गुरुवार, 8 जून 2017

बंदरगाहों की ‘सागरमाला’ की बढ़ेगी रफ़्तार!

तटीय राज्यों के साथ आज कार्याशाला में होगी चर्चा
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की देश के बंदरगाहों को आधुनिक तकनीक के आधार पर विकसित करने के लिए चल रही ‘सागरमाला’ परियोजना में तेजी लाने की कवायद की जा रही है। इसके लिए कल शुक्रवार को होने वाली कार्याशाला में तटीय राज्यों के साथ चर्चा की जाएगी।
देश में समुद्री कारोबार को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सागरमाला’ परियोजना से बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाने वाली नीति में सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं, जिसमें माल ढुलाई क्षमता में भी व्यापक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यानि वर्ष 2012-13 में यह 745 मिलियन टन से बढ़कर 2016-17 में 1065 मिलियन टन हो गई है। केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार मुख्य परियोजना ‘सागरमाला’ सरकार की संकल्पना और योजना से आगे बढ़कर फिलहाल क्रियान्यन स्तर पर है। मंत्रालय के अनुसार ‘सागरमाला’ कार्यक्रम के तहत बंदरगाह आधुनिकीकरण और नवीन बंदरगाह विकास, संपर्क विस्तार, बंदहगाह से जुड़ा औद्योगीकरण और तटीय सामुदायिक विकास के क्षेत्र में चार सौ से भी ज्यादा परियोजनाओ की पहचान की गई है। जबकि 1.37 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 239 परियोजनाएं पहले से ही विकास और कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। परियोजनाओं में तेजी से लागू करने की दिशा में ‘सागरमाला’ कार्यक्रम की रμतार बढ़ाने की दिशा में राज्यों के अलावा हितधारको के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए आगामी 6 से 8 माह की अवधि के दौरान मंत्रालय कार्यशालाओ की एक श्रंखला आयोजित करेगा।
पहली बार कार्याशाला आज
जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार जहाजरानी सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में 9 जून शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में इस संबंध में प्रथम कार्यशाला आयोजित की गई है। जिसमें ‘सागरमाला’ परियोजना के क्रियान्वयन को त्वरित करने के लिए तटीय राज्यों के साथ विभिन्न पहलुओं को लेकर चर्चा की जाएगी और परियोजना की गतिविधियों में विस्तार करने के लिए सुझावों का आदान प्रदान होगा। इस कार्यशाला का मकसद ‘सागरमाला’ कार्यक्रम के लिए जहाजरानी मंत्रालय के साथ रेलवे और कौशल विकास जैसे अन्य संबधित मंत्रालय के साथ विभिन्न तटीय राज्यो की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, ताकि केंद्र व राज्यों के बीच समन्वय के बीच परियोजनाओं की गतिविधियों का विस्तार और परियोजना का तेजी से कार्यान्वयन हो सके। कार्यशाला में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत मुख्य अतिथि के रूप में अपना संबोधन करेंगे। कार्यशाला में तटीय राज्यो के प्रधान सचिवो, बंदरगाहो के अध्यक्षों और संबधित मंत्रालयों के अधिकारी भी हिस्सा लेंगे।

एजेंडे में कई विषय
केंद्र सरकार कार्याशाला के दौरान सागरमला कार्यक्रम के प्रावधानों, उनके उद्देश्यों और इन परियोजनाओं को लागू करने के लिए प्रमुख हितधारकों से उपलब्ध संसाधनों और अवसरों को परिचित कराया जाएगा। वहीं इस दौरान सागरमला कार्यक्रम के संबंध में राज्यों और हितधारकों की चिंताओं को दूर करने करने की दिशा में एक प्रतिक्रिया तंत्र प्रदान करने का मौका दिया जाएगा। इसी प्रकार वित्तपोषण के दिशा-निर्देश, तटीय बेथ योजना और विशेषकर कौशल विकास के लिए तटीय सामुदायिक विकास के तहत कार्यशालाओं पर भी चर्चा की जाएगी। मसलन यह कार्यशाला राज्यों के लिए उनके चालू कार्य और भविष्य के लिए परिकल्पित कार्य का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
पीपीपी मोड पर बल
केंद्र भारत सरकार द्वारा अनुमोदित अवधारणा के अनुसार ‘सागरमला’ के तहत पहचाने जाने वाली परियोजनाओं को फास्ट ट्रैक पर लाने के लिए निजी बंदरगाहों या पीपीपी मोड पर कराने पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इससे संबंधित बंदरगाहों, राज्य सरकारों या समुद्री बोर्डों और केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा सगारमाला के तहत अवशिष्ट परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण का समर्थन भी किया गया है। मंत्रालय के अनुसार एसजीपी परियोजना को इक्विटी समर्थन मुहैया कराने के मकसद से ही मंत्रालय द्वारा सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (एसडीसीएल) की स्थापना की गई है।
09June-2017

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