मंगलवार, 20 जून 2017

आधी रात को लांच होगा जीएसटी: शिपिंग क्षेत्र में बढ़ी चिंताएं!


समाधान की तलाश में मंत्रालय व हितधारको का मंथन
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार आगामी एक जुलाई से देशभर में जीएसटी कानून लागू करने की तैयारी कर चुकी है। ऐसे में भारतीय शिपिंग कंपनियों की नौवहन क्षेत्र क्षमता में कमी आने की चिंताओं को जायज मानते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा शिपिंग मंत्रालय ने भी समाधान खोजने पर मंथन किया। इस क्षेत्र की कंपनियों के साथ ही मंत्रालय को भी आशंका है कि जीएसटी लागू होते ही भारतीय कंपनियों का विदेशी कंपनियों से मुकाबला करना मुश्किल हो जाएगा।
देश में बंदरगाहों और नौवहन क्षेत्र की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं शिपिंग मंत्रालय कई तरह की परियोजनाओं को लागू करने में जुटा है और इसका सकारात्मक परिणाम भी पिछले ढाई-तीन सालों में देखने को मिले हैं। जबकि देश में एक जुलाई से होने वाले जीएसटी कानून के तहत भारत से शिपमेंट भेजने या यहां लाने पर 5 फीसदी का जीएसटी (आईजीएसटी) कर वसूलने का प्रावधान किया गया है। मसलन ऐसे में 5 फीसदी कर कंपनियों की लागत में जुड़ेगी, क्योंकि ऐसे में भारतीय शिप मालिक कोस्टल बंकर्स पर चुकाई गई ड्यूटी पर सेनवैट यानी सेंट्रल वैल्यू एडेड टैक्स क्लेम नहीं कर पाएंगे। वहीं भारतीय शिपिंग कंपनियों पर वेसेल्स खरीदने या बेचने पर भी 5 फीसदी कर लगेगा, जिसका सीधा असर सर्विस साइड पर भी पड़ेगा। इससे विदेशी कंपनियों की तुलना में भारतीय कंपनियां घाटे में होंगी, क्योंकि विदेशी कंपनियों को भारत में कई कामकाज पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा। ऐसे में खुद मंत्रालय ने भी आशंका जताई है कि यदि इसका समाधान न निकाला गया तो भारतीय कंपनियां एक सब्सिडियरी के जरिये अपना नौवहन कारोबाद देश से बाहर ले जा सकती हैं। गौरतलब है कि भारतीय कंपनियों के ऐसे सवालों के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग एवं शिपिंग मिनिस्ट्री ने इस क्षेत्र की भारतीय कंपनियों की चिंताओं और आशंकाओं को लेकर वित्त मंत्रालय को पहले ही अवगत कराया था कि जीएसटी लागू होने से भारतीय शिपिंग कंपनियों की लागत बढ़ेगी।
आशंकाएं दूर करने का प्रयास
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार खासकर शिपिंग मंत्रालय ने इस क्षेत्र की ऐसी चिंताओं को दूर करने के लिए केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक जीएसटी कार्याशाला का आयोजन किया, जिसमें मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा भारतीय शिपिंग कंपनियों के प्रतिनिधियों और हितधारकों जीएसटी से बढ़ती चिंताओं से बाहर आने के लिए गंभीरता के साथ विचार विमर्श किया और सड़क व शिपिंग क्षेत्र के सामने संभावित संकट को दूर करने का प्रयास में सुझावों का आदान प्रदान किया। इसके लिए नौवहन क्षेत्र के लिए बंदरगाहों और जहाजरानी मंत्रालय से सम्बद्ध नौवहन कर्मियों को जागरूक भी किया गया। जहाजरानी सचित राजीव कुमार ने जीएसटी कार्याशाला में कहा कि मंत्रालय चाहता है कि जीएसटी लागू होने की स्थिति में जहाजरानी समुदाय या नौवहन क्षेत्र को कोई असुविधा न हो।
जीएसटी प्रकोष्ठ गठित
जहाजरानी सचिव ने कार्याशाला में जानकारी दी कि मंत्रालय और इसके अनुषंगी कार्यालयों में जीएसटी प्रकोष्ठ (सेल) का गठन किया गया है ताकि जीएसटी के नियमों को लागू करने में आसानी हो। कार्यशाला के प्रतिभागियों में जीएसटी के अनुपालन और उसकी लागत को लेकर अधिक सवाल थे और जहाजरानी मंत्रालय ने जीएसटी से जुड़े विभिन्न मसलों पर एक नोट तैयार किया है, जिसे वित्त मंत्रालय के संज्ञान में लाया जाएगा, जिसकी बेहद जरूरत भी है। राजस्व और उद्योग विभागों में जीएसटी के विशेषज्ञों ने कार्यशाला में अपनी प्रस्तुतियों के जरिये जीएसटी की नियमावलियों को स्पष्ट किया।
लागत बढ़ने की बड़ी चिंता
मंत्रालय के अनुसार जीएसटी लागू होने से सबसे पहले तो 5 फीसदी कर अधिक नहीं लगता, लेकिन शिपिंग उद्योग में एक वेसेल की कॉस्ट 1,280 करोड़ रुपये के करीब है। ऐसे में 5 फीसदी कर 60 करोड़ रुपये बैठता है। इस पर एस्सार शिपिंग के मुख्य वित्तीय अधिकारी विक्रम गुप्ता का कहना है कि जीएसटी से भारतीय शिपिंग कंपनियों पर संकट गहराना तय है और भारतीय कंपनियां खासतौर पर कोस्टल ट्रेड में विदेशी कंपनियों का मुकाबला नहीं कर पाएंगी। वहीं ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग कंपनी के प्रबंध निदेशक का कहना है कि भारतीय कंपनियां अगर अपने देश के उपभोक्ता का कार्गो दूसरे देश में ले जाती हैं, तो उस पर उन्हें 5 फीसदी का जीएसटी देने तथा किसी विदेशी कंपनी पर कार्गो लाने लेजाने पर यह कर नहीं लगाना दोहरे मापदंड से कम नहीं है।

