रविवार, 2 अगस्त 2015

बिल अटके तो रुकेगी विकास की रफ़्तार!

सदन में  कार्यवाही पर हावी रहा विपक्ष का हंगामा  
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के मानसून सत्र के दो सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ गये, जिसके कारण सरकार के विकास के एजेंडे और अर्थव्यवस्था की  रफ़्तार बढ़ाने से संबन्धित एक भी महत्वपूर्ण विधेयक या विधायी कार्य आगे नहीं बढ़ सका। यदि संसद में हंगामे के चलते जरूरी विधेयक और अन्य काम अटका तो देश के विकास की योजनाओं को लेकर सरकार के सामने मुश्किले खड़ी हो सकती हैं। यही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी आर्थिक सुधारों को लेकर देश की साख भी प्रभावित होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
संसद के मानसून सत्र के लिए मोदी सरकार देश के विकास और आर्थिक सुधारों की रμतार तेज करने के इरादे से कुछ ऐसे महत्वपूर्ण विधेयक और अन्य कामकाज को पूरा करने के इरादे से आई थी, लेकिन ललित मोदी और व्यापम घोटाले पर कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी करके दो सप्ताह की कार्यवाही हंगामे के हवाले कर दी और सरकार इस दौरान एक भी महत्वपूर्ण काम को सिरे नहीं चढ़ा पाई। संसद में जारी इस गतिरोध को तोड़ने के लिए हालांकि सरकार प्रयासरत है और सत्र के बीच में ही एक बार फिर से सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस तकरार को खत्म करने के लिए प्रयास करने के मूड में है। सूत्रों के अनुसार यदि जल्द ही संसद में यह गतिरोध खत्म न हुआ और विकास और आर्थिक सुधरों से संबन्धित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित न किया गया तो इसके लिए आर्थिक सुधारों के दृष्टिकोण से अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की साख दांव पर लग सकती है, जबकि विकास की परियोजनाओं की  रफ़्तार रुकना भी तय है। आर्थिक विशेषज्ञों की माने तो आने वाले दिनों में आर्थिक सुधरों को लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रमुख ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज भारत की साख पर अपनी रिपोर्ट जारी करने की तैयारी कर रही है। यदि संसद में सरकार और विपक्ष के बीच तकरार खत्म नहीं हुआ तो संसद में सभी महत्वपूर्ण विधेयक अटक सकते हैं और इसके लिए सरकार के सामने राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि यदि जीएसटी जैसा विधेयक भी फंसा रहा तो इसके आर्थिक सुधारों के मद्देनजर घातक नतीजे सामने आ सकते हैं। मसलन भारत में निवेश के लिए बने सकारात्मक माहौल को कायम रखने के लिए सरकार को आर्थिक सुधारों और विकास की परियोजनाओं की गति को कहीं ज्यादा तेजी से करने की दरकार है।
राज्यसभा में बड़ी चुनौती
केंद्र सरकार लोकसभा में बहुमत के चलते प्राथमिकता वाले महत्वपूर्ण विधेयकों और अन्य कामकाज को तो हंगामे के बावजूद पूरा करने की क्षमता रखती है, लेकिन राज्यसभा में संख्याबल के अभाव में भूमि अधिग्रहण, जीएसटी, श्रम सुधार, रियल एस्टेट, भ्रष्टाचार निवारण, किशोर न्याय, प्रदाता संरक्षण जैसे कई ऐसे महत्वपूर्ण विधेयक हैं जो लोकसभा की मंजूरी लेने के बावजूद राज्यसभा में अटक सकते हैं। हालांकि इनमें से जीएसटी पर राज्यसभा में सरकार की राह आसान हो सकती है, लेकिन संसद में हालिया गतिरोध के कारण इसके भी मौजूदा सत्र में संकट के बादल छाए रह सकते हैं। इसलिए सरकार के सामने विपक्ष के साथ बरकरार तकरार को खत्म करने की चुनौती भी है, लेकिन विपक्ष के मुद्दों पर सरकार चर्चा कराने को तैयार है, लेकिन विपक्ष पहले कार्यवाही बाद में चर्चा की रणनीति पर सरकार को घेरे हुए है।
02Aug-2015

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