मंगलवार, 18 अगस्त 2015

सावधान! भूमिजल में घुला है जहर!

संदूषित भूमिजल से ग्रस्त है दो दर्जन राज्य
मेगा योजना के जरिए समस्या से निपटने की तैयारी
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने भूजल की गुणवत्ता को बहाल करने के लिए प्रभावित राज्यों के लिए मेगा स्कीमें बनाई है, लेकिन भूमि के जल में बढ़ती आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाईट्रेट, लोहा, के अलावा सीसा, क्रोमियमऔर कैडमियम जैसी भारी धातु तेजी के साथ घुलता जा रहा है। राज्यों में ऐसे संदूषित जल की नियमित निगरानी करने वाले केंद्रीय भूमि जल बार्ड भी मान चुका है कि देश में प्रभावित इलाकों के लोग विशुद्ध यानि जहरीला पानी पीने के लिए मजबूर हैं।
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा जारी की गई ताजा रिपोर्ट में भूमि जल की गुणवत्ता वाले आंकड़े पर नजर ड़ाली जाए तो दस राज्य आर्सेनिक, बीस राज्य फ्लोराइड, 21 राज्य नाईट्रेट, 24 राज्य लोहा तथा 15 राज्य सीसा, क्रोमियम और कैडमियम जैसी भारी धातु के भूजल से ग्रस्त हैं। इन राज्योें के विभिन्न इलाकों में जहरीले पदार्थो के मिश्रण वाले भूमि जल का पीने के लिए उपयोग करते हैं। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों की माने तो इन राज्यों के भूजल में विषैले पदार्थो की सांद्रता भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों से कहीं अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मौजूदा केेंद्र सरकार नेराष्ट्रीय ग्रामीण पेशल कार्यक्रम के तहत आबंटित निधि का 20 प्रतिशत जल गुणवत्ता की समस्याओं के लिए निर्धारित किया है, वहीं इस समस्या से निपटने के लिए तैयार की गई मेगा स्कीम को राज्यों से लागू करने को कहा गया है, जिसमें विषैले तत्वों से प्रभावित इलाकों खासकर आवासीय स्थलों पर सामुदायिक जल उपचार संयंत्रों की स्थापना और कम से कम एक व्यक्ति को प्रतिदिन दस लीटर सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने को कहा गया है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भूजल को संदूषित होने से बचाने के लिए जल गुणवत्ता आकलन प्राधिकरण का गठन करके इस समस्या से निपटने के प्रयासों की दुहाई दी है, लेकिन इस समस्या के समाधान के लिए सरकार किसी ठोस नतीजे सामने नहीं ला सकी है।

