शुक्रवार, 9 जून 2017

कृषि क्षेत्र में शुरू हुई कचरा निपटान तकनीक

मंत्रालय के स्वच्छता पखवाड़े में दिखाए गए परिणाम
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
कृषि क्षेत्र में किसानों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए शुरू की गई कचरा निपटान तकनीक के विकास को बढ़ावा देने का देश के किसानों को फायदा मिलने लगा है, जिसमें जैविक खेती को दिये जा रहे प्रोत्साहन से किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास भी शामिल है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा देशभर में किसानों को सफाई के प्रति जागरूक करने के लिए चलाए गये स्वच्छता पखवाड़े के दौरान इसके सकारात्मक असर होने का दावा किया गया है। मंत्रालय के अनुसार इस दौरान मंत्रालय के परिसर में चलाए जाने वाले स्वच्छता अभियान से बाहर निकलकर कृषि मंडियों, मछली बाजारों तथा कृषि विज्ञान केंद्रों के आसपास स्थित गांवों में जागरूकता कार्यक्रम एवं सफाई अभियान चलाया गया। मंत्रालय के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों को स्वच्छ रखने एवं किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र द्वारा एक कचरा निपटान तकनीक (वेस्ट डी-कम्पोजर तकनीक) का विकास किया गया है, जिसमें किसानों को जैविक खेती के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है। इस तकनीक में जानवरों के गोबर एवं गांवों के जैविक कचरे को बहुत कम लागत में एक अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक खाद में बदला जा सकता है। पखवाड़े के दौरान एनसीओएफ द्वारा 142 गांवों और कृषि मंडियों में इस तकनीक का प्रदर्शन किया गया। देश में इस तकनीक के बारे में जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
केंद्र ने जारी की धनराशि
कृषि क्षेत्र में ऐसी तकनीक के लिए वर्ष 2017-18 के दौरान कम्पोस्ट वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट स्थापित करने के लिए
आरकेवीवाई के तहत राज्यों को 36 करोड़ रुपये की निधि एवं 250 ई-नेम एपीएमसी को 12.5 करोड़ रुपये जारी करने का निर्णय भी लिया गया। इसी प्रकार विभाग में वर्ष 2017-18 के दौरान स्वच्छता कार्य योजना के तहत स्वच्छता संबंधी बुनियादी कार्यकलापों यथा वर्मी कम्पोस्ट इकाइयों की स्थापना, जैव बायोगैस संयंत्रों को स्थापित करने, अपशिष्ट पुनर्चक्रण पर राज्य स्तर की कार्यशालाओं के आयोजन और वाटर टैंकों आदि को स्थापित करने के लिए 5.32 करोड़ आबंटित किए गए हैं।
तकनीक को बढ़ावा
मंत्रालय के अनुसार स्वच्छ कृषि प्रौद्योगिकियों, अभ्यासों और कृषि संबंधी व्यर्थ पदार्थों से आमदनी करने की 130
संबंधित प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित किया गया, जिसमें जैव कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट को तैयार करने, छाछ के अपेक्षित उपयोग, स्ट्रा संवर्धन, गंदे पानी का परिष्करण, कपास और मत्स्य से संबंधित व्यर्थ पदार्थों का उपयोग आदि शामिल हैं। वहीं रसायनों, कीटनाशी पदार्थों के सुरक्षित उपयोग तथा उपयोग के पश्चात कीटनाशी कंटेनरों के सुरक्षित निपटान के संबंध में किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया गया। इसी प्रकार इस दौरान पखवाड़ा पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग 11 राज्यों के 20 मछली बाजारों में सफाई अभियान चलाया गया।
09June-2017

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