गुरुवार, 22 अगस्त 2019

भूमिगत जल स्तर न सुधरा तो बूंद-बूंद को तरसेंगे हम!

जल व ऊर्जा संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में जुटे कई देश
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारत समेत दुनिया के कई देशों में लगातार गिरते भूजल के स्तर को न सुधारा गया तो पीने के पानी की बूंद-बूंद को भी तरसने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
यह चिंता यहां नई दिल्ली में बुधवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और विश्व अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से क्लीन एंड सेफ ड्रिंकिंग वाटर टू ऑल’ थीम पर शुरू हुए तीन दिवसीय विश्व जल शिखर सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय शोधकर्त्ता जल विशेषज्ञों ने जताई है। विशेषज्ञों ने जल व ऊर्जा सरंक्षण पर जोर देते हुए यह भी माना है कि भावी पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संसाधनों को बचाकर रखना, वर्तमान पीढ़ी के लिए सबसे मुश्किल विषय बनता जा रहा है यानि तेजी से संसाधनों के दोहन के कारण प्राकृतिक संसाधनों की कमी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों खासतौर पर भूमिगत जल का स्तर गिरने से भारत समेत अन्य देशों के कई राज्यों में भयावह जल संकट की स्थिति को अत्यंत चिंताजनक बताते हुए कहा कि यदि समय रहते भूजल स्तर सुधारने के उपाय नहीं किये तो दिल्ली जैसे महानगरों में लोगों को भारी जल संकट से जूझना पड़ा। इसलिए यहां तक माना जा रहा है कि अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए ही लड़ा जाएगा। इसी प्रकार के संकट एवं समस्या से निपटने के लिए विश्वस्तर पर विशेषज्ञ हरसंभव प्रयासों में जुटे हुए हैं। यह सम्मेलन भी ऐसे ही प्रयासों के तहत आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में म्यांमार, भूटान, जापान समेत दस और देश हिस्सा ले रहे हैं। इनमें देश-विदेश की कई नामी-गिरामी कंपनियां, मसलन ओएनजीसी, एलएंडटी कंस्ट्रक्शन, सनसोर्स एनर्जी, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, श्री सीमेंट, स्टरलाइट पावर, सीईएससी, एआरएआई, बाल्को, भारत पेट्रोलियम, वाप्कोस, रेव्स, स्प्रिंग आदि भी शामिल हैं जो जल और ऊर्जा संरक्षण को लेकर चर्चा कर रहे हैं।  
जल दोहन रोकना जरूरी
विश्व जल शिखर सम्मेलन में विशेषज्ञ ने चर्चा के दौरान इस दौरान लोगों को भूमिगत जल के दोहन को रोकने के लिए भी प्रेरित किया गया, ताकि भूमिगत जल के खत्म होने के बाद पैदा होने वाली प्राकृतिक विपदाओं से हमारी आने वाली पीढ़ी को बचाया जा सके। वहीं लोगों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल प्रबंधन के तरीकों की जानकारी दी, ताकि दिनों-दिन बढ़ते जल संकट से लोगों को बचाने के लिए दुनियाभर के संस्थान शोध में जुटे हुए हैं। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण और आर्थिक समृद्धि, वित्त एवं प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल बैठाना है, ताकि उद्योगों और लोगों के लिए जल की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में हो सके। इसके साथ ही जल की संरक्षण आने वाली पीढिय़ों के लिए किया जा सके। इस संबंध में जल संरक्षण की नई तकनीकों और विभिन्न क्षेत्रों में जल संरक्षण को लेकर हासिल की गई उपलब्धियों से लोगों को अवगत कराने के लिए प्रदर्शनी भी देखने को मिली।
विशेषज्ञों का सम्मान
सम्मेलन के पहले दिन बुधवार को विशेष रूप से काइनेटिक ग्रुप के चेयरमैन अरुण फिरोडिया, यूके के इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रेसिडेंट प्रो. कोलिन कॉलसन, बेल्जियम के इंटरनेशनल पार्टनरशिप फॉर हाईड्रोजन एंड फ्यूल सेल्स इन द इकोनॉमी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर टिम कैरिसन, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के रेन्यूबल एनर्जी टेक्नोलॉजीज डिवीजन के सीनियर फेलो-सह-सीनियर डायरेक्टर डॉ. अश्विनी कुमार एवं जोसाब इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर डेनिश अब्राहम को अपने-अपने फील्ड में बेहतरीन योगदान देने एवं उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने के लिए एक्सीलेंसी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
22Aug-2019

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