30 जून को संसद की विशेष बैठक में होंगे राष्ट्रपति
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
एक राष्ट्र एक कर के सपने को पूरा करने वाला गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जी.एस.टी.) 1 जुलाई से लागू होने वाला है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज जी.एस.टी. लांच को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि जी.एस.टी. के लिए उस वक्त विशेष सत्र का आयोजन किया जाएगा। इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की शुरूआत 30 जून की आधी रात को संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में होगी।
सरकार ने रखा प्रस्ताव
मोदी सरकार ने जी.एस.टी. लागू होने के ऐतिहासिक मौके के मद्देनजर 30 जून की रात संसद का विशेष सत्र बुलाने का प्रस्ताव रखा है। यह सत्र 30 जून की रात 11 बजे शुरू होकर 12:10 बजे तक चलेगा। इस दौरान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेतली संबोधित करेंगे। आधी रात को होने वाला संसद का ये विशेष सत्र दोनों सदनों का संयुक्त सत्र होगा। यह बैठक संसद के केंद्रीय कक्ष में बुलाया जाएगा।
कारोबारियों को मिलेगी राहत
जी.एस.टी. 30 जून को आधी रात से लागू हो जाएगा। इसके साथ ही देश में आजादी के बाद सबसे बड़ी कर सुधार व्यवस्था अस्तित्व में आ जाएगी। पिछले रविवार को GST की बैठक में सरकारी और प्राइवेट लॉटरी पर अलग-अलग टैक्स तय किए गए थे। साथ ही GST काऊंसिल ने कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए रिटर्न भरने के लिए दो महीने का समय दिया है।
21June-2017

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