संस्थाओं का सुरक्षित सफर के लिए ठोस कदम उठाने
पर बल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में
सड़क हादसों पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार का मोटर वाहन संशोधन कानून लागू होने के बाद सड़क सुरक्षा के लिए कार्य करने वाली संस्थाएं और सोशलिस्ट सक्रिय हो गये हैं। यमुना एक्सप्रेस-वे पर
लगातार हो रही दुर्घटनाओं में मौतों को रोकने के लिए सुरक्षित सफर के लिए ठोस कदम उठाने पर पेटीशन शुरू किया है, जो अब तक
700 से भी ज्यादा मौतें होने के कारण ‘मौत का हाईवे’
कहलाने लगा है।
ग्रेटर नोएडा से आगरा
के सफर को आसान बनाने के मकसद से बनाए गये यमुना एक्सप्रेस-वे लगातार
मौत का हाईवे साबित हो रहा है, जिस पर
एक आरटीआई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 से 2018 के बीच इस हाइवे पर सफर के दौरान अब तक पांच हाजार से ज्यादा सड़क हादसों में 700 मौतों के अलावा
7000 से ज्यादा लोग घायल हो
चुके हैं। सड़क सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर कार्य कर रही सोशल एक्टिविस्ट रिंकी
शर्मा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, परिवहन
मंत्री स्वतंत्रदेव, परिवहन विभाग की प्रमुख सचिव अराधना शुक्ला
और परिवहन आयुक्त धीरज साहू यानि उत्तर प्रदेश सरकार के नाम से यमुना एक्सप्रेसवे को
सुरक्षित बनाने के लिए एक पेटीशन शुरू किया है।
चाहिए जिंदगी का हाईवे
इस पेटीशन के बारे में हरिभूमि संवाददाता से
बातचीत में रिंकी शर्मा ने कहा कि पेटीशन में इस बात पर बल दिया कि यमुना एक्सप्रेस-वे
को सुरक्षित बनाने के लिए तुरंत क्रैश बैरियर लगाए जाएं, ताकि सड़क
हादसों को रोका जा सके। उनका मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर सडक हादसों के बाद यमुना
एक्सप्रेस-वे को ‘मौत का हाईवे’ की संज्ञा देना कोई आश्चर्य नहीं माना जा सकता। यदि सरकार ने यमुना एक्सप्रेसवे
को सुरक्षित करने के लिए जल्द ही कोई कदम नहीं उठाए तो आज नहीं तो कल हम या कोई भी
अथवा किसी के अपने इस ‘मौत के हाईवे’ के
शिकार हो सकते हैं। विभिन्न मंचों से सड़क सुरक्षा को लेकर आवाज बुलंद करती आ रही रिंकी
शर्मा ने इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार के नाम शुरू की गई पेटीशन इस एक्सप्रेस-वे
पर हादसों को रोकने के लिए ठोस एवं सुरक्षित कदम उठाने पर बल दिया है। रिंकी शर्मा
की इस पेटीशन सलोगन दिया गय है कि हमें ‘मौत का हाईवे’ नहीं ‘ज़िंदगी का हाईवे’ चाहिए।
उनका कहना है कि केंद्रीय
सड़क अनुसंधान संस्थान ने भी सरकार को सुझाव दिया है कि अभी यमुना एक्सप्रेस वे
पर लगे कटीली तार के बजाए का प्रयोग होता है,
जो
कि बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि क्रैश बैरियर
लगाने का सुझाव सरकार को देते आ रहे हैं।
ऐसे रोके जा सकेंगे हादसे
देश में सड़क सुरक्षा के लिए कार्य करने वाली
कंज्यूमर वॉयस की प्रोजेक्ट मैनेजर एकता पुरोहित का कहना है कि ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस-वे पर हादसों
को रोकने के लिए क्रैश बैरियर लगाने जैसे सुरक्षित उपाय किये जाने बेहद जरुरी हैं।
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ भी लगतार यमुना एक्सप्रेस वे पर क्रैश बैरियर लगाने के लिए सरकार
को लगातार सुझाव देते आ रहे हैं। वैसे भी भारत में सड़क हादसों से संबंधित मौतें और
लोगों का घायल होना हमारे देश के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई। एकता पुरोहित का कहना
है कि अब देश में मोटर वाहन संशोधन कानून भी लागू हो गया है, जिसके साथ खासकर देश के एक्सप्रेसवे और हाइवे को सुरक्षित करने के उपाय करने
के लिए तेजी से आगे आने की जरूरत है। भारत में सड़क हादसों में होने वाली मौतें सड़क
हादसों में होने वाली वैश्विक मौतों के 10 फीसदी हिस्से से ज्यादा हैं।
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राखी बांधने को नहीं लौटा
भाई
पिछले दिनों ही आगरा में पिछले दिनों यमुना
एक्सप्रेसवे पर हुए भयावह हादसे में 29 लोगों की मौत ने न जाने कितने परिवारों के
चिराग बुझा दिये और कितने परिवार अनाथ कर दिये, जिसके कारण कई
बहने अपने भाईयों के हाथों पर राखी तक नहीं बांध सकी। इसमें एक ऐसे युवक की भी जान
गई, जो दिल्ली में नौकरी करता था और अकेले घर चलाता था। सालों
पहले उसके पिता गुजर चुके थे,
घर
पर केवल माँ थी और एक बहन। सफर पर निकलने से पहले उसने बहन से वादा किया था कि वह रक्षाबंधन
पर ज़रूर आएगा, लेकिन उससे पहले उसकी मौत की खबर आई मसलन अब वो कभी घर नहीं आएगा। मसलन इस रक्षा बंधन पर वो भाई की कलई पर राखी नहीं
बांध सकी और वहीं परिवारिक संकट खड़ा हो गया कि अब वो परिवार कैसे चलेगा। यमुना एक्सप्रेस-वे
पर हुए ताज़ा हादसे ने ना जाने कितने परिवारों से ऐसे बेटे और बेटियों को छीना है।
इस हादसे में किसी के घर का इकलौता चिराग बुझ गया, तो किसी के सिर से पिता का
साया उठ गया।
18Aug-2019
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