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र के तीन सप्ताह की कार्यवाही ललितगेट और व्यापम घोटाले पर कार्यवाही की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गये है। इस सत्र की निर्धारित अवधि में अब केवल चार दिन शेष बचे हैं, जिनसमें मोदी सरकार द्वारा नागा समझौता करने की पहल को खासकर कांग्रेस ने सवालों के घेरे में ले लिया है। ऐसे में संसद के मौजूदा सत्र में जारी गतिरोध में कांग्रेस रणनीति को नई धार देने के साथ सोमवार को दोनों सदनों में दाखिल होगी। कांग्रेस की सरकार के खिलाफ इन तल्ख तेवरों से सरकार की भूमि अधिग्रहण और जीएसटी जैसे विधेयकों को पारित कराने की प्राथमिकता संकट में पड़ने की संभावनाएं बढ़ गई है। मसलन कांग्रेस ने ललितगेट मामले पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा व्यापम घोटाले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की पहले दिन से की जा रही इस्तीफे की मांग पर किसी नरमी के संकेत नहीं दिये हैं। वहीं पिछले सप्ताह पांच दिन के लिए लोकसभा से निलंबित कांग्रेस के 25 सांसदों की भी सोमवार में सदन में उपस्थिति नजर आएगी। कांग्रेस के सूत्रों की माने तो सोमवार को संसद में सरकार की घेराबंदी करने के लिए कांग्रेस व कुछ अन्य विपक्षी दलों के साथ नये तेवरों में नजर आएगी। मसलन कांग्रेस सांसदों के हाथों में काली पट्टियां बंधी होंगी और सदनों में नारे लिखी तख्तियां व तैयार किये गये नए बैनर तक भी होंगे, जिन्हें लेकर विपक्ष हंगामा करके सरकार पर अपनी मांगों को पूरा करने का दबाव बनाएगा।
कांग्रेस की गैरहाजिर में हुआ काम
राज्यसभा में तो तीन सप्ताह की लगभग पूरी कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई, लेकिन लोकसभा में पिछले सप्ताह सोमवार को प्लेकार्ड लेकर हंगामा करते कांग्रेस के 25 सांसदों को पांच दिन का निलंबन करने के विरोध में सदन में कांग्रेस और कुछ अन्य दलों की गैरमौजूदगी में सरकार चार विधेयकों को सदन में चर्चा के बाद पारित कराने में कामयाब रही। इनमें सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के वित्तीय अधिकारों को 20 लाख से दो करोड़ रुपये तक बढ़ाने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय(संशोधन) विधेयक, 295 अप्रचालित व पुराने कानूनों को निरस्त करने वाले निरसन और संशोधन(चौथा) संशोधन विधेयक के अलावा अनुदानों की अनुपूरक मांगे(सामान्य) 2015-16 से संबन्धित विनियोग (संख्याक 3) विधेयक और अतिरिक्त अनुदान मांगे(रेलवे)2012-13 से संबन्धित विनियोग(रेल) विधेयक पारित कराए गये हैं। वहीं एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक भी पेश किया जा चुका है जिसकी अभी चर्चा अधूरी है। इसके अलावा सरकार ने कुछ अन्य जरूरी कामकाज को भी निपटाया है। विपक्षी दलों की गैरमौजूदगी में इस कामकाज का गुस्सा भी कांग्रेस अपनी रणनीति में समेटे हुए है।
तल्ख तेवरों में कांग्रेस 
कांग्रेस के सूत्रों की माने तो सोमवार को सरकार को संसद में घेरने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की गई है, जिसका मकसद विपक्ष सरकार को यह अहसास कराना चाहता है कि विपक्ष की अनुपस्थिति में चर्चा और विधेयक या अन्य कार्य करना संसदीय प्रणाली और नियमों के दायरे से बाहर है। मसलन यदि सरकार सदन में कामकाज करना चाहेगी तो हंगामा करने वाले सांसदों को फिर से निलंबित किया जा सकता है, जिसके लिए कांग्रेस सरकार के कामकाज को रोकने का भरकस प्रयास करने की तैयारी से आएगी, भले उन्हें सदन से निलंबित करके बाहर क्यों न कर दिया जाए। हालांकि लोकसभा अध्यक्ष के इन अंतिम दिनों में निलंबन जैसी कार्यवाही करने की उम्मीद बहुत कम हैं, बल्कि सरकार की ओर से प्रयास होगा कि नियमों के अनुसार सदन में कामकाज किया जाये, ताकि उसकी प्राथमिकता में शामिल भूमि अधिग्रहण विधेयक और जीएसटी को इसी मौजूदा सत्र में अंजाम तक पहुंचाया जा सके।

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