संसद
के दोनों सदनों से मिली यूएपीए बिल को मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश
में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कानून के प्रावधान वाले विधेयक गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम)
संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है। लोकसभा के बाद राज्यसभा में यह विधेयक
पारित हो गया, जिसमें संशोधित सख्त कानून वाले प्रावधान राष्ट्रपति की मुहर लगने
के बाद लागू हो जाएंगे। इस विधेयक में अब आतंकी या संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त
समूहों के साथ किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित किया जा सकेगा।
राज्यसभा
में शुक्रवार को इस विधेयक के अलावा पुराने को इस विधेयक के अलावा अप्रासांगिक हो
चुके 58 कानूनों को खत्म करने संबन्धी निरसन और संशोधन विधेयक तथा देश में
श्रमिकों के वेतन संबन्धि मजदूर सहिंता विधेयक को भी पारित कराया गया। इससे पहले राज्यसभा
में शुक्रवार को एक दिन पहले शुरू हुई विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन (यूएपीए)
विधेयक की चर्चा को आगे बढ़ाया गया। सदन में भोजनावकाश से पहले ही पूरी हुई चर्चा
का केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जवाब के बाद विपक्ष की ओर से आए संशोधन ध्वनिमत
से खारिज हो गये। वहीं विपक्ष के इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने का
प्रस्ताव भी मत विभाजन के बाद 85 के मुकाबले 104 मतों से गिर गया। जबकि सरकार की
ओर से इस विधेयक को पारित कराने पर भी विपक्ष की मांग पर मत विभाजन की प्रक्रिया
अपनाई गई। इस प्रक्रिया में यूएपीए विधेयक 42 मतों के मुकाबले 147 मतो से पारित हो
गया। लोकसभा से यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है और अब राष्ट्रपति की मुहर लगते
ही आंतकवाद विरोधी सख्त कानून लागू हो जाएंगे।
क्या है विधेयक के प्रावधान
इस
विधेयक में उस प्रावधान को आमूलचूल तरीके से संशोधित किया गया है जिसमें अब तक आतंक
विरोधी गतिविधियों में केवल किसी समूह को प्रतिबंधित किया जाता है न कि किसी
व्यक्ति को। अब संसद से पारित हुए यूएपीए बिल के प्रावधानों के तहत अब इस संशोधन कानून
के लागू होने पर समूह के साथ ही किसी को व्यक्तिगत तौर पर भी आतंकी घोषित किया जा सकेगा।
मसलन आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने की आशंका के आधार पर किसी अकेले व्यक्ति को
आतंकी घोषित किया जा सकता है। वहीं आतंकियों की आर्थिक और वैचारिक मदद करने वालों और
आतंकवाद के सिद्धांत का प्रचार करने वालों को आतंकवादी घोषित करना भी आसान हो
जाएगा। इसके अलावा विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) (यूएपीए) संशोधन विधेयक के
प्रावधानों यानि नए एंटी टेरर लॉ के तहत आतंकवाद के मामले में एनआईए का इंस्पेक्टर
स्तर का अधिकारी भी जांच कर सकेगा और आतंकवादी गतिविधि पर संपत्ति जब्त करने के
मामले में एनआईए को राज्य के महानिदेशक से मंजूरी लेना आवश्यक होगा।
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गृहमंत्री अमित शाह का जवाब
उच्च
सदन में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक पारित होने से पहले चर्चा का
जवाब देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने वाली एजेंसियों
को चार कदम आगे बढ़कर काम करना होगा तभी आतंकवाद खत्म होगा और आतंकवाद का कोई धर्म
नहीं होता। इसी मकसद से सरकार इस विधेयक में सख्त कानूनों के प्रावधानों को लेकर
आई है। उन्होंने कहा कि यूएपीए या किसी अन्य कानून में व्यक्तिगत आतंकवादी को नामित
करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए जब किसी आतंकवादी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाता
है, तो उसके सदस्य एक नया संगठन बनाते हैं। व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के मामले
पर शाह ने यासीन भटकल का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि 2009 में ही यासीन भटकल को आतंकवादी
घोषित कर दिया गया होता, तो परिस्थितियाँ अलग होती। उनका कहना था कि संस्था व्यक्ति
से बनती है और घटना व्यक्ति करता है संस्था नहीं करती है, इसलिए व्यक्ति को आतंकवादी
घोषित करना आवश्यक है। उन्होंने सदन में कहा कि आतंकवाद आज पूरे विश्व की समस्या है
इसलिये दुनिया के कई देशों के अंदर अपने-अपने कानून बनाए गए हैं। उन्होँने कहा कि संयुक्त
राष्ट्र सहित विश्व के कई देशों में व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जाता है।
विपक्षी दलों की आशंकाओं को दूर करते हुए शाह ने कहा कि कानून के दुरुपयोग रोकने के
लिए बहुत सारी सावधानियां रखी गई हैं। उन्होंने कहा कि यह संशोधन डीजी एनआईए को ऐसी
संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है जो एनआईए द्वारा की जा रही जांच के संबंध में
आतंकवाद से जुड़ी है। उन्होँने यह भी कहा कि एनआएए की सजा की दर 91 प्रतिशत है जो वैश्विक
स्तर पर सर्वश्रेष्ठ है।
03Aug-2019
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