बुधवार, 12 अगस्त 2015

खुद की छवि बचाने को एकजुट पक्ष-विपक्ष के सांसद!

गतिरोध में गुम जनहित के मुद्दो पर बेपरवाह
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उच्च सदन में भले ही मानसून सत्र में पहले दिन से जारी गतिरोध के कारण जनहित के मुद्दे हंगामे की बारिश में गुम हो गये हों, लेकिन मामला सांसदों की छवि खराब करने वाली टिप्पणियों का आया तो सदन में पक्ष और विपक्ष की एकजुटता देखने को मिली। ऐसी टिप्पणियों को विशेषाधिकार हनन का मामला करार देते हुए समूचा सदन ने सहमति जताई। मसलन मंगलवार को पहली बार बैठक की शुरूआत शांत माहौल में होती नजर आई।
संसद के मानसून सत्र में उच्च सदन की मंगलवार को जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई तो पहले दिन से हंगामे के छाते आ रहे बादल छंटते दिखे और शांत माहौल में बैठक की शुरूआत से ऐसा लगने लगा था जैसे गतिरोध खत्म हो गया हो और पहली बार मंगलवार को उच्च सदन की शुरूआती कार्यवाही पटरी पर आ गई हो, लेकिन कुछ देर में समझ में आ गया कि इस शांति की वजह क्या है? जिसके कारण मानसून सत्र में पहली बार सदन की शुरूआती कार्यवाही आधे घंटे से भी ज्यादा चली। दरअसल सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सपा के नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि सुनियोजित तरीके से संसद और सांसदों की जनता में छवि खराब करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाए कि एक साध्वी ने तो सांसदों को आतंकवादी तक करार दे दिया है। वहीं एक पूर्व न्यायाधीश की संसद के खिलाफ टिप्पणी पर जनप्रतिनिधियों के संबन्ध में आए उच्च न्यायालय के एक फैसले का भी जिक्र किया, तो लगे हाथ अग्रवाल ने संसद में भोजन की सब्सिडी और अन्य सुविधाओं को लेकर उठने वाले सवालों पर मीडिया को भी निशाना बनाया। सदन में जब सांसदों से जुड़ा मामला गूंज रहा था, तो माहौल शांत होना लाजिमी था। मसलन सपा सांसद नरेश अग्रवाल के इस मामले पर सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी नेताओं ने समर्थन करते हुए नेताओं की छवि को धूमिल करने के इन प्रयासों को लोकतंत्र के लिए घातक करार दिया।

विशेषाधिकार हनन का मामला
सदन में उठे जनप्रतिनिधियों के इस मामले पर अग्रवाल के तर्को को समर्थन करते हुए प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह सवाल सत्ता पक्ष और विपक्ष का नहीं है। इस मामले पर जनप्रतिनिधियों की छवि को खराब करने के प्रयास में सभी एकजुट हैं, क्योंकि सरकार चलाने के लिए लोकतंत्र के अलावा दूसरी कोई व्यवस्था नहीं हो सकती। इस मामले पर सदन के नेता के रूप में अरुण जेटली भी बोलने के लिए कई बार खड़े हुए, लेकिन उससे पहले ही साध्वी की आतंकवादी टिप्पणी पर विशेषाधिकार हनन को नोटिस देने वाले जदयू सांसद केसी त्यागी के साथ ही भाजपा के अनिल माधव दवे ने भी नरेश अग्रवाल की बात से सहमति जाहिर की और कहा कि सांसदों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी पर रोक लगाने के लिए सभापति से कुछ कदम उठाने की मांग की। उपसभापति ने भी सदन के साथ सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा होनी चाहिए।
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प्रश्नकाल हंगामे की भेेंट
उच्च सदन में मानसून सत्र के दौरान अभी तक एक भी दिन प्रश्नकाल नहीं हो सका, जिसमें जनहित के मुद्दे उठाए जाते हैं। उच्च सदन की शुरूआत शून्यकाल से होती है और प्रश्नकाल का समय दोपहर 12 बजे नियत किया हुआ है। शून्यकाल में भी जनहित के महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं लेकिन व्यापम और ललित मोदी मामले को लेकर सरकार और विपक्ष में जारी गतिरोध के कारण सभी जनहित के मुद्दे हंगामे में गौण हो रहे हैं। जहां तक मौजूदा मानसून सत्र का सवाल है अभी तक उच्च सदन की कार्यवाही की शुरूआत होते ही कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों का हंगामा होता रहा है जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है। मंगलवार को एक बारगी लगा था कि शून्यकाल व प्रश्नकाल भी होगा, लेकिन जनहित के मुद्दों की परवाह किए बिना जनप्रतिनिधियों ने अपने मामले को तरजीह देते हुए सदन की कार्यवाही को कुछ देर चलाया।
12Aug-2015

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