संसद ने लगाई जजों की संख्या बढ़ाने वाले
विधेयक पर मुहर
जलियांवाला बाग संबन्धी विधेयक पर अटकी
चर्चा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा
के 249वें सत्र में अंतिम दिन की कार्यवाही के लिए चार विधेयक पेश होने थे, लेकिन
मनी बिल के रूप में पेश किये गये दिन उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीश संख्या) संशोधन विधेयक
को बिना चर्चा के सदन में ध्वनिमत से बनी सहमति के बाद लोकसभा को वापस लौटा दिया
गया है। संसद की मंजूरी के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में 30 जजों की संख्या को बढ़ाकर
33 कर दिया जाएगा।
राज्यसभा
में संसद सत्र के अंतिम दिन बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति वेंकैया
नायडू ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने संबन्धी उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीश
संख्या) संशोधन विधेयक पर चर्चा का प्रस्ताव रखते हुए जानकारी दी कि यह धन विधेयक
के रूप में लोकसभा द्वारा पारित किया जा चुका है। यदि राज्यसभा के सदस्य चाहे तो
इसे बिना चर्चा के भी पारित कर सकते हैं और यदि चर्चा भी नहीं होती तो धन विधेयक
होने के कारण इसे पारित मान लिया जाएगा। इसे पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री
रविशंकर ने सभापति द्वारा पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन की जानकारी का
भी जिक्र किया, जिनके सम्मान में इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित करने पर बल
दिया। इस पर प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने विधेयक का समर्थन के ऐलान के बाद
सदन में बनी सहमति के बाद इसे बिना चर्चा के ही लोकसभा को वापस लौटाने के प्रस्ताव
को ध्वनिमत से मंजूरी मिल गई। दोनों सदनों की मंजूरी के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में
जजों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 कर दी जाएगी। गौरतलब है कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट
में प्रधान न्यायाधीश के अलावा 30 न्यायाधीश हैं। केंद्र सरकार इस विधेयक में
संशोधन इसलिए लेकर आई है कि न्यायाधीशों की कमी के कारण कुछ महत्वपूर्ण मामले
लंबित हो जाते हैं और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश भी जजों की
संख्या बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं।
तीन विधेयक नहीं हो सके पारित
राज्यसभा
की बुधवार की बैठक के लिए कार्यावली में चार विधेयक शामिल थे, जिनमें सबसे पहले जलियांवाला
बाग राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट से न्यासी के रूप में विधेयक में कांग्रेस अध्यक्ष का
नाम हटाने के प्रस्ताव वाला जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक को
लिया जाना था, जिसे लोकसभा पारित कर चुका है। उच्च सदन में पीएम नरेन्द्र मोदी की
मौजूदगी के दौरान जैसे ही केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्नलाद पटेल ने इस विधेयक
को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया, जिसे सत्तापक्ष ने सदन की बैठक का अंतिम
दिन होने के कारण बिना चर्चा के पारित करने का प्रस्ताव रखा तो विपक्षी सदस्यों ने
इसे अत्यंत महत्वपूर्ण विधेयक बताते हुए कहा कि इस पर विपक्ष भी अपना पक्ष रखना
चाहता है। इसके लिए प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सदन में सभी दलों
के सदस्य सुषमा जी के निधन के कारण ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि वे चर्चा में
हिस्सा ले सके और ऐसे समय चर्चा करना उचित भी नहीं है, इसलिए इस विधेयक को टालने
का सुझाव दिया। इसलिए इस विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी। भाजपा नेता सुषमा स्वराज के
निधन के कारण उच्च सदन में इसके अलावा बांध सुरक्षा विधेयक और उभयलिंगी व्यक्ति
(अधिकारों का संरक्षण) विधेयक उच्च सदन की कार्यसूची में होने के बावजूद पेश नहीं
किये जा सके।
08Aug-2019
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