चर्चा
के दौरान राज्यों के अधिकारों को लेकर विपक्ष का विरोध
उच्च
सदन में पेश यूएपीए विधेयक पर चर्चा शुरू
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
लोकसभा
से पारित हुए नेशनल मेडिकल कमीशन बिल को राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष के
विरोध के बावजूद मंजूरी मिल गई है। देश में मेडिकल शिक्षा का जिम्मा अब इसी 25 सदस्यीय
आयोग के पास होगा। वहीं सरकार की ओर से शिक्षा में सुधार के लिए कई प्रावधान भी इस
बिल में किये गये हैं।
राज्यसभा
में गुरुवार को शून्यकाल के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा पेश
किये गये राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक(एनएमसी) पर चर्चा के दौरान विपक्षी
दलों ने इसका विरोध करते हुए केंद्र सरकार पर राज्यों के अधिकारों को कम करने का
आरोप लगाते हुए हंगामा भी किया। सदन में विपक्ष के विरोध के बाद विपक्ष द्वारा लाए
गये संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। इसके बाद सरकार के इस विधेयक को
पारित कराने के प्रस्ताव को भी ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। इससे पहले सदन में
विधेयक पर चली तीखी बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा
कि फीस पर भी कैप लगाने का प्रावधान बिल में शामिल हैं। प्रावधान के अनुसार आयोग में
राज्यों की भागीदारी पर मंत्री ने कहा कि 25 में से 11 सदस्य राज्यों से ही आते हैं
और स्वायत्त बोर्ड से भी 4 सदस्य हैं, ऐसे में कुल 15 सदस्य तो राज्य से ही होंगे।
उन्होंने कहा कि सर्च कमेटी में एक राज्य का प्रतिनिधि होगा। मंत्री ने विपक्ष की मांग
को स्वीकार करते हुए स्टेट काउंसिल से 5 की जगह 9 सदस्य और स्टेट यूनिवर्सिटी से 6
की जगह 10 सदस्यों को बोर्ड में शामिल किया जाएगा, जिसके लिए सरकार संशोधन भी लाई है।
वहीं उन्होंने नीट परीक्षाओं के बारे में कहा कि यह परीक्षा कुछ साल से देशभर में लागू
है। बोर्ड की सिफारिश के तहत एमबीबीएस के छात्र को फाइनल ईयर में अगली परीक्षा
देना होगा, जिसका मकसद डाक्टरों को काबिल बनाना है। हर्षवर्धन ने कहा कि देश की 80
हजार में से 40 हजार सीटें सरकारी कॉलेजो के पास हैं बाकी 40 हजार प्राइवेट मेडिकल
कॉलेजों के पास हैं। सरकारी कॉलेजों की फीस काफी कम है और प्राइवेट कॉलेजों की फीस
रेगुलेट करने का अधिकार एमसीआई के पास नहीं था, लेकिन सरकार ने तय किया कि इन कॉलेजों
की 50 फीसदी सीट को रेगुलेट और केप किया जाएगा। वहीं प्राइवेट सेक्टर की बाकी 50 फीसदी
सीट को राज्य रेगुलेट कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए उन्हें कॉलेज से समझौता ज्ञापन
पर हस्ताक्षर करने होंगे। इसके बाद ही राज्य जरूरतों के मुताबिक वह ऐसा कर पाएंगे।
ऐसे गिरे विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव
द्रमुक
सदस्य तिरुची शिवा की ओर से लाया गया एनएमसी
बिल में पेश किये गये संशोधन पर मत विभाजन मांगा गया तो उसमें यह प्रस्ताव प्रस्ताव
61 सदस्यों के मुकाबले 106 वोट से गिर गया। इसी प्रकार से सीपीएम के केके रागेश
द्वारा लाए गये संशोधन प्रस्ताव भी 51 के मुकाबले 104 वोटों से गिर गया। अन्य
संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत के साथ खारिज किये गये। इस बिल के विरोध में केंद्र सरकार
की ओर से मांग ने माने जाने पर मेडिकल कमीशन बिल के खिलाफ अन्नाद्रमुक सांसदों ने राज्यसभा
से वॉक आउट किया। कांग्रेस ने भी इस विधेयक पर अपनी आपत्ति जताई और यूपीए द्वारा
लागू प्रावधानों में संशोधन करके राजग सरकार अपना श्रेय लेना चाहती है। तृणमूल
कांग्रेस, राजद, आप और अन्य विपक्षी दलों ने भी बिल का विरोध करके इसे प्रवर समिति
के पास भेजने और अन्य संशोधन पेश किये, लेकिन सभी संशोधन खारिज हो गये।
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उच्च सदन में पेश यूएपीए
विधेयक पर चर्चा शुरू
राज्यसभा
में शुक्रवार को गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा पेश किये गये
विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक (यूएपीए) पर भाजपा के प्रभात झा ने
चर्चा की शुरूआत की है। इस विधेयक के प्रावधानों को आतंकवाद और आतंकी संगठनों पर
लगाम कसने जैसे सख्त प्रावशान किये गये हैं। लोकसभा से पहले ही यह बिल पहले ही पास
हो चुका है, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी को ज्यादा अधिकार देकर संगठन के साथ-साथ
किसी व्यक्ति को भी आतंकी घोषित करने जैसे अधिकार भी दिए गए हैं। समचार लिखे जाने
तक इस विधेयक पर चर्चा जारी थी।
02Aug-2019
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