राज्यसभा में अल्पमत के बावजूद लगभग लंबित सभी महत्वपूर्ण
विधेयकों को कराया पारित
सत्रहवीं लोकसभा के पहले सत्र में कामकाज के टूटते जा रहे हैं
रिकार्ड
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी-2
सरकार संसद के पहले संसद सत्र में विधायी कार्यो को निपटाने के मामले में एक
रिकार्ड की तरफ बढ़ती दिख रही है। 16वीं लोकसभा में निष्प्रभावी हुए अधिकांश
महत्वपूर्ण विधेयकों को सरकार विपक्ष के विरोध के बावजूद खासकर राज्यसभा में
अल्पमत में होते हुए भी पास कराने में सफल रही है। अब तक संसद ने 26 विधेयकों को
मंजूरी दी है। सरकार को बाकी विधेयकों को कल सोमवार से अंतिम सप्ताह के सत्र की
बैठकों में पास कराने की उम्मीद है।
सत्रहवीं
लोकसभा के पहले संसद सत्र में मोदी-2 सरकार जिस तेजी से कामकाज को आगे बढ़ा रही है
उससे लगता है कि पिछले दो दशकों के बाद यह पहला ऐसा सत्र साबित होगा, जब सर्वाधिक
विधेयकों को सरकार अंजाम तक पहुंचाने में सफल होगी। 17 जून को शुरू हुए संसद के
मौजूदा सत्र के दौरान अब तक मोदी सरकार तीन तलाक, कंपनी विधेयक और जम्मू और कश्मीर
आरक्षण समेत 10 अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में दोनों सदनों की मुहर लगवाने में
सफल रही है। वहीं मोटर वाहन विधेयक, यूएपीए, एनआईए, पॉक्सो, आरटीआई, मानवाधिकार, नेशनल
मेडिकल कमीशन, उपभोक्ता संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों को भी पास कराया जा चुका
है। अभी तक अध्यादेश समेत संसद के इस सत्र में पेश किये गये 37 विधेयकों में से 26
महत्वपूर्ण विधेयक ऐसे हैं जिन्हें संसद के दोनों सदनों से विपक्ष के भारी विरोध
के बावजूद सरकार पारित कराने में कामयाब रही है। इनमें 28 विधेयक लोकसभा और 26
राज्यसभा में पारित किये गये हैं। संसद से पारित हुए विधेयकों में अधिकांश वे
विधेयक भी शामिल है, जो 16वीं लोकसभा के
भंग होने के कारण निष्प्रभावी होने के कारण नए सिरे से पेश किये गये हैं। संसद
सत्र के विस्तार के बाद सरकार ने तीन और विधेयकों को अपने एजेंडे में शामिल किया
है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने के लिए कानून में संशोधन करने
वाला बिल भी शामिल है। इससे पहले इस सत्र के लिए सरकार के एजेंडे में 39 विधेयक लंबित
थे। माना जा रहा है कि यदि संसद में अंतिम सप्ताह की बैठकों में सभी बिलों पर मुहर
लग जाती है तो आजाद भारत के संसदीय में मोदी सरकार एक नया रिकार्ड कायम कर लेगी।
शायद संसद का यह पहला सत्र है जिसमें एक भी विधेयक को संसदीय समितियों को नहीं
भेजा गया, जिसका विपक्ष पुरजोर विरोध जता रहा है।
राज्यसभा में पस्त हुआ विपक्ष
संसद
के उच्च सदन में मोदी सरकार अल्पमत में है। इसके बावजूद सत्तापक्ष के सामने
विपक्षी दल बेबस नजर आ रहा है और तीन तलाक, आरटीआई और यूएपीए जैसे महत्वपूर्ण
विधेयकों को पारित कराने की मुश्किलें भी सरकार के लिए आसान बन गई। राजनीतिकारों
की माने तो इसके लिए विपक्ष की एकजुटता का तार-तार होना है, यही कारण है कि विपक्ष
के भारी विरोध और विधेयकों के लिए मतविभाजन के बावजूद भी उनका का हरेक प्रस्ताव
गिरता नजर आया है, चाहे वह विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का हो या फिर किसी
विधेयक में संशोधन प्रस्ताव हो, सभी मोर्चो ने बहुमत में होते हुए भी विपक्ष पस्त
होता नजर आया है। गौरतलब है कि विपक्ष के बहुमत के बावजूद राज्यसभा में अब तक 26
विधेयक पारित हो चुके हैं, जबकि वर्ष 2018 में हुए तीन सत्रों के दौरान मात्र 17
विधेयक ही पारित हो सके थे।
राज्यसभा में आज पेश होंगे
पांच विधेयक
सोमवार
पांच अगस्त को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) संबन्धी दो
विधेयकों को पुन: पेश किया जाएगा। जबकि लोकसभा से पिछले सप्ताह पारित हुए
राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (संशोधन) विधेयक, अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन)
विधेयक और सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने संबन्धी सरकारी स्थान (अप्राधिकृत
अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन विधेयक पेश किये जाएंगे।
लोकसभा में फिर पेश होंगे चार
विधेयक
केंद्र
सरकार के एजेंडे के मुताबिक लोकसभा में सोमवार को जहां राज्यसभा में पारित मोटर
वाहन (संशोधन) विधेयक में तीन संशोधनों और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक में
लाए गये चार संशोधनों को मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। इसके बाद इन दोनों
विधेयकों की संसद से मंजूरी मिलने की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद राष्ट्रपति के
पास मंजूरी हेतु भेजा जाएगा। जबकि लोकसभा में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में
न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य वाले उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीश
संख्या) संशोधन विधेयक के अलावा चिटफंड (संशोधन) विधेयक, उभयलिंगी व्यक्ति
(अधिकारों का संरक्षण) विधेयक और सरोगेसी (विनियमन) विधेयक पेश किया जाएगा।
05Aug-2019
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