सोमवार, 24 अगस्त 2015

कचरा निपटान को सख्त कानून !

सरकार ने तैयार किया नए नियमों का मसौदा
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
संसदीय समिति की चिंताओं के बाद केंद्र सरकार ने भयावह बीमारियों की दस्तक देते आ रहे विभिन्न प्रकार के कचरे के निपटान के लिए सरकार ने सख्त कानून बनाने की कवायद शुरू की है। ई-कचरा हो या प्लास्टिक कचरा उसके अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों की तर्ज पर नियमों में संशोधन करने के लिए मसौदा तैयार किया किया गया है। संभावना है कि सरकार जल्द ही संशोधित नियमों को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर सकती है।
संसद के मानसून सत्र के शुरूआती सप्ताह में ही ई-कचरे व प्लास्टिक कचरे के निपटान के तौर तरीकों और नियमों में खामियों का उल्लेख करते हुए संसदीय स्थायी समिति ने एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें टिप्पणी की थी कि यदि जल्द ही ई-कचरे या प्लास्टिक या अन्य कचरे के निपटान के लिए जल्द ही नियमों को अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों की तर्ज पर संशोधित न किये गये, तो इसके मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव की स्थिति ज्यादा भयावह हो सकती है। विभाग संबंधी समिति ने रिपोर्ट में यह कहा गया है कि हर साल देश में ई-कचरे की मात्रा जिस तरह से बढ़ी है वह आठ लाख टन से भी अधिक हो चुकी है, जबकि इसी प्रकार देश में पांच दर्जन से ज्यादा प्रमुख शहरों में करीब 3600 टन प्लास्टिक कचरा अपशिष्ट स्थिति में आ जाता है, लेकिन कचरा प्लास्टिक का हो या ई-कचरा उसके अपशिष्ट संबंधी नियम जिस शुरूआती अवस्था में हैं, उन्हें तत्काल संशोधन करके सख्त बनाने की जरूरत है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से हर तरह के कचरे के निपटान के लिए बने लचीले नियमों में संशोधन करके उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने की सिफारिश की है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार फिलहाल सरकार ने प्लास्टिक की थैलियों के निर्माण के लिए नियमों में बदलाव करने के साथ ई-कचरे के निपटान के लिए भी नियमों को सख्त बनाने का फैसला कर लिया है, जिसके लिए मंत्रालयन ने विभिन्न मंत्रालयों के सुझावों के साथ एक मसौदा तैयार करके उसे अंतिम रूप दे दिया है। सरकार की तैयारियों को देखते हुए ऐसी भी उम्मीद जताई गई है कि जल्द ही केंद्र सरकार इस संबन्ध में अधिसूचना जारी करके शिकंजा कसने का काम पूरा करेगी।
कैसा होगा नया कानून
सूत्रों के अनुसार संसदीय समिति की कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशों और सुझावों पर सरकार ने गंभीरता से विचार-विमर्श करके मसौदे का हिस्सा बनाया है, जिसमें प्लास्टिक पॉलिथिन और थैलियों के निर्माण के लिए न्यूनतम मानक तय किये गये हैं। सरकार जल्द ही महिम थैलियों के निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। इस मसौदे में प्लास्टिक की थैलियों के निर्माण के लिए मौजूदा न्यूनतम 40 माइक्रोन की मोटाई को बढ़ाकर 50 माइक्रोन करने का प्रस्ताव है। नए कानून में सरकार प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत जुर्माना और सजा को बढ़ाने प्रावधान भी शामिल है। मसौदे के अनुसार प्लास्टिक थैला रंगीन होगा, जिसमें दवाओं, खाद्य पदार्थ और पानी के साथ मिलने पर घातक न हो जैसे पिग्मेंट शामिल करना अनिवार्य होगा। यह भी नियमों में तय किया जा रहा है कि प्लास्टिक थैलों के निर्माताओं को राज्य प्रदूषण नियमंत्रण बोर्ड में पंजीकरण कराकर निर्माण की अनुमति लेनी होगी।
ई-कचरे ने बढ़ाई ज्यादा चिंता
समिति की रिपोर्ट की माने तो अनुसर देश में बढ़ते इलेक्ट्रानिक कचरे के निपटान में सुरक्षा मानकों के अभाव में लोगों को श्वसन संबंधी बीमारियों खांसी, दम घुटने, अस्थमा तथा कैंसर, चिड़चिड़ेपन और आवाज में कंपन जैसी बीमारियों से जूझने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं समिति की रिपोर्ट के मुताबिक ई-कचरे के निपटान के लिए देश में महज स्थापित 126 केंद्र हैं जिन्हें अपर्याप्त बताया गया है। सरकार से समिति ने ई-कचरे के निपटाने के लिए स्थापित मौजूदा ई-वेस्ट रिसाइक्लर या डिस्मेंटलर संख्या ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने पर बल दिया है।
24Aug-2015

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