सोमवार, 24 अगस्त 2020

राग दरबार:अयोध्या में श्रीराम मंदिर

योगी का कद

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन में भले ही श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के कर्णधार हाशिए पर रहे हों, लेकिन श्रीराम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम को लेकर जिस प्रकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस महत्वपूर्ण समारोह में भूमिका रही है उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीने पार्टी में योगी का कद बढ़ाया है? हालांकि मोदी ने किसी का कद छोटा नहीं किया, लेकिन  अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के भूमिपूजन और शिलान्यास के पूरे समारोह में योगी की जैसी भूमिका रही और उनको जितना महत्व मिला, उससे उनका कद निश्चितरूप से उसी तरह बढ़ता दिखाई दिया, जिस प्रकार से पिछले साल पांच अगस्त को ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करने और जम्मू कश्मीर के विभाजन के  फैसले से गृहमंत्री अमित शाह का कद बढ़ा था। राजनीतिकारों की माने तो पीएम मोदी चाहते तो यूपी के सीएम योगी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर शिलान्यास समारोह और उसकी तैयारियों के लिए किसी अन्य को जिम्मेदारी सौंप सकते थे, लेकिन उन्होंने जिस प्रकार पिछले साल अमित शाह को संसद में ऐतिहासिक ऐलान का जिम्मा सौंपकर उनका कद ऊंचा किया था, ठीक उसी प्रकार से ठीक एक साल बाद यूपी के सीएम  और योगी आदित्यनाथ का कद ऊंचा करने का काम किया है। हालांकि वैसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते उनकी प्रोटोकॉल के तहत इतनी भूमिका बनती थी कि वे पीएम के राज्य में आने पर आगवानी करते। सियासी गलियारों में चर्चा है कि यदि प्रधानमंत्री चाहते तो योगी को इतना महत्व नहीं मिलता और एक एक इशारे पर ही पूरा समारोह की तैयारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के जरिए हो सकती थी, जिसमें नृपेन्द्र मिश्र जैसे उनके अत्यंत भरोसेमंद लोग शामिल हैं और ऐसे में समूचा राजनीतिक नेतृत्व को घर बैठाया जा सकता था या फिर राज्य में किसी दूसरे मंत्री या दो उप मुख्यमंत्रियों में से किसी को जिम्मा दिया जा सकता था। लेकिन इसके बजाए पीएम मोदी ने सब कुछ योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जिस प्रकार श्रीरामजन्म भूमि पूजन व शिलान्यास के समूचे काम को अंजाम दिया है उससे निश्चित रूप से योगी का कदम बढ़ा है तो भाजपा संगठन में हलचल या बेचैनी होना भी स्वाभाविक होगा।

कांग्रेस के राम

देश में सियासत भी अजीब करवटे बदलती है। मसलन जो कांग्रेस या अन्य विपक्ष श्रीराम को काल्पनिक भगवान तक कहने से नहीं हिचके और अयोध्या में श्रीराम मंदिर के मुद्दे पर केवल राजनीति करते नजर आते रहे हैं। वहीं कांग्रेस समेत अन्य ऐसे दल खासकर कांग्रेस पाचं अगस्त को श्रीराम मंदिर के मुद्दे पर असमंजस में नजर आई और मंदिर के शिलान्यास का न चाहते हुए भी स्वागत करती नजर आई। हांलाकि कांग्रेस विचारधारा से बंधे कुछ नेता मंदिर निर्माण का श्रेय कांग्रेस को भी देते दिखाई दिये। कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार के लोग यानि राहुल व प्रियंका भी मंदिर के भूमि पूजन को लेकर अपनी रणनीति में बदलाव जैसे तेवरों में दोनों ने इसका श्रेय कांग्रेस को देते हुए शुभकामनांए भी देते नजर आए। जब राहुल व प्रियंका ने श्रीराम मंदिर के मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपनाया तो पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भी ऐसी ही लाइन पकड़ी ताकि किसी भ्रम की नीति न रहे। राजनीतकारों की माने तो यूपी की सियासत में राम मंदिर राजनीति का अहम मुद्दा रहा है और यूपी की प्रभारी होने के नाते प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मुद्दे पर भाजपा को आगे जाने से रोकने की नीयत से यह संदेश देने का प्रयास किया है कि श्रीराम मंदिर भाजपा सरकार नही, बल्कि अदालत के आदेश पर बनाया जा रहा है। वैसे भी राहुल गांधी चुनावी मौसम में कभी शिवभक्त और मंदिरों में पूजा पाठ करते नजर आए तो अब समय की नजाकत को समझते हुए हिंदु मतदाताओं में रामभक्त के तौर मंदिर निर्माण का समर्थन करके लोगों खासकर हिंदुओं मतदाताओं का भरोसा जीतने के लिए कांग्रेस की रणनीतियों में कन्फ्यूजन एक बार नहीं कई बार सामने आया है।

09Aug-2020

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