शनिवार, 8 अगस्त 2020

अगरबत्ती उत्पादन में भारत जल्द ही बनेगा आत्मनिर्भर

आत्मनिर्भर भारत: सरकार ने दी अगरबत्ती उत्पादन क्षेत्र में नई योजना को मंजूरी

केवीआईसी जल्द ही शुरू करेगा खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशन

इस पायलट परियोजना में देश में सृजित होंगे हजारों रोजगा

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

केंद्र सरकार ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने और इस ऐसे उत्पादों के आयात की प्रथा को खत्म करने की दिशा में स्वदेशी अगरबत्ती के उत्पादन क्षेत्र में एक ऐसी परियोजना को मंजूरी दी है, जिसमें हजारों की संख्या में रोजगार का सृजन भी होगा। इस योजना के तहत स्वदेशी उत्पादन के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग यानि केवीआईसी जल्द ही प्रायोगिक परियोजना शुरू करेगा।

केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्म-निर्भर बनाने  के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा प्रस्तावित एक अद्वितीय रोजगार सृजन कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। केवीआईसी के खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशननाम के प्रस्ताव पर मंजूर हुई इस योजना का उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में बेरोजगारों और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार और घरेलू अगरबत्ती उत्पादन को बढ़ावा देना है। इसके तहत केवीआईसी द्वारा एक प्रायोगिक परियोजना जल्द ही शुरू की जाएगी। मंत्रालय के अनुसार निजी सार्वजनिक मोड पर केवीआईसी द्वारा बनाई गई इस योजना में बहुत कम निवेश में ही स्थायी रोजगार सृजित होगा और निजी अगरबत्ती निर्माताओं को बिना किसी पूंजी निवेश के अगरबत्ती का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि इस योजना के तहत केवीआईसी सफल निजी अगरबत्ती निर्माताओं के माध्यम से कारीगरों को अगरबत्ती बनाने की स्वचालित मशीन और पाउडर मिक्सिंग मशीन उपलब्ध कराएगा जो व्यापार भागीदारों के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। केवीआईसी ने केवल स्थानीय रूप से भारतीय निर्माताओं द्वारा निर्मित मशीनों की खरीद का फैसला किया है

मशीनों पर मिलेगी सब्सिडी

एमएसएमई मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत केवीआईसी मशीनों की लागत पर 25 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करेगा और कारीगरों से हर महीने आसान किस्तों में शेष 75 प्रतिशत की वसूली करेगा। व्यापार भागीदार कारीगरों को अगरबत्ती बनाने के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराएगा और उन्हें काम के आधार पर मजदूरी का भुगतान करेगा। कारीगरों के प्रशिक्षण की लागत केवीआईसी और निजी व्यापार भागीदार के बीच साझा की जाएगी। 

मसलन इसमें केवीआईसी लागत का 75 फीसदी वहन करेगा, जबकि 25 प्रतिशत व्यापार भागीदार द्वारा भुगतान किया जाएगा। वहीं व्यापार भागीदारों द्वारा साप्ताहिक आधार पर कारीगरों को मजदूरी सीधे उनके खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से प्रदान की जाएगी। कारीगरों को कच्चे माल की आपूर्ति, लॉजिस्टिक्स, गुणवत्ता नियंत्रण और अंतिम उत्पाद का विपणन करना केवल व्यापार भागीदार की जिम्मेदारी होगी। इस संबंध में पीपीपी मोड पर परियोजना के सफल संचालन के लिए केवीआईसी और निजी अगरबत्ती निर्माता के बीच दो-पक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

मजदूरी की की गई तय

मंत्रालय के अनुसार अभी अगरबत्ती बनाने की मजदूरी 15 रुपये प्रति किलोग्राम तय की गई है। इस दर से एक स्वचालित अगरबत्ती मशीन पर काम करने वाले 4 कारीगर 80 किलोग्राम अगरबत्ती बनाकर प्रतिदिन न्यूनतम 1200 रुपये कमाएंगे। इसलिए प्रत्येक कारीगर प्रति दिन कम से कम 300 रुपये कमाएगा। इसी तरह पाउडर मिक्सिंग मशीन पर प्रत्येक कारीगर को प्रति दिन 250 रुपये की निश्चित राशि मिलेगी। 

इस योजना को दो प्रमुख फैसलों में अगरबत्ती के कच्चे माल पर आयात प्रतिबंध और बांस के डंडों पर आयात शुल्क में बढ़ोत्‍तरी, को देखते हुए बनाया गया। ये फैसले नितिन गडकरी की पहल पर क्रमश: वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय द्वारा लिए गए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कारीगरों का साथ देना और स्थानीय अगरबत्ती उद्योग की मदद करना है। देश में अगरबत्ती की वर्तमान खपत लगभग 1490 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। हालांकि, भारत में अगरबत्ती का उत्पादन प्रतिदिन केवल 760 मीट्रिक टन ही है। मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है। 

03Aug-2020

 

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