हरियाणा के 18 जिले फ्लोराइड से प्रभावित
हरियाणा के 18 जिलों के भूजल में फ्लोराइड, 19 जिलों में नाईट्रेट, 13 जिलों में आर्सेनिक, 17 जिलों में लौह व शीशा तथा सात जिलों में कैडमियम जैसे विषैले तत्वों की सांद्रता निर्धारित मानकता से कहीं ज्यादा पाई गई है। जिन 18 जिलों के भूजल में फ्लोराइड जैसा जहर मिला है उनमें भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुडगांव, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र, महेन्द्रगढ़, पंचकूला, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर शामिल हैं, जबकि इन 18 जिलों नाईट्रेट की मात्रा भी है, जिसमें अंबाला जिला भी शामिल है। आर्सेनिक वाले जिलों में अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, जींद, करनाल, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर को दर्ज किया गया है। इसी प्रकार लौह वाले जिलो में अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, गुडगांव, हिसार, झज्जर, जिंद, कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र, महेन्द्रगढ़, पानीपत, रोहतक,सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर भी शामिल हैं। हरियाणा के अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुडगांव, हिसार, झज्जर, जिंद, कैथल, करनाल, महेन्द्रगढ़, पंचकूला, पानीपत, रेवाडी, रोहतक, सिरसा व सोनीपत के भूजल में शीशे तथा भिवानी, गुडगांव, झज्जर, जींद, कैथल, रेवाडी व रोहतक के भूजल में कैडमियम की मात्रा भी मानकता से ज्यादा पाई गई है। कुल मिलाकर देखा जाए तो समूचा सूबे का भूमिजल विषैले तत्वों के प्रभाव में घिरा हुआ है।
दिल्ली भी बेहाल
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का समूचा क्षेत्र फ्लोराइड, नाइट्रेट, शीशा, कैडमियम व क्रोमियम जैसी धातुओं से युक्त भूजल की चपेट में है, जहां पीने के पानी की गुणवत्ता को सुधारना दूर की कोड़ी नजर आती है। भूजल में ऐसे पदार्थो का मिश्रण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक करार दिया जा चुका है।
छत्तीसगढ़ के 15 जिलों के पानी में फ्लोराइड
देश के 19 राज्यों में छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है, जिसके 14 जिलों बस्तर, बिलासपुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, जांजगीर, चाम्पा, जशपुर, कांकेर, कोरबा, कोरिया, महासमुंद, रायपुर, राजनांदगांव व सरगुजा के भूजल में फ्लोराइड की सांद्रता 1.5 मिग्रा प्रति लीटर जल की सांद्रता मानकता से कहीं अधिक है। इसी प्रकार राज्य के बस्तर, बिलासपुर, दंतेवाडा, धमतरी, जशपुर, कांकेर, कर्वधा, कोरबा, महासमुंद, रायगढ़, रायपुर व राजगनंदगांव के भूजल में नाईट्रेट 45 मिग्रा प्रति लीटर की सांद्रता को लांघ चुकी है। जबकि राजनंदगांव में आर्सेनिक की सांद्रता ने भी मानक को पहली बार पार कर लिया है। बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर व कोरिया में लौह की सांद्रता 1.0 मिग्रा प्रति लीटर से ज्यादा दर्ज की गई है। इसके अलावा भारी धातुओं में कोरबा में शीशा, कैडमियम व क्रोमियम तत्व भी मानकता से अधिक पाया गया है।
मध्य प्रदेश के 32 जिल के पानी में फ्लोराइड
मध्य प्रदेश के 32 जिलों अलीराजपुर, बालाघाट, बड़वानी, बैतूल, भिण्ड, छतरपुर, छिंदवाडा, दलिया, देवास, धार, डिंडोरी, गुना, ग्वालियर, हरदा, जबलपुर, झाबुआ, खरगांव, मंडला, मंदसौर, मुरैना, नरसिंहपुर, राजगढ़, सतना, सीहोर, सिवनी, शहडोल, शाजापुर, श्योपुर, सीधी, सिंगरौली, उज्जैन व विदिशा के भूजल में फ्लोराइड की सांध्रता मानकता से कहीं अधिक पाई गई है, जिन 48 जिलों में नाइट्रेट की मात्रा अधिक है उनमें इन जिलों के अलावा अलीराजपुर, अनूपपुर, अशोकनगर,बालाघाट, बडवानी, बैतूल, भिंड, भोपाल, बुरहानपुर, छतरपुर, छिंदवाडा, दमोह, दतिया, देवास, धार, डिंडोरी, गुना, ग्वालियर, हरदा, होशंगाबाद, इंदौर, जबलपुर, झाबुआ, खंडवा, खरगांव, कटनी, मंडला, मंदसौर, मुरैना, नरसिंहपुर, नीमच, पन्ना, रायसेन, रतलाम, रीवा, सागर, सतना, सीहोर, सिवनी, शहडोल, शाजापुर, श्योपुर, शिवपुरी, टीकमगढ़, उज्जैन, उमरिया व विदिशा भी शामिल हैं। जबकि राज्य के 42 इलाकों बालाघाट, बडवानी, बैतूल, भिंड, भोपाल, छतरपुर, छिंडवाडा, दमोह, दतिया, देवास, धार, डिंडोरी, गुना, ग्वालियर, होशंगाबाद, इंदौर, जबलपुर, झाबुआ, खंडवा, कटनी, मंडला, मंदसौर, नरसिंहपुर, नीमच, पन्ना, रायसेन, राजगढ़, रतलाम, रीवा, सागर, सतना, सीहोर, शाजापुर, शिवपुरी, सीधी, टीकमगढ़, उज्जैेन, उमरिया, विदिशा व पर्वू निमाई के भूजल में लौह की मात्रा भी अधिक बताई गई है।
18Aug-2015

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