हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी के साथ जुटा हुआ है। इसी मिशन के तहत उत्तर रेलवे ने 2231 एलएचबी कोचों में से घरेलू स्तर पर 2211 कोचों को रिकार्ड समयावधि में ‘हेड ऑन जनरेशन’ प्रणाली में तब्दील कर लिया है।
उत्तर एवं उत्तर-मध्य रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर रेलवे आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत अब तक 2211 डिब्बों को “हेड ऑन जनरेशन” प्रणाली में बदला है और ये कोच शताब्दी, राजधानी, हमसफ़र और एसी स्पेशल रेलगाडि़यों में सफलतापूर्वक चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली के अपनाने से उत्तर रेलवे को 92.5 करोड़ रुपए कीमत के 1.3 करोड़ लीटर डीजल की बचत हुई है।
चौधरी ने इस प्रणाली की पृष्ठभूमि में कहा कि भारतीय रेलवे की कई अनेक प्रीमियम और मेल/एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में एलएचबी डिब्बे इस्तेमाल किये जा रहे हैं। इन्टीग्रल कोच फैक्ट्री के परंपरागत डिब्बों से अलग ये एलएचबी कोच वातानुकूलन, बिजली, पंखे, चार्जिंग प्वाइंट्स और रसोई यान में लगने वाली बिजली, जिसे सामूहिक रूप से ‘होटल लोड’ कहा जाता है, जिसकी निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं। इस उद्देश्य के लिए रैक के दोनों सिरों पर प्राय: लगाये जाने वाले पावर कार में जनरेटर का इस्तेमाल ‘एण्ड ऑन जनरेशन’ प्रणाली के रूप में किया जाता है।
कार्बन उत्सर्जन में मददगार
महाप्रबंधक चौधरी ने बताया कि पावर कार के स्थान पर यात्री डिब्बों को लगाकर रेलवे अतिरिक्त राजस्व भी अर्जित कर सकती है। बिजली के उत्पादन के लिए डीजल का कोई उपयोग नहीं है अत: जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण की संभावना भी समाप्त हो जाती है। वहीं पावर कार से होने वाला तेज ध्वनि प्रदूषण भी रोकने में मदद मिली है। ऐसे पर्यावरण अनुकूल उपायों को अपनाकर भारतीय रेलवे, जोकि परिवहन का एक हरित माध्यम है, अपने कार्बन फूटप्रिंट को कम करके “कार्बन क्रेडिट” अर्जित कर रही है। इसी मकसद से पावर इलैक्ट्रॉनिक्स, कन्ट्रोल सिस्टम और पावर सप्लाई सिस्टम के क्षेत्र में तकनीकी उन्नयन और निरन्तर प्रगति के चलते भारतीय रेलवे रेल डिब्बों में बिजली की आपूर्ति के लिए हेड ऑन जनरेशन’ प्रणाली को अपना रही है।
इस प्रणाली में रेलगाड़ी के होटल लोड के लिए पावर कार की बजाय बिजली की आपूर्ति विद्युत लोकोमोटिव से की जाती है। इंजन के पेन्टोग्राफ से विद्युत करंट को टैप करके पहले ट्रांसफार्मर को भेजा जाता है और फिर डिब्बों की विद्युत आवश्यकताओं के लिए 750 वोल्ट, 3-फेज 50 हर्ट्ज में परिवर्तित किया जाता है।
12Aug-2020
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