रविवार, 11 जून 2017

ब्लैक स्पॉटों पर दुर्घटनाएं रोकने की कवायद


देशभर में तकनीकी यंत्रों का इस्तेमाल की योजना तैयार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में सड़क हादसों को रोकने के लिए की जा रही कवायद में जहां सड़क परियोजनाओं को सुरक्षित मानकों के तहत चलाया जा रहा है, वहीं दुर्घटनाग्रस्त इलाकों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित करके उनके डिजाइन को बदलने और खतरनाक मोड़ खासतौर पर पहाड़ी मार्गो पर तकनीकी यंत्रो के इस्तेमाल को लागू करने की तैयारी की जा रही है।
दुनियाभर में सड़क हादसों के रूप में शुमार भारत में सड़क सुरक्षा की प्राथमिकता भी सिरे चढ़ते नजर नहीं आ रही है, जहां चलाई जा रही सड़क परियोजनाओं में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अनिवार्य करके इंजीनियरों व निर्माण कंपनियों की जवाबदेही तय की गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले ही देशभर में उन स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित करा चुका है, जहां अक्सर सड़क हादसे होते रहे हैं। देशभर में 786 ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने के बाद केंद्र सरकार ने 900 करोड़ रुपये की योजना के तहत राज्यों की सरकारों से ऐसी सड़कों के डिजाइन में सुरक्षित करने का अनुरोध किया है। गौरतलब है कि सरकार के इन तमाम उपायों के बाद वर्ष 2015 के सड़क हादसों और उनमें हुई मौतों का आंकड़ा बढ़ने से सकते में आई केंद्र सरकार ने तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना का खाका तैयार किया है।
स्मार्ट पोल योजना की तैयारी
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पहले से ही हर हालत में 2020 तक सड़क हादसों को 50 फीसदी कम करने का लक्ष्य तय कर चुके हैं, जिसके लिए ऐसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की योजनाओं का अध्ययन करा रहे हैं। स्मार्ट पोल्स प्रणाली को और अधिक बेहतर बनाने की दिशा में डिवाइस कंपनियों अब इस प्रणाली का बारीकी से अध्ययन कर रही हैं, ताकि देश्भर में पहाड़ी इलाकों के साथ ही अन्य खतरनाक जगहों पर यातयात को सुरक्षित बनाने और सड़क हादसों को रोका जा सके। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार इस प्रणाली को देशभर में लागू करने की दिशा में राष्ट्रीय राजमार्गो के अलावा पहाड़ी इलाकों के राजमार्गो पर तीखे मोड़ पर स्मार्ट पोल लगाने की योजना तैयार की जा रही है। ऐसे खतरनाक मोड और ब्लैक स्पॉट पर सड़क हादसों को कम करने और राजमार्गो पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए एचपी लुब्रिकैंट्स और लियो बर्निट द्वारा तैयार की गई एक तकनीकी प्रणाली के इस्तेमाल का निर्णय लिया गया है। मंत्रालय के अनुसार ऐसी डिवाइस का इससे पहले परीक्षण जम्मू और श्रीनगर को जोड़ने वाले और सड़क हादसों के लिहाज से सबसे खतरनाक माने जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर किये गये परीक्षण में यह प्रणाली खरी पाई गई है। इसलिए सरकार प्रणाली के इस्तेमाल को देशभर में पहाड़ी इलाकों के साथ अन्य खतरनाक मोड़ के आसपास लागू करेगी।

कैसे करेगी प्रणाली काम
मंत्रालय के अनुसार इस प्रणाली में जब भी सड़क यातायात इधर से उधर होगा तो इन स्मार्ट पोल्स के पास स्वत: ही अलर्ट पहुंच जाएगा, जिसके बाद चालक को पोल से बचने वाले हॉर्न के जरिए सावधान कर देगा, कि उनके वाहन की रμतार बहुत तेज है। इस प्रकार की पहल सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए शुरू की गई नई और अनोखी पहल मानी जा रही है। हालांकि इससे पहले भी इस प्रकार की तकनीक को लेकर कई आॅटो कंपनियां काम करती रही हैं, लेकिन देश में हो रहे हादसों को देखते हुए इन्हें ज्यादा सफल नहीं पाया गया।
12june-2017

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