सोमवार, 24 अगस्त 2020

आत्मनिर्भर भारत: सीआईआई सड़कों के लिए बीमा मसौदा तैयार करे:

देश के 115 आकांक्षी जिलों में एमएसएमई उद्योग में सुधार

पर बल

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

कोरोना संकट के दौर में केंद्र सरकार छोटी इकाइयों को एमएसएमई के दायरे में लाने की दिशा में उन्हें वित्तीय मदद देने की योजना पर काम कर रही है। इसी योजना के तहत सरकार ने उद्यमियों से देश के 115 आकांक्षी जिलों में एमएसएमई उद्योगों में सुधार पर जोर दिया है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को भारतीय उद्योग परिसंघ यानि सीआईआई द्वारा आयोजित भारत@ 75 शिखर सम्मेलन: मिशन 2022को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत देश के 115 चिन्हित आकांक्षी जिलों में एमएसएमई उद्योग की उपस्थिति में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में उनका योगदान वर्तमान में नगण्य है, लेकिन अगर उनकी ओर ध्यान केंद्रित किया जाता है, तो ये रोजगार के परिदृश्य को बड़े पैमाने पर बढ़ा सकते हैं। गडकरी ने कहा कि सरकार छोटी इकाइयों को

उनके लघु वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एमएसएमई के तहत लाने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। इसी मकसद से हाल ही में एमएसएमई का विस्तार किया गया है और 50 करोड़ तक के निवेश मूल्य वाले उद्योग और 250 करोड़ रुपये तक का कारोबार कारोबार करने वाले को एमएसएमई के तहत लाकर नई ढ़ंग से परिभाषित किया जा रहा है। वहीं एमएसएमई के अंतर्गत विनिर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों को समान परिभाषा देकर एक साथ लाया गया है।

आयात पर निर्भर क्षेत्रों की हो पहचान

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने उद्योग जगत से आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ावा देने की दिशा में ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने को कहा जो आयात पर विशेष रूप से चीन से आयात पर निर्भर हैं। उन्होंने देश को विश्व शक्ति बनाने के लिये आयात होने वाले सामानों का स्वदेशी विकल्प तलाशने का भी आह्वान किया।  गडकरी ने कहा कि तीन साल के निर्यात और आयात के आंकड़ों के आधार पर किये जा रहे एक अध्ययन के अनुसार पता चलता है कि चीन का 70 प्रतिशत निर्यात 10 क्षेत्रों से संबंधित है। इन क्षेत्रों में इलेक्ट्रिकल मशीन व उपकरण भी शामिल है, जो चीन के कुल निर्यात में 671 अरब डॉलर यानी 26.09 प्रतिशत का योगदान देता है। इसके अलावा कंप्यूटर समेत मशीनरी का निर्यात में 10.70 प्रतिशत यानी 417 अरब डॉलर का योगदान है। गडकरी ने उद्योग से आग्रह किया कि वे महानगरों और विकसित शहरों से परे ग्रामीण, दूर-दराज और आदिवासी क्षेत्रों में उद्यमों का एक नेटवर्क बिछाने पर फोकस करें। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि इन क्षत्रों के बजाए उद्योग निकायों का 90 प्रतिशत ध्यान बड़े शहरों और महानगरों में प्रमुख उद्योगों पर है। जबकि आत्मनिर्भर भारत के तहत इसमें बदलाव की आवश्यकता समय की मांग  है।

सड़कों के लिए तैयार हो बीमा मसौदा

गडकरी ने सीआईआई के प्रतिनिधियों से देश की समग्र आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए विचारों और सुझावों को साझा करने का आह्वान किया। उन्होंने चीन के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि वहां शीर्ष 10 व्यापार श्रेणियां देश के निर्यात में लगभग 70 प्रतिशत का योगदान देती हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी उन्नयन से भारत एमएसएमई क्षेत्र में नए निर्यात मार्ग की तलाश कर सकता है। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी संख्या में सहायक इकाईयों को विकसित करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा गडकरी ने सीआईआई से सड़कों के बीमा के लिए एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने को कहा कि जो बैंक गारंटी (बीजी) की जरूरत को खत्म कर देगा। इससे सड़क परियोजनाओं के वित्तीय समापन और वित्त पोषण में तेजी आएगी, जिससे परियोजनाएं तेजी से पूरी होंगी। उन्होंने विस्तृत रूप से बताया कि कैसे देश में सड़कों का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और प्रस्तावित 22 नई ग्रीन एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं से इसमें और अधिक सुधार होगा।

 09Aug-2020



 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें