बुधवार, 7 अगस्त 2019

देश में अब ज्यादा सुरक्षित होंगे ग्राहक

संसद ने लगाई उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पर मुहर
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
पिछले कई सालों से अटकते आ रहे उपभोक्ता संरक्षण (संशोधन) विधेयक को आखिर संसद से मंजूरी मिल गई है, जिसे लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही देश में उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के जरिए ज्यादा सुरक्षा मिल सकेगी।
उच्च सदन में मंगलवार को शून्यकाल के बाद केंद्रीय उपभोक्ता एवं खाद्य वितरण मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार व्यवहारों के कारण उन्हें होने वाले नुकसान से बचाकर संरक्षित करने वाले उपभोक्ता संरक्षण (संशोधन) विधेयक पेश किया, जिस पर चर्चा हुई चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इससे पहले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि लोकसभा में पारित हो चुका यह विधेयक संसद की मंजूरी के बाद उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 का स्थान लेगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों के अनुसार किसी भी ग्राहक की ऑनलाइन की गई शिकायत स्वत: ही 21 दिन के भीतर दर्ज हो जायेगी। इस विधेयक में ग्राहकों को पहले से ज्यादा संरक्षित रखने के प्रावधान किये गये हैं, जिसमें केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए)का गठन किया जाएगा, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में होगा। सीसीपीए को अधिकार दिये गये हैं कि वह दोषी पाए जाने पर उत्पाद बनाने वाली कंपनी पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माया और दो साल की सजा तक का फैसला दे सकेगी। उपभोक्ता संरक्षण से जुड़े सभी मामलों की जांच करने के अधिकारों के तहत संबन्धित मामलों की जांच करके आदेश को पारित करने का भी प्राधिकरण को अधिकार होंगे।
तीन स्तरों पर होगी जांच
इस प्राधिकरण के अलग-अलग स्तर पर जांच के लिये जिला, राज्य और केंद्र स्तर पर विभाजित किया गया है। इसके तहत जिला स्तर पर एक करोड़ रुपये, राज्य स्तर पर 1 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तथा दस करोड़ रुपये से ज्यादा के मामलों की जांच केंद्रीय स्तर पर की जाएगी। इसके तहत यदि किसी उत्पाद से उपभोक्ता को किसी तरह का नुकसान पहुंचता है तो कंपनी और उत्पादन वितरक को जिम्मेदार माना जाएगा, जिसके खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। इससे पहले चर्चा के दौरान टीएमसी और अन्य कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने के प्रस्ताव भी दिये, जिन्हें खारिज कर दिया गया।
गौरतलब है कि इस विधेयक में संशोधनों को संसद से पारित कराने के लिए यूपीए सरकार ने भी प्रयास किया था, जबकि राजग सरकार ने भी इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने का प्रयास किया, जिसे अध्ययन के लिए संसदीय समिति और प्रवर समिति के पास भी भेजा जा चुका था, जिनकी अधिकांश सिफारिशों के आधार पर विधेयक में प्रावधान किये गये हैं। 16लोकसभा के भंग होने के कारण यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया था, जिसे नए सिरे से मौजूदा संसद सत्र में पेश करके संसद से मंजूरी दिलाई गई है।
07Aug-2019




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें