मंगलवार, 11 अगस्त 2015

आखिर फिर लटका भूमि अधिग्रहण बिल

आज नहीं पेश हो पाएगी जेपीसी की रिपोर्ट
जेपीसी में खूब हुआ हंगामा
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
बहुप्रतीक्षित भूमि अधिग्रहण विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति को मंगलवार को लोकसभा में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन सोमवार को हुई समिति की बैठक में सदस्यों के बीच हुए हंगामे के कारण इस मुद्दे पर रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका और यह विधेयक आगामी संसद सत्र तक के लिए लटक गया है।
सूत्रों के अनुसार भूमि अधिग्रहण विधेयक के संशोधनों की पड़ताल करने वाली संसद की संयुक्त समिति की मंगलवार को संसद में पेश करने के लिए अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए सोमवार को बैठक बुलाई गई, लेकिन इस बैठक में कुछ प्रावधानों को लेकर समिति के सदस्यों में आम राय नहीं बन सकी और आपस में तीखी झड़पे तक हुई। इसलिए समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद एसएस अहलूवालिया ने इस रिपोर्ट को संसद के अगले सत्र में पेश करने का निर्णय लिया है, जिसका कारण रिपोर्ट को हंगामे के कारण अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। मसलन सरकार के उन मंसूबों पर पानी फिर गया है, जिसमें इसी सत्र में इस विधेयक को पारित कराने का प्रयास किया जा रहा था। इसी मकसद से सरकार ने नौ में से छह संशोधनों को वापस लेने के लिए सहमति भी बना ली थी, लेकिन बाकी तीन संशोधनों पर भी समिति के अंदर विपक्षी दलों के सदस्यों के साथ सहमति नहीं बन पाई, जिसके कारण रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीें दिया जा सका। गौरतलब है कि पिछले दो महीनों की जद्दोजहद के बावजूद संयुक्त समिति में नए जमीन अधिग्रहम बिल के प्रारूप पर आम राय नहीं बन सकी। अब संयुक्त समिति के चेयरमैन ने तय किया है कि वे शीतकालीन सत्र के पहले हμते तक अपनी फाइनल रिपोर्ट पेश करेंगे और इस दौरान जिन मसलों पर राजनीतिक गतिरोध बना हुआ है उसे दूर करने करने के लिए नए सिरे से राजनीतिक आमराय बनाने की फिर कोशिश होगी।

एक-दूसरे पर फोड़ा ठीेंकरा
सूत्रों के अनुसार सोमवार की संयुक्त समिति की बैठक में जमकर हुए हंगामे के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की है कि भूमि अधिग्रहण बिल पर सहमति को आगे नहीं बढ़ाया जा सका है, जिन्होंने जेपीसी की रिपोर्ट में विलंब के लिए विपक्ष को जिम्मेदार भी ठहराने का प्रयास किया। बैठक में भाजपा के एक वरिष्ठ सदस्य ने आरोप लगाया कि कांग्रेस भूमि बिल पर जान बूझकर देरी करवा रही है। इस आरोप से तिलमिलाए जयराम रमेश ने बैठक छोड़ दी और तमतमाते हुए बाहर चले आए। जल्दी ही कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह तेजी से बाहर आए और उन्होंने जयराम को जानकारी दी कि भाजपा के सदस्य ने अपना बयान वापल ले लिया है। जयराम मान गए और फिर बैठक में वापस चले गए। हालांकि महत्वपूर्ण मसलों पर इस तनाव का असर साफ दिखा। बैठक में गर्मी रेट्रोस्पेक्टिव क्लॉज पर सबसे ज्यादा हुई। कांग्रेस चाहती है कि इस मामले में 2013 के प्रावधान लागू हों। 2013 के कानून में यह प्रावधान था कि जमीन अधिग्रहण एक्ट लागू होने के पांच साल या उससे पुराने जो मामले हैं जिसमें जमीन कब्जे में नहीं ली गई है या जिसका पेमेन्ट नहीं हुआ है, ऐसी सभी अधिग्रहण की प्रोसीडिंग्स लैप्स मानी जानी चाहिए।